अब गंगा में गंदगी ढोने का जरिया नहीं बनेगी रिस्पना और बिंदाल, ये होंगे काम

एक दौर में देहरादून की खूबसूरती में चार चांद लगाने वाली रिस्पना और बिंदाल नदियां अब गंगा में गंदगी ढोने का जरिया नहीं बनेंगी।

By Edited By: Publish:Sat, 06 Jun 2020 07:41 PM (IST) Updated:Sun, 07 Jun 2020 03:37 PM (IST)
अब गंगा में गंदगी ढोने का जरिया नहीं बनेगी रिस्पना और बिंदाल, ये होंगे काम
अब गंगा में गंदगी ढोने का जरिया नहीं बनेगी रिस्पना और बिंदाल, ये होंगे काम

देहरादून, राज्य ब्यूरो। एक दौर में देहरादून की खूबसूरती में चार चांद लगाने वाली रिस्पना और बिंदाल नदियां अब गंगा में गंदगी ढोने का जरिया नहीं बनेंगी। नमामि गंगे परियोजना के तहत इन दोनों नदियों में गिर रहे सीवरेज और गंदे नालों के निस्तारण के मद्देनजर 60 करोड़ की परियोजना का जिम्मा उत्तराखंड पेयजल निगम को सौंपा गया है। इन कार्यों के लिए टेंडर होने के साथ ही काम शुरू होने की तिथि का निर्धारण भी कर दिया गया है। ट्रीटमेंट के कार्य पूरे होने के बाद यह नदियां साफ-सुथरी होकर सुसवा नदी में मिलेंगी। 

सुसवा नदी गंगा की सहायक नदी सौंग में मिलती है। दून की रिस्पना और बिंदाल नदियां भी कभी स्वच्छ, निर्मल थीं और इनकी कल-कल हर किसी को मोह लेती थी। बदलते वक्त की मार से यह नदियां भी अछूती नहीं रह सकीं। ये कब गंदे नालों में तब्दील हो गंदगी ढोने का जरिया बन गई, यह पता ही नहीं चला। अब तो दोनों ही मरणासन्न स्थिति में हैं और बाकी कसर पूरी कर दी इनके किनारे उग आई अवैध बस्तियों ने। गंदगी ढो रहीं रिस्पना और बिंदाल नदियां आसपास की फिजा को तो प्रदूषित कर रहीं, गंगा में प्रदूषण फैलाने की वजह भी बन रही हैं।
बता दें कि रिस्पना और बिंदाल दोनों ही सुसवा नदी में मिलती हैं। जाहिर है कि इनकी गंदगी सुसवा में समा रही है। सुसवा सौंग नदी में मिलती है, जो कि गंगा की सहायक नदी है। गंगा का जल प्रदूषित न हो और इन नदियों को पुनर्जीवन मिल सके, इसके लिए नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा में प्रस्ताव रखा गया। इस पर 60 करोड़ की परियोजना को मंजूरी मिल गई। रिस्पना और बिंदाल में गिरने वाले सीवरेज और नालों के निस्तारण की परियोजना का जिम्मा पेयजल निगम को सौंपा गया है। 
सूत्रों के मुताबिक योजना के लिए सर्वे आदि का कार्य पूरा होने बाद निगम ने इसके लिए टेंडर प्रक्रिया पूरी कर ली है। इसके साथ ही राज्य परियोजना प्रबंधन समूह (नमामि गंगे) ने कार्य शुरू करने की तिथि छह जून तय की थी। अलबत्ता, इस दिन अवकाश होने के मद्देनजर अब स्टार्ट ऑफ वर्क की तिथि आठ जून तय की गई है। सूत्रों ने बताया कि इस कड़ी में निगम तैयारियों में जुट गया है। वहीं, राज्य परियोजना प्रबंधन समूह (नमामि गंगे) के कार्यक्रम निदेशक उदयराज सिंह ने बताया कि रिस्पना और बिंदाल के लिए पेयजल निगम को कार्यदायी संस्था बनाया गया है। वह जल्द ही सीवरेज निस्तारण के साथ नालों की टैपिंग का कार्य शुरू करेगी। 
ये होंगे कार्य 
रिस्पना नदी में गिरने वाले 177 नाले किए जाएंगे टैप। 
सीवर लाइन से जुड़ेंगे रिस्पना नदी से लगे 2901 घर।
रिस्पना के किनारे 32 किमी का सीवरेज नेटवर्क होगा तैयार।
बिंदाल नदी के लिए हरिद्वार बाइपास रोड पर बनेगा पंपिंग स्टेशन।
बिंदाल के पानी को हरिद्वार बाइपास से कारगी स्थित एसटीपी में डाला जाएगा। 
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