देहरादून एयरपोर्ट विस्तार के लिए कटेंगे 9 हजार पेड़, 27 हजार पौधे रोपेंगे

जौलीग्रांट स्थित देहरादून एयरपोर्ट को अंतरर्राष्ट्रीय मानकों के स्तर का बनाने के लिए काटे जाने वाले पेड़ों के बदले आसपास के इलाकों में तीन गुने पौधे रोपे जाएंगे। प्रस्तावित योजना में तकरीबन आठ से नौ हजार पेड़ काटे जाने का अनुमान है।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Fri, 02 Oct 2020 11:03 AM (IST) Updated:Fri, 02 Oct 2020 11:03 AM (IST)
देहरादून एयरपोर्ट विस्तार के लिए कटेंगे 9 हजार पेड़, 27 हजार पौधे रोपेंगे
एयरपोर्ट के विस्तारीकरण के लिए 98 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया जाना है, इसमें 87 हेक्टयर वन भूमि है।

देहरादून, जेएनएन। जौलीग्रांट स्थित देहरादून एयरपोर्ट को अंतरर्राष्ट्रीय मानकों के स्तर का बनाने के लिए काटे जाने वाले पेड़ों के बदले आसपास के इलाकों में तीन गुने पौधे रोपे जाएंगे। प्रस्तावित योजना में तकरीबन आठ से नौ हजार पेड़ काटे जाने का अनुमान है। एयरपोर्ट के विस्तारीकरण के लिए 98 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया जाना है, इसमें 87 हेक्टयर वन भूमि है। केंद्रीय वन्य जीव बोर्ड की पांच अक्टूबर को होने वाली बैठक में इस प्रस्ताव पर मुहर लगने की उम्मीद है। शिवालिक एलिफेंट रिजर्व से सटी वन भूमि का अधिग्रहण किए जाने से हाथियों की चहलकदमी प्रभावित हो सकती है। हालांकि, वन विभाग के अधिकारी इस आशंका से इत्तिफाक नहीं रखते। 

केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय देहरादून एयरपोर्ट को अत्याधुनिक सुविधायुक्त बनाने के प्रयासों में जुटा हुआ है। विस्तारीकरण की योजना इसी से जुड़ी हुई है। भूमि अधिग्रहण के लिए राज्य सरकार पिछले साल अनुमति दे चुकी है। वन भूमि हस्तांतरण होना अभी बाकी है। उत्तराखंड के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक जेएस सुहाग ने बताया कि अधिग्रहित भूमि से पेड़ों के कटान के लिए पर्यावरण मंत्रालय और केंद्रीय वन्यजीव बोर्ड की अनुमति जरूरी है। वन विभाग ने केंद्रीय पिछले दिनों इसका प्रस्ताव केंद्रीय वन्य जीव बोर्ड को भेज दिया है। देहरादून वन प्रभाग की थानो रेंज में अधिग्रहित की जाने वाली इस भूमि से करीब नौ हजार पेड़ काटे जाने हैं। उन्होंने बताया कि इनकी भरपाई के तौर पर तीन गुना अधिक पौधे रोपे जाएंगे। 

सामरिक दृष्टि से भी है महत्वपूर्ण 

देहरादून एयरपोर्ट को अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के रूप में विकसित करने योजना सामरिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। उत्तराखंड से चीन सीमा के सटे होने के कारण यहां सेना के सभी प्रकार के विमानों की लैंडिंग और टेक ऑफ की सुविधा जरूरी मानी जा रही है। पहले चरण में एयरपोर्ट के विस्तारीकरण के बाद रनवे की लंबाई 2765 मीटर हो जाएगी, जिससे इस एयरपोर्ट से एयरबस ए-321 एवं ए-320 की उड़ान संभव हो पाएगी। दूसरे चरण के विस्तार में रनवे 3500 मीटर करने की तैयारी की जा रही है।

पुराने परिसर को किया जा रहा है उच्चीकृत 

एयरपोर्ट के पुराने परिसर को भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआइ) उच्चीकृत कर रहा है। इसकी यात्री लैंडिंग क्षमता को आठ गुना बढ़ाकर 1800 यात्री करने तथा नए टर्मिनल सहित अन्य निर्माण के लिए 353 करोड़ रुपये का निवेश किया जा रहा है। एयरपोर्ट के निदेशक डीके गौतम ने बताया कि पहले चरण का लगभग 80 प्रतिशत निर्माण कार्य पूरा भी हो चुका है। परियोजना को इसी माह पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। जल्द एयरपोर्ट नए रूप में नजर आएगा।

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गजराज की चहलकदमी में नहीं आएगी रुकावट

प्रभागीय वनाधिकारी राजीव धीमान ने बताया कि जौलीग्रांट एयरपोर्ट के निर्माण के बाद से ही इसके आसपास के जंगलों में हाथियों की चहलकदमी घटी है। वर्तमान समय में जाखन नदी के किनारे हाथियों का बेहद कम विचरण होता है। यहां से करीब साढ़े छह किलोमीटर की दूरी पर राजाजी राष्ट्रीय पार्क क्षेत्र होने के कारण हाथियों का कोर क्षेत्र प्रभावित होने की संभावना कम है। 

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