निनूस के ग्रामीणों ने पेश की सामाजिक एकता की मिसाल

चंदराम राजगुरु त्यूणी कहते हैं आस्था में बड़ी शक्ति होती है। अपने कुल देवता के प्रति अटूट आस्था के चलते निनूस के ग्रामीणों ने नया महासू देवता का मंदिर बनाया है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 05 Dec 2021 08:44 PM (IST) Updated:Sun, 05 Dec 2021 08:44 PM (IST)
निनूस के ग्रामीणों ने पेश की सामाजिक एकता की मिसाल
निनूस के ग्रामीणों ने पेश की सामाजिक एकता की मिसाल

चंदराम राजगुरु, त्यूणी:

कहते हैं आस्था में बड़ी शक्ति होती है। अपने कुल देवता के प्रति अटूट आस्था के साथ निनूस के ग्रामीणों ने सामाजिक एकता की मिशाल पेश की। ग्रामीणों ने स्वयं के संसाधन से गांव में नया महासू देवता का मंदिर बनाया है। इसके निर्माण में चार साल का समय लगा। रविवार को नए मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा के साथ सिद्धपीठ हनोल मंदिर से लाए गए देवता के डोरिए को मंत्रोंच्चार के साथ गर्भगृह में स्थापित किया गया।

बावर खत से जुड़े सीमांत निनूस गांव में महासू देवता के प्रतीक स्वरूप माने जाने वाले पौराणिक स्थान पर नए मंदिर के निर्माण की शुरुआत स्थानीय ग्रामीणों ने चार साल पहले की। मंदिर बनाने को गांव के सभी परिवारों ने अपनी श्रद्धा अनुसार सहयोग दिया। इसमें गांव के नौकरी पेशा व्यक्तियों का भी विशेष सहयोग रहा। ग्रामीणों ने मंदिर निर्माण के लिए बागी गांव से दो राजमिस्त्री सुंदर सिंह और धनीराम को इसकी जिम्मेदारी सौंपी। परपंरागत रूप से पहाड़ी शैली में बने महासू मंदिर के निर्माण कार्य को निनूस के ग्रामीणों ने चार साल तक स्वयं श्रमदान किया। ग्रामीणों की माने तो नए मंदिर के निर्माण कार्य में करीब 21 लाख रुपये का खर्च आया, जिसे ग्रामीणों ने स्वयं दिया। मंदिर की विशेष सजावट के लिए ग्रामीणों ने वन विभाग से मिली हक-हकूक की देवदार लकड़ी देवता को भेंट कर दी। विद्वान पुरोहित और ज्योतिषाचार्य ने मंत्रोच्चार के साथ नए मंदिर की विधि-विधान से पूजा की। निनूस में नए मंदिर के धार्मिक अनुष्ठान के दिन सिद्धपीठ श्री महासू देवता मंदिर हनोल से देव चिन्ह के रूप में देवता के चांदी का डोरिया लाया गया। इसके अलावा मैंद्रथ मंदिर से बाशिक महासू का देव डोरिया, प्रवास पर जौनसार के समाल्टा मंदिर में विराजमान छतरधारी चालदा महासू का देव डोरिया, बंगाण के ठडियार मंदिर से पवासी महासू का देव डोरिया व देवघार खत के रायगी मंदिर से शेडकुडिया महाराज समेत पांचों देवता के डोरिए एक साथ पूजा के लिए मंदिर में लाए गए। लोक परंपरा के अनुसार देव डोरियों को गाजे-बाजे के साथ नए मंदिर के गर्भगृह में स्थापित कर महासू देवता की स्तुति की गई। निनूस गांव में नया मंदिर बनने की खुशी में स्थानीय महिलाओं ने परंपरागत तरीके से हारुल के साथ तांदी नृत्य की प्रस्तुति से देवता की आराधना की। बड़ी संख्या में जुटे श्रद्धालुओं ने पांचों देवता के एक साथ दर्शन कर अपने घर-परिवार के खुशहाली की कामना की। देव दर्शन के बाद सभी श्रद्धालुओं को भंडारे में प्रसाद वितरित किया गया। इस मौके पर संजय जोशी, अनिल जोशी, आत्माराम जोशी, लायकराम जोशी, नारायणचंद, जयदत्त जोशी, प्रहलाद जोशी, रामचंद्र जोशी, मोहनलाल, पप्पू जोशी, कृूपाराम, सुरेंद्र राणा, त्रिलोक सिंह, रायदत्त जोशी, भगतराम, देवदत्त जोशी, शूरवीर सिंह राणा, मेजर सिंह राणा, विजेंद्र सिंह, संतराम जोशी, यशपाल सिंह आदि मौजूद रहे।

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