उत्तराखंड के विकास में अब नाबार्ड बनेगा सहयोगी, जानिए बैठक में किन मुद्दों पर हुई चर्चा

नाबार्ड सहयोगी बनेगा। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में हुई बैठक में नाबार्ड के चेयरमैन ने इसका आश्वासन दिया है। उन्होंने कहा कि सहकारी बैंक के लिए लघु ऋण की सीमा 500 करोड़ से 750 करोड़ रुपए कर दी गई है।

By Raksha PanthariEdited By: Publish:Wed, 21 Oct 2020 08:21 PM (IST) Updated:Wed, 21 Oct 2020 08:21 PM (IST)
उत्तराखंड के विकास में अब नाबार्ड बनेगा सहयोगी, जानिए बैठक में किन मुद्दों पर हुई चर्चा
उत्तराखंड के विकास में अब नाबार्ड बनेगा सहयोगी।

देहरादून, राज्य ब्यूरो। उत्तराखंड के विकास में अब नाबार्ड सहयोगी बनेगा। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में हुई बैठक में नाबार्ड के चेयरमैन ने इसका आश्वासन दिया है। उन्होंने कहा कि सहकारी बैंक के लिए लघु ऋण की सीमा 500 करोड़ से 750 करोड़ रुपए कर दी गई है और राज्य सरकार अगर अनुरोध करती है तो यह सीमा और भी बढ़ाई जा सकती है। 

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में बुधवार को मुख्यमंत्री आवास पर राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) द्वारा राज्य के विकास में विभिन्न वित्तीय और विकासात्मक सहयोग से संचालित योजनाओं के क्रियान्वयन के संबंध में बैठक आयोजित हुई। इस दौरान नाबार्ड के चेयरमैन डॉ. जीआर चिंतला, सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज, कृषि मंत्री सुबोध उनियाल, सहकारिता मंत्री डॉ. धन सिंह रावत के साथ ही मुख्य सचिव ओम प्रकाश उपस्थित थे। इस अवसर पर नाबार्ड द्वारा प्रकाशित पैक्स-एक बहुउद्देशीय सेवा केंद्र योजना मार्गदर्शिका का भी विमोचन किया गया।

बैठक में सीएम रावत ने राज्य के विकास में नाबार्ड के सहयोग के प्रति आभार जताया। उन्होंने कहा कि राज्य में ट्राउट मछली पालन की दिशा में काफी कार्य हुआ है। इसके साथ पोल्ट्री, मशरूम उत्पादन की भी राज्य में काफी संभावनाएं हैं। उन्होंने सौंग बांध के निर्माण, ग्रोथ सेंटरों के विकास और ग्राम लाइट योजना को बढ़ावा देने में भी नाबार्ड से सहयोगी बनने को कहा। मुख्यमंत्री ने कहा कि सौंग बांध की लागत 1200 करोड़ है। इसके बनने से प्रतिवर्ष 90 करोड़ की बिजली की बचत होने के साथ ही देहरादून को आगामी 60 वर्षों तक ग्रेविटी आधारित पेयजल की आपूर्ति हो सकेगी। मुख्यमंत्री ने प्रदेश के सभी 670 पेक्स को बहुउद्देशीय सेवा केंद्र के रूप में संचालित करने के लिए सहयोग की अपेक्षा की।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य की ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मजबूती और बेहतर स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए अब तक 104 ग्रोथ सेंटर स्थापित किये जा चुके है। इनके द्वारा लगभग छह करोड़ का व्यवसाय किया गया है। उन्होंने इन ग्रोथ सेंटरों को और व्यापकता प्रदान करने में भी सहयोग की अपेक्षा की। बैठक में नार्बाड के चेयरमैन द्वारा मुख्यमंत्री को राज्य के विकास में हर संभव सहयोग का आश्वासन दिया। नाबार्ड द्वारा कृषि विकास से संबंधित क्षेत्रों के अलावा सामाजिक और सामुदायिक विकास ग्रामीण संयोजकता आदि गतिविधियां शामिल है।

उन्होंने कहा कि राज्य के ग्रामीण और अर्द्ध शहरी क्षेत्रों में अवस्थापना सुविधाओं के विकास के साथ ही अन्य विकासपरक योजनाओं के लिये रूरल इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड के साथ ही नाबार्ड इंफ्रास्ट्रचर फंड के माध्यम से भी वित्तीय समावेशन की व्यवस्था की जाएगी। उन्होंने सूक्ष्म सिंचाई परियोजना पर कार्य तीव्र गति से करने पर भी चर्चा करते हुए कहा कि किसी परियोजना में फंड की कमी पड़ने पर नाबार्ड के नीडा प्रोजेक्ट से ऋण सुविधा उपलब्ध करायी जा सकती है। सहकारी बैंक के लिए लघु ऋण की सीमा 500 करोड़ से 750 करोड़ रुपए कर दी गई है और राज्य सरकार अगर अनुरोध करती है तो यह सीमा और भी बढ़ाई जा सकती है।

उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के सहकारी बैंक को स्थिति अन्य पहाडी राज्यों से बेहतर है। इसका फायदा सहकारी बैंक ले सकते हैं, जिसके तहत नाबार्ड 500 से लेकर 1000 करोड़ रुपए केवल 2-90 प्रतिशत की ब्याज दर से दे सकता है। साथ ही इसके तहत जो अनुपात बनाए रखना होता है। उसमें भी नाबार्ड छूट दे सकता है। आत्म निर्भर भारत के तहत कृषि आधारभूत सुविधा निधि के तहत कृषकों के लिए फसल कटाई उपरांत के प्रबंधन पर ध्यान देने की बात कही। अगर पैक्स नाबार्ड की स्कीम पैक्स-बहु उद्देशीय सेवा केंद्र तथा कृषि आधारभूत सुविधा निधि का लाभ मिलकर लेते हैं तो उन्हें केवल एक प्रतिशत की ब्याज दर पर ऋण सुविधा उपलब्ध हो पाएगी। 

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उन्होंने नाबार्ड की एलईडीपी और एमईडीपी योजनाओं के माध्यम से सुविधा देने पर अपनी सहमति जताई। कृषक उत्पादक संगठन के लिए प्रोहत्सन करने के साथ-साथ ओएफपीओं के गठन पर भी जोर दिया, जिससे जिन लोगो के पास जमीन नहीं है उन्हें भी फायदा मिल सके। इस अवसर पर प्रमुख सचिव आनंद वर्द्धन, सचिव आरके सुधांशु, आर मीनाक्षी सुन्दरम, हररवंश चुघ, विशेष सचिव मुख्यमंत्री डॉ. पराग मधुकर धकाते, अपर सचिव मुख्यमंत्री नीरज खैरवाल, नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक डॉ. ज्ञानेंद्र मणि आदि उपस्थित थे।  

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