मजिस्ट्रेटी जांच रिपोर्ट आने तक नहीं होगी गिरफ्तारी, प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज का मामला

नंदप्रयाग-घाट मोटर मार्ग के चौड़ीकरण की मांग को लेकर दिवालीखाल में प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज के मामले में दर्ज मुकदमों में मजिस्ट्रेटी जांच रिपोर्ट आने तक कोई गिरफ्तारी नहीं होगी। विधानसभा में बजट सत्र के दौरान शनिवार को संसदीय कार्यमंत्री मदन कौशिक ने सदन में यह आश्वासन दिया।

By Raksha PanthriEdited By: Publish:Sun, 07 Mar 2021 07:42 AM (IST) Updated:Sun, 07 Mar 2021 07:42 AM (IST)
मजिस्ट्रेटी जांच रिपोर्ट आने तक नहीं होगी गिरफ्तारी, प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज का मामला
मजिस्ट्रेटी जांच रिपोर्ट आने तक नहीं होगी गिरफ्तारी।

राज्य ब्यूरो, गैरसैंण। नंदप्रयाग-घाट मोटर मार्ग के चौड़ीकरण की मांग को लेकर दिवालीखाल में प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज के मामले में दर्ज मुकदमों में मजिस्ट्रेटी जांच रिपोर्ट आने तक कोई गिरफ्तारी नहीं होगी। विधानसभा में बजट सत्र के दौरान शनिवार को संसदीय कार्यमंत्री मदन कौशिक ने सदन में यह आश्वासन दिया। कांग्रेस की ओर से यह मसला उठाया गया था।

विधायक प्रीतम सिंह ने कहा कि दिवालीखाल में एक मार्च को प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज के बाद पुलिस ने कई आंदोलनकारियों के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए हैं। इनमें महिलाओं और बच्चों तक को नामजद किया गया है। नतीजतन क्षेत्र में बड़ी संख्या में स्थानीय निवासियों पर गिरफ्तारी की तलवार लटकी हुई है। इस पर संसदीय कार्यमंत्री मदन कौशिक ने कहा कि सरकार ने इस प्रकरण की मजिस्ट्रेटी जांच के आदेश दिए हैं। जांच रिपोर्ट आने तक किसी भी गिरफ्तारी नहीं होगी। उन्होंने कहा कि जो निर्दोष होगा, उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। यदि किसी बच्चे आदि का नाम है तो उसकी ओर से आवेदन किया जा सकता है। 

सभी पहलुओं और प्रकृति के आधार पर उसके मामले में तय किया जाएगा। विधायक काजी निजामुद्दीन की ओर से उठाए गए एक अन्य मसले पर संसदीय कार्यमंत्री ने कहा कि सभी थानों को यह निर्देश दिए गए हैं कि वहां पहुंचने वाले प्रत्येक फरियादी की बात सुनने के साथ ही उसकी रिपोर्ट दर्ज की जाए।

साल में सूचना आयोग की 13 संस्तुतियों पर कार्रवाई

उत्तराखंड सूचना आयोग द्वारा पिछले चार साल में 20 संस्तुतियां की गई, जिनमें से शासन ने 13 पर कार्रवाई की और सात को अस्वीकृत कर दिया। विधानसभा के बजट सत्र में शनिवार को सदन के पटल पर रखे गए आयोग के वर्ष 2014-15 से वर्ष 2017-18 के एटीआर (एक्शन टेकन रिपोर्ट) सहित वार्षिक प्रतिवेदनों में यह बात सामने आई है। 

चार साल की इस अवधि में सभी विभागों के लोक प्राधिकारियों द्वारा विभाग से संबंधित सूचनाएं विभागीय वेबसाइट पर उपलब्ध कराने, ग्रामीण क्षेत्रों में सूचना का अधिकार अधिनियम का व्यापक प्रचार-प्रसार करने, ग्राम पंचायत विकास अधिकारी को लोक सूचना अधिकारी नामित करने, विभिन्न निर्माण कार्यों के ठेकों, सामग्री की आपूर्ति और भूमि पट्टों का आवंटन आदि की सूचना विभागीय वेबसाइट पर उपलब्ध कराने, लोक प्राधिकारी कार्यालयों में अभिलेखों के कैटलाग बनाने, पेयजल विभाग में लोक सूचना अधिकारी नामित करने समेत 13 संस्तुतियों पर शासन ने आदेश जारी किए हैं।

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