उत्तराखंड में करीब 60 फीसद सरकारी विभागों में न सेवा नियमावली और न विभागीय ढांचा

करीब 75 सरकारी विभागों में से 60 फीसद में अब तक न तो विभागीय ढांचे को अंतिम रूप दिया जा सका और न ही सेवा नियमावली ही तैयार की गई है।

By Raksha PanthariEdited By: Publish:Sun, 12 Jul 2020 04:29 PM (IST) Updated:Sun, 12 Jul 2020 04:29 PM (IST)
उत्तराखंड में करीब 60 फीसद सरकारी विभागों में न सेवा नियमावली और न विभागीय ढांचा
उत्तराखंड में करीब 60 फीसद सरकारी विभागों में न सेवा नियमावली और न विभागीय ढांचा

देहरादून, जेएनएन। उत्तराखंड में करीब 75 सरकारी विभागों में से 60 फीसद में अब तक न तो विभागीय ढांचे को अंतिम रूप दिया जा सका और न ही सेवा नियमावली ही तैयार की गई है। यही वजह है कि मार्च में सरकार की ओर से पदोन्नति को हरी झंडी देने के बाद भी कई सारे विभाग ऐसे हैं, जहां पदोन्नति ठप पड़ी हुई और कर्मचारी इसे लेकर आंदोलन की राह पर हैं।

उत्तराखंड में विगत कई वर्ष से कर्मचारी पदोन्नति की मांग को लेकर आंदोलन की राह पर हैं। लंबी कानूनी लड़ाई और आंदोलन के बाद बीते मार्च महीने में प्रक्रिया बहाल हुई तो अब कई और नई मुसीबतें सिर उठाने लगी हैं। हैरानी इस बात की है कि ये समस्याएं हाल-फिलहाल में सामने नहीं आई, बल्कि वर्षों से बनी हुई हैं, लेकिन शासन में उच्च पदों पर बैठे अफसरों ने कभी इस पर गंभीरता से कदम उठाने का हौसला ही नहीं दिखाया। मौजूदा समय में कर, पर्यटन, लेखा परीक्षा, टाउन प्लानर समेत कई ऐसे विभाग हैं जो अभी भी बिना विभागीय ढांचे के काम कर रहे हैं।

क्या होती है सेवा नियमावली

किसी भी नियुक्त प्रत्येक संवर्ग के अधिकारी और कर्मचारी के कार्य दायित्व के साथ उनकी नियुक्ति करने वाले अधिकारी, पद के अनुरूप वह किन नियमों का पालन करेंगे और वेतनमान, गे्रड पे आदि का निर्धारण होता है।

क्या होता है विभागीय ढांचा

विभाग में कार्यरत अधिकारियों और कर्मचारियों का पदवार ढांचा ही तय करता है कि किस संवर्ग में कितने पद होंगे। कितने वर्ष के बाद वह पदोन्नति पाने के अधिकृत हो जाएंगे और पद के अनुरूप उनकी जिम्मेदारी क्या होगी।

क्या कहते हैं कर्मचारी संगठन

राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के प्रदेश अध्यक्ष ठाकुर प्रहलाद सिंह ने बताया कि शासन विभागों की कार्य दक्षता और कर्मचारियों के हित को लेकर गंभीर ही नहीं है। सेवा नियमावली और विभागीय ढांचा न होने से केवल कर्मचारियों का ही अहित नहीं हो रहा, बल्कि विभागीय कामकाज पर भी इसका प्रतिकूल असर पड़ रहा है।

उत्तराखंड एससी-एसटी इंप्लायज फेडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष करमराम का कहना है कि राज्य गठन के बीस साल बाद भी विभागों में सेवा नियमावली और विभागीय ढांचे का गठन न होना सरकार की सिस्टम के प्रति गंभीरता को प्रदर्शित करता है। इससे विभागीय कामकाज के साथ कर्मचारियों को मिलने वाले लाभ दोनों में हानि हो रही है।

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उत्तराखंड जनरल ओबीसी इंप्लायज एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष दीपक जोशी ने कहा कि पदोन्नति से लेकर कर्मचारी हितों के लिए सेवा नियमावली और विभागीय ढांचे का होना बेहद आवश्यक है। इस पर कई बार सरकार से गंभीरता से कार्यवाही करने की मांग की जा चुकी है। सेवा नियमावली और विभागीय ढांचे के बिना विभाग पूरी तरह अव्यस्थित होते हैं।

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