उत्तराखंड: पुलिस में सब इंस्पेक्टर नियमावली पर अभी तक फैसला नहीं
पुलिस में सब इंस्पेक्टर नियमावली को शासन अभी तक अंतिम रूप नहीं दे पाया है। इस मामले में गठित मंत्रिमंडल की उप समिति ने अभी अपनी रिपोर्ट नहीं सौंपी है। इससे सब इंस्पेक्टर पद पर पदोन्नति की राह तक रहे हेड कांस्टेबल व कांस्टेबल का इंतजार लंबा हो रहा है।
राज्य ब्यूरो, देहरादून। पुलिस में सब इंस्पेक्टर नियमावली को शासन अभी तक अंतिम रूप नहीं दे पाया है। कारण यह कि इस मामले में गठित मंत्रिमंडल की उप समिति ने अभी अपनी रिपोर्ट नहीं सौंपी है। इस कारण सब इंस्पेक्टर पद पर पदोन्नति की राह तक रहे हेड कांस्टेबल व कांस्टेबल का इंतजार लंबा होता जा रहा है।
शासन ने वर्ष 2018 में पुलिस इंस्पेक्टर व सब इंस्पेक्टर सेवा नियमावली बनाई थी। इसमें सब इंस्पेक्टर पद पर भर्ती के लिए तीन प्रकार की व्यवस्था की गई। इसके अनुसार सब इंस्पेक्टर के 34 फीसद पद सीधी भर्ती, 33 फीसद पद रैंकर्स और 33 फीसद पद वरिष्ठता के आधार पर भरे जाएंगे। इसमें रैंकर्स व वरिष्ठता के आधार पर भरे जाने वाले पदों में सराहनीय सेवाओं के लिए राष्ट्रपति व मुख्यमंत्री पदक हासिल करने वालों के लिए बोनस अंक दिए जाने का प्रविधान भी किया गया। इससे पहले विभाग में सब इंस्पेक्टर के पद रैंकर्स और सीधी भर्ती के जरिये भरे जाते थे।
यह नियमावली बनाने की आवश्यकता इसलिए पड़ी क्योंकि 45 वर्ष से अधिक आयु के कांस्टेबल व हेड कांस्टेबल रैंकर्स परीक्षा के पात्र नहीं हो पा रहे थे। इस कारण वे इन्हीं पदों पर सेवानिवृत्त हो जाते थे। इन्हें भी पदोन्नति का अवसर प्रदान करने के लिए नई नियमावली में वरिष्ठता के आधार पर भी सब इंस्पेक्टर के पदों को भरने का निर्णय लिया गया। इसे लेकर विरोध भी हुआ।
इस बीच विभाग में बैकलाग के पदों का मामला सामने आया। यह पद 2018 से पहले से ही रिक्त चल रहे थे, इसलिए इन पर नियमावली लागू नहीं हो रही थी। शासन ने यह राय दी कि पुराने पदों पर भी यही मापदंड अपनाया जाए। मामला मंजूरी के लिए कैबिनेट के समक्ष लाया गया तो पूरी नियमावली को लेकर ही विरोध हो गया।
बैठक में नियमावली में सभी पदों को उत्तर प्रदेश के समान ही भरने की बात उठाई गई। उत्तर प्रदेश में कुल रिक्त पदों के 50 फीसद पद सीधी भर्ती और 50 फीसद पद वरिष्ठता के आधार पर भरे जाते हैं। ऐसे में इस नियमावली को नए सिरे से बनाने के लिए मंत्रिमंडल की उपसमिति बनाई गई। इस उप समिति की रिपोर्ट अभी शासन को नहीं मिली है। इसके बाद ही इस पर फैसला हो सकेगा।
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