उत्तराखंड के साढ़े छह लाख से ज्यादा छात्रों को इस साल भी नहीं मिलेंगी पाठ्य पुस्तकें, जानिए वजह

उत्तराखंड के साढ़े छह लाख से ज्यादा छात्र-छात्राओं को मुफ्त पाठ्य पुस्तकें चालू शैक्षिक सत्र 2021-22 में भी नहीं मिलेंगी। डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के माध्यम से उनके बैंक खातों में किताबों का पैसा भेजा जाएगा। किताबें उपलब्ध कराने में लगने वाले समय को देखते हुए यह निर्णय लिया।

By Raksha PanthriEdited By: Publish:Sat, 31 Jul 2021 04:10 PM (IST) Updated:Sat, 31 Jul 2021 04:10 PM (IST)
उत्तराखंड के साढ़े छह लाख से ज्यादा छात्रों को इस साल भी नहीं मिलेंगी पाठ्य पुस्तकें, जानिए वजह
उत्तराखंड के साढ़े छह लाख से ज्यादा छात्रों को इस साल भी नहीं मिलेंगी पाठ्य पुस्तकें।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। उत्तराखंड के साढ़े छह लाख से ज्यादा छात्र-छात्राओं को मुफ्त पाठ्य पुस्तकें चालू शैक्षिक सत्र 2021-22 में भी नहीं मिलेंगी। डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के माध्यम से उनके बैंक खातों में किताबों का पैसा भेजा जाएगा। किताबें उपलब्ध कराने में लगने वाले समय को देखते हुए शासन ने यह निर्णय लिया है।

तकरीबन तीन साल से प्रदेश में सरकारी व सहायताप्राप्त अशासकीय विद्यालयों व मदरसों में पढ़ रहे बच्चों को किताबें नहीं मिल पा रही हैं। किसी न किसी कारण से पाठ्य पुस्तकों की छपाई बाधित हो रही है। बीते सत्र में भी कोरोना की वजह से सरकार ने किताबें देने के बजाय डीबीटी के माध्यम से खातों में धनराशि भेजी थी। शिक्षा सचिव राधिका झा ने बताया कि लंबे समय से विद्यालयों में पठन-पाठन सुचारू नहीं हो पाया। अब विद्यालय खोले तो जा रहे हैं, लेकिन मुफ्त पाठ्य पुस्तकें उपलब्ध कराने में समय लगने की संभावना है।

खाते नहीं तो समिति दिलाएगी पैसा

कक्षा एक से आठवीं तक सभी सरकारी, सहायताप्राप्त विद्यालयों व मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों को मुफ्त किताबें मुहैया कराई जाती हैं। इसके अतिरिक्त कक्षा नौ से 12वीं तक अनुसूचित जाति व जनजाति के छात्र-छात्राओं को मुफ्त किताबें देने की व्यवस्था है। अब इन्हें एनसीईआरटी की किताबें खरीदने के लिए डीबीटी के माध्यम से धनराशि स्वीकृत करने की अनुमति दी गई है। शिक्षा सचिव ने बताया कि इस संबंध में महानिदेशक शिक्षा को निर्देश जारी किए गए हैं। जिन छात्र-छात्राओं के बैंक खाते नहीं होंगे, उन्हें विद्यालय प्रबंधन समिति के माध्यम से धनराशि दी जाएगी।

बीईओ, डीईओ व सीईओ जवाबदेह

उन्होंने बताया कि पाठ्य-पुस्तकों की बाजार में उपलब्धता और सभी खातों में धनराशि पहुंचाने के लिए संबंधित खंड शिक्षा अधिकारी, जिला शिक्षा अधिकारी और मुख्य शिक्षाधिकारी को जवाबदेह बनाया गया है। छात्र-छात्राओं को किसी तरह की कठिनाई नहीं होनी चाहिए। उन्होंने बताया कि अगले सत्र से किताबें उपलब्ध कराने के लिए अभी से निविदा प्रक्रिया प्रारंभ करने का निर्णय लिया गया है। समग्र शिक्षा अभियान के अंतर्गत मुफ्त किताबों के लिए केंद्र सरकार राज्य को 21.50 करोड़ की राशि जारी कर चुका है।

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