मसूरी विधायक गणेश जोशी का एक सैनिक से कैबिनेट मंत्री तक का सफर
सेना में भर्ती होने के बाद राजनीति और मंत्री-विधायक बनने की राह बेहद जुदा हैं। लेकिन गणोश जोशी का सफर इन्हीं राहों पर आगे बढ़ा। पिता की भांति देश सेवा के जज्बे के साथ गणोश जोशी भी सेना में भर्ती हुए।
जागरण संवाददाता, देहरादून। सेना में भर्ती होने के बाद राजनीति और मंत्री-विधायक बनने की राह बेहद जुदा हैं। लेकिन, गणोश जोशी का सफर इन्हीं राहों पर आगे बढ़ा। पिता की भांति देश सेवा के जज्बे के साथ गणोश जोशी भी सेना में भर्ती हुए। भले ही वे ज्यादा सेवा नहीं दे सके, लेकिन इसके बाद उन्होंने राजनीति की दुनिया में जो कामयाबी हासिल की वह जरूर सराहनीय है। तीन बार विधायक रहने के बाद अब गणोश जोशी के नाम पर कैबिनेट मंत्री का तमगा भी लग गया है।
मूल रूप से पिथौरागढ़ जिले के रहने वाले गणोश जोशी का जन्म 1958 में मेरठ में हुआ था। जहां उनके पिता स्वर्गीय श्याम दत्त जोशी भारतीय सेना के जवान के रूप में तैनात थे। पांच भाई-बहनों में दूसरे गणोश जोशी का बचपन मेरठ, हरिद्वार और देहरादून में बीता। वे 1976 से 1983 तक एक सैनिक के रूप में भारतीय सेना में रहे। वर्तमान में वे देहरादून के कालीदास रोड स्थित आवास में रहते हैं।
गणोश जोशी का भाजपा में कॅरियर
1984 में एक सदस्य के रूप में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए। भारतीय जनता युवा मोर्चा के सचिव, देहरादून (1985-89) उपाध्यक्ष, भारतीय जनता युवा मोर्चा, देहरादून (1989-92) अध्यक्ष, भारतीय जनता युवा मोर्चा, देहरादून शहर (1994-96) मंडल प्रभाती, भारतीय जनता युवा मोर्चा, गढ़वाल मंडल (1996-98) सचिव भाजपा, देहरादून (1998-2000) जिला महासचिव, भाजपा, देहरादून महानगर (2000-2002) 2009 में उत्तराखंड विधानसभा की आवास समिति के नामित अध्यक्ष।क्षेत्र में मजबूत पकड़ ने दिलाया कैबिनेट में स्थान
राजपुर और मसूरी क्षेत्र में मजबूत पकड़ ने ही विधायक गणोश जोशी को मंत्रिमंडल में स्थान दिलवाया। 2007 से लगातार विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करा रहे गणोश जोशी भाजपा के मजबूत नेता के रूप में उभरकर आए हैं। जनता से जुड़ाव और क्षेत्र में विकास कार्यों ने उनका कद बढ़ाया। संगठन को सशक्त करने में भी उनकी लगन और निष्ठा पार्टी के पदाधिकारियों से छिपी नहीं है।
शक्तिमान प्रकरण से रहे चर्चाओं में
वर्ष 2016 में राज्य में कांग्रेस की सरकार के दौरान शक्तिमान प्रकरण से भी गणोश जोशी देशभर में चर्चाओं में आ गए थे। विपक्ष में बैठी भाजपा के विधानसभा कूच और प्रदर्शन तब देशभर में चर्चा का विषय बन गया था। क्योंकि इस दौरान उत्तराखंड पुलिस का शक्तिमान घोड़ा प्रदर्शनकारियों बीच घायल हो गया था। बाद में घोड़े की मौत हो गई थी। शक्तिमान घोड़े से गणोश जोशी का नाम जोड़ा गया और उन्हें ही इस घटना के लिए जिम्मेदार ठहराया गया था।
राजनीतिक गतिविधियां 1991 में राम जन्म भूमि आंदोलन के दौरान पुलिस के लाठीचार्ज में घायल और गिरफ्तार। तीन अक्टूबर 1994 को देहरादून के डीआइजी परिसर में उत्तराखंड आंदोलन के दौरान घायल। 16 दिसंबर 1994 को पुलिस नियंत्रण कक्ष में घायल और गिरफ्तार कर 27 दिनों के लिए बरेली सेंट्रल जेल भेज दिया गया।
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