अमेरिका तक मशहूर हैं थारू जनजाति के मूंज उत्पाद, पढ़िए पूरी खबर
आइटी पार्क में नवनिर्मित दून हाट में कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें पारंपरिक उत्पाद बनाने वाले बुनकर और हस्तशिल्पियों ने अपने अनुभव साझा किए।
देहरादून, जेएनएन। हथकरघा और हस्तशिल्प को बढ़ावा देने के लिए नाबार्ड की ओर से आइटी पार्क में नवनिर्मित दून हाट में शुक्रवार को कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें पारंपरिक उत्पाद बनाने वाले बुनकर और हस्तशिल्पियों ने अपने अनुभव साझा किए। बता दें कि यहां के उत्पाद अमेरिका तक भी मशहूर हैं।
उत्तराखंड हथकरघा और हस्तशिल्प विकास परिषद की कार्यशाला में प्रदेश के 15 अलग-अलग ब्लॉकों में कॉपर, रिंगाल, मूंज आदि के तैयार उत्पादों के बारे में जानकारी दी गई। मूंज की डिजाइनर अभिरूचि चंदेल ने बताया कि वर्तमान में उनके पास दो सौ से अधिक महिलाएं और पुरुष मूंज, तांबा के उत्पादों को बनाते हैं। कार्यशाला में छह महिलाएं मूंज के उत्पाद बना रही हैं। उन्होंने बताया कि खटीमा में मूंज विशेष रूप से थारू जनजाति के लोग ही बनाते हैं। मूंज के उत्पादों में रोटी की टोकरी, प्लांटर, डस्टबिन, फ्रूट बास्केट, ज्वेलरी कंटेनर, टेबल मैट, पेपर वेट आदि बनाए जाते हैं।
अभिरुचि ने बताया कि इन उत्पादों को 80 से 1500 रुपये में ग्राहक आसानी से खरीद लेते हैं। हाल ही में अमेरिका में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उत्तराखंड के उत्पादों की प्रदर्शनी लगाई गई, जहां उत्तराखंड के उत्पादों को खूब पसंद किया गया। दून हाट में राज्य के शिल्पियों द्वारा विकसित किए गए विभिन्न उत्पादों की प्रदर्शनी 16 दिसंबर तक आयोजित की जा रही है। जिसमें हिमाद्री इंपोरियम के साथ प्रदेश के सभी जनपदों के हथकरघा और हस्तशिल्प के स्टॉल लगाए गए हैं। बारिश और ठंड के बाद भी दून हाट में शुक्रवार को लोगों का अच्छा रुझान देखने को मिला।
एपण के उत्पाद की भी विशेष पहचान
एपण संस्था की डिजाइनर ममता जोशी ने कार्यशाला के दौरान बताया कि दून हाट प्रदर्शनी में हल्द्वानी से ऐपण के उत्पाद बनाने वाली आठ महिलाएं आई हुई हैं। जो टेऊ, कोस्टरस, वॉल हैंगिंग, बास्केट, स्टॉल, कुसन, डायरी, फाइल फोल्डर आदि बना रही हैं। प्रदर्शनी में ये सौ रुपये से लेकर छह हजार रुपये तक में उपलब्ध हैं।
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