National Education Policy 2020: सशक्त भारत की नींव है नई शिक्षा नीति

प्रो. राजेश बहुगुणा (कार्यकारी कुलपति उत्तरांचल विश्वविद्यालय देहरादून) का कहना है कि नई शिक्षा नीति सशक्त भारत की नींव है ।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Wed, 12 Aug 2020 12:44 PM (IST) Updated:Wed, 12 Aug 2020 12:44 PM (IST)
National Education Policy 2020: सशक्त भारत की नींव है नई शिक्षा नीति
National Education Policy 2020: सशक्त भारत की नींव है नई शिक्षा नीति

देहरादून, जेएनएन। National Education Policy 2020 प्रो. राजेश बहुगुणा (कार्यकारी कुलपति, उत्तरांचल विश्वविद्यालय, देहरादून) का कहना है कि कोई व्यक्ति कितना भी बुद्धिमान क्यों न हो, परन्तु उसकी दूरदृष्टि की एक सीमा होती है। केंद्र सरकार की ओर से निर्गत नई शिक्षा नीति समाज के लिए है।

19वीं सदी में लार्ड मैकाले की परिकल्पना पर बनी शिक्षा नीति के सापेक्ष राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 खामियों को पाटते हुए वर्तमान आवश्यकताओं के अनुरूप है। इसमें समाहित मूल सिद्धांतों में वैचारिक समझ पर आधारित तार्किक निर्णय, नव विचार को प्रोत्साहित करने, छात्रों के समग्र विकास में शिक्षकों व अभिभावकों का योगदान, प्रौद्योगिकी का व्यापक उपयोग, शिक्षा के सभी स्तरों पर पाठ्यक्रम में तालमेल, नई सोच व शोध को प्रोत्साहन, सार्वजनिक प्रकटीकरण आदि अतुलनीय प्रयास हैं।

पूर्व की शिक्षा नीति में व्यवहारिक शिक्षा का घोर अभाव था। इस कारण अनेकों मामलों में शैक्षिक योग्यताओं के बावजूद भी मनुष्य व्यवहारिक शिक्षा के अभाव में अधूरा रहता था। वर्तमान शिक्षा नीति में नैतिकता व संवैधानिक मूल्यों के प्रति संवेदनशीलता, दूसरों के प्रति सम्मान, शिष्टाचार, लोकतांत्रिक मूल्यों का मान, सेवाभाव, सार्वजनिक संपत्ति के लिए सम्मान, वैज्ञानिक व अनुसंधान प्रेरक सोच, स्वतंत्रता, जिम्मेदारी और सामाजिक न्याय को स्थान दिया गया है। आज देश यह बात समझ चुका है कि जड़ता को त्यागकर गतिशीलता को अपनाना ही नीतिपरक है। आज दुनिया उस चौराहे पर खड़ी है, जहां से परिवर्तन का रास्ता ही सबसे सुगम व फलदायक लगता है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में वर्णित उद्देश्यों के साथ ही राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन की स्थापना एक महत्वपूर्ण आयाम है। नई नीति में परिवर्तनशीलता के साथ-साथ भारत मूल में जन्मी और पली-बढ़ी परंपराओं व संस्कृति के दोबारा उत्थान पर भी ध्यान दिया गया है। उच्चतर शिक्षा नियंत्रण के लिए बनाया जाने वाला ढांचा इसमें शामिल है।

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वर्तमान नीति में ‘सबका कुछ व कुछ का सब जानें’ के सिद्धांत को अंगीकृत किया गया है। जो बेहद लाभकारी है। इससे इंजीनियरिंग संस्थानों में कला और मानविकी जैसे विषयों की पढ़ाई करने वाले छात्र बहुविषयक शिक्षा की ओर बढ़ेंगे। अत: किसी भी नीति के निर्धारण और विधि के निर्माण में काल, स्थान, परिस्थितियां महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। ऐसी नीतियों का निर्माण करना जो तीव्र गतिशीतला के इस दौर में मानव आकांक्षाओं के समकक्ष चल सकें, नीति निर्धारकों के लिए सबसे बड़ी चुनौती होती है। नवीन शिक्षा नीति में उन सब बातों की परिकल्पना स्पष्ट है, जिनसे एक मनुष्य शिक्षा अर्जित कर सच्चे अर्थो में न केवल शिक्षित अपितु एक अच्छा इंसान बन सकता है।

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