ऋषिकेश में पर्यटक लाखों में, सुविधाएं नाममात्र को भी नहीं; पढ़िए पूरी खबर

पर्यटक सुविधाओं के नाम पर यहां कुछ भी नजर नहीं आता। वन विभाग और पर्यटन विभाग राफ्टिंग जोन में सही एप्रोच और चेंजिंग रूम जैसी सुविधाओं का विकास तक नहीं कर पाए।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Sun, 17 Feb 2019 09:06 AM (IST) Updated:Sun, 17 Feb 2019 08:35 PM (IST)
ऋषिकेश में पर्यटक लाखों में, सुविधाएं नाममात्र को भी नहीं; पढ़िए पूरी खबर
ऋषिकेश में पर्यटक लाखों में, सुविधाएं नाममात्र को भी नहीं; पढ़िए पूरी खबर

ऋषिकेश, जेएनएन। तीर्थनगरी ऋषिकेश में सर्वाधिक पर्यटक राफ्टिंग के लिए आता है। ग्रीष्मकाल में खासकर वीकएंड पर लाखों की संख्या में पर्यटक राफ्टिंग के लिए यहां गंगा के कौड़ियाला-मुनिकीरेती इको टूरिज्म जोन में पहुंचते हैं। बावजूद इसके पर्यटक सुविधाओं के नाम पर यहां कुछ भी नजर नहीं आता। इससे बड़ी विडंबना क्या होगी कि वन विभाग और पर्यटन विभाग राफ्टिंग जोन में सही एप्रोच और चेंजिंग रूम जैसी सुविधाओं का विकास तक नहीं कर पाए।

तीर्थनगरी की पहचान धर्म, अध्यात्म और योग के साथ ही साहसिक पर्यटन के रूप में भी होती है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण गतिविधि राफ्टिंग की है। यहां गंगा का करीब 42 किमी लंबा कौड़ियाला-मुनिकीरेती इको टूरिज्म जोन राफ्टिंग गतिविधि के लिए विश्व मानचित्र में स्थान रखता है। वर्ष में करीब पांच माह तक चलने वाली राफ्टिंग गतिविधि के लिए रोजाना हजारों की संख्या में देशी-विदेशी पर्यटक यहां पहुंचते हैं। वर्तमान में गंगा में करीब तीन सौ कंपनियां राफ्टिंग गतिविधि संचालित करा रही हैं। यानी करीब दस हजार से अधिक लोग प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से इस व्यवसाय से लाभान्वित हो रहे हैं। मगर, हैरत देखिए कि सबसे अधिक पर्यटकों को आकर्षित करने वाले इस व्यवसाय को सुव्यवस्थित करने के जिम्मेदार विभाग ही इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहे। यह इको टूरिज्म जोन वन विभाग के नरेंद्रनगर वन प्रभाग के अंतर्गत आता है। जबकि, यहां पर्यटकों के लिए सुविधाएं देने की जिम्मेदारी वन विभाग के साथ पर्यटन विभाग की भी है। मगर, इसे दुर्भाग्य ही कहेंगे कि आज तक  राफ्टिंग के इनटेल और आउटटेल प्वाइंट को मुख्य मार्ग से जोड़ने वाले रास्ते भी दुरुस्त नहीं हो पाए। यही नहीं, गंगा तटों पर कहीं चेंजिंग रूम और टॉयलेट जैसी व्यवस्थाएं भी उपलब्ध नहीं हैं।

बोले अधिकारी

दिनेश भट्ट (अध्यक्ष, गंगा नदी राफ्टिंग प्रबंधन समिति) का कहना है कि हमने गंगा नदी राफ्टिंग प्रबंधन समिति के पास जमा धनराशि को पर्यटन सुविधाओं पर खर्च करने की मांग की है। इसके लिए जिलाधिकारी को पत्र भी भेजा गया है। गंगा नदी में राफ्टिंग को तरीके से संचालित करने के लिए गंगा नदी राफ्टिंग रोटेशन समिति ने रोटेशन व्यवस्था भी 15 फरवरी से लागू कर दी है। अब यहां पर्यटन सुविधाएं जुटाने की दिशा में भी समिति काम करेगी। दिलीप जावलकर (पर्यटन सचिव, उत्तराखंड) का कहना है कि गंगा नदी के कौड़ियाला-मुनिकीरेती इको टूरिज्म जोन में पर्यटकों के लिए सुविधाएं उपलब्ध कराने के प्रयास किए जा रहे हैं। वन विभाग को यहां मार्गों के निर्माण, पार्किंग आदि की व्यवस्था करने के लिए कहा गया है। साथ ही पर्यटन विभाग की ओर से भी हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं।

प्रबंधन समिति भी नहीं बना पाई व्यवस्था

गंगा में राफ्टिंग गतिविधि के संचालन और व्यवस्थाएं बनाने के लिए शासन स्तर पर गंगा नदी राफ्टिंग प्रबंधन समिति का गठन किया गया था। जिलाधिकारी टिहरी की अध्यक्षता में गठित इस समिति में एसडीएम को उपाध्यक्ष, जिला पर्यटन अधिकारी को सचिव व जिला कोषाधिकारी को कोषाध्यक्ष के अलावा राफ्टिंग कारोबारियों को भी शामिल किया गया था। प्रबंधन समिति ने ढांचागत सुविधाओं के विकास के लिए प्रति पर्यटक शुल्क लिए जाने का निर्णय लिया था। इस शुल्क से करीब 80 लाख रुपये की आय भी समिति को हुई। मगर, इसमें एक रुपया भी पर्यटन सुविधाओं के विस्तार पर खर्च नहीं हुआ।

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