धार्मिक स्थलों के विकास को 25 लाख खर्च कर सकते हैं विधायक

पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने वर्ष 2014 के शासनादेश की जानकारी देते हुए बताया कि प्राचीन मंदिरों व देवालयों के सौंदर्यीकरण सुदृढ़ीकरण के लिए विधायक प्रतिवर्ष विधायक निधि से 25 लाख रुपये की धनराशि खर्च कर सकते हैं

By Sunil NegiEdited By: Publish:Tue, 02 Mar 2021 07:34 PM (IST) Updated:Tue, 02 Mar 2021 07:34 PM (IST)
धार्मिक स्थलों के विकास को 25 लाख खर्च कर सकते हैं विधायक
पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज। फाइल फोटो

राज्य ब्यूरो, गैरसैंण। देवभूमि उत्तराखंड में पुरातात्विक एवं ऐतिहासिक दृष्टि से संरक्षित 71 स्मारकों व स्थलों के सापेक्ष वर्ष 2017 से अब तक 13 स्मारकों के संरक्षण का कार्य किया गया है। इसके अलावा प्रदेश में विभिन्न मंदिरों के सौंदर्यीकरण एवं जीर्णोद्धार के लिए मुख्यमंत्री की 32 घोषणाओं में से 24 के लिए धनराशि अवमुक्त की जा चुकी है। पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने विधायक देशराज कर्णवाल के सवाल के जवाब में सदन को यह जानकारी दी। उन्होंने वर्ष 2014 के शासनादेश की जानकारी देते हुए बताया कि प्राचीन मंदिरों व देवालयों के सौंदर्यीकरण, सुदृढ़ीकरण के लिए विधायक प्रतिवर्ष विधायक निधि से 25 लाख रुपये की धनराशि खर्च कर सकते हैं। बशर्ते वह पर्यटन विभाग की योजना के तहत सौंदर्यीकरण व सुदृढ़ीकरण के लिए स्वीकृत न हों। विधायक संजय गुप्ता, राजकुमार व कैलाश चंद्र गहतोड़ी ने भी अपने-अपने क्षेत्रों के मंदिरों के सौंदर्यीकरण से संबंधित मसले अनुपूरक के जरिये उठाए।

तिमलीमानसिंह में नजर आएगी उत्तराखंडी संस्कृति

जयपुर के संस्कृति ग्राम चौकीधानी की तर्ज पर उत्तराखंड में भी पहल की जा रही है। इस कड़ी में देहरादून के तिमलीमानसिंह में संस्कृति ग्राम की स्थापना के लिए भूमि चिह्नित करने की कार्यवाही चल रही है। इसके आकार लेने पर यहां उत्तराखंड की सभ्यता-संस्कृति के दर्शन होंगे। पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने विधायक धन सिंह नेगी के सवाल के जवाब में सदन को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इसके अलावा अन्य कोई संस्कृति ग्राम विकसित किए जाने की योजना नहीं है। उन्होंने विधायक केदार सिंह रावत, विनोद चमोली के अनुपूरक प्रश्नों के जवाब में विरासत का अंगीकार योजना में सिमली, चंद्रबनी-गौतम कुंड के संरक्षण पर विचार करने की बात भी कही।

सारकोट की कोर्ट का संरक्षण संभव नहीं

ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण से महज आठ किमी के फासले पर स्थित ग्राम पंचायत सारकोट में स्थित ऐतिहासिक कोर्ट भवन को संरक्षित करना संभव नहीं है। पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने बताया कि क्षेत्रीय पुरातत्व इकाई से सारकोट का निरीक्षण कराया गया था। उसकी रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐतिहासिक कोर्ट का भवन पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुका है। ऐसे में इसे पुराने स्वरूप में संरक्षित किया जाना संभव नहीं है। अंग्रेजी हुकूमत के दौरान सारकोट में कोर्ट लगती थी।

बाढ़ सुरक्षा को चल रही 459 करोड़ की 218 योजनाएं

सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज ने विधायक देशराज कर्णवाल के सवाल के उत्तर में बताया कि उत्तराखंड बनने के बाद राज्य में सिंचाई विभाग द्वारा बाढ़ सुरक्षा की 1185 योजनाएं पूरी की गई हैं। वर्तमान में 459 करोड़ की लागत की 218 योजनाएं निर्माणाधीन हैं। विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन के अनुपूरक प्रश्न पर महाराज ने बताया कि खानपुर विधानसभा क्षेत्र में बालावाली से खानपुर तक गंगा से हो रहे भूमि कटाव के मद्देनजर बाढ़ सुरक्षा के सिलसिले में प्रस्ताव जलशक्ति मंत्रालय को भेजा गया है। विधायक राजकुमार व महेंद्र भट्ट के अनुपूरक प्रश्नों पर सिंचाई मंत्री ने पुरोला क्षेत्र में यमुना किनारे बाढ़ सुरक्षा कार्य और बाढ़ नियंत्रण को आपदा प्रबंधन में शामिल करने के सुझाव पर विचार करने की बात भी कही।

सिंचाई मंत्री ने विधायक संजीव आर्य के प्रश्न पर बताया कि नैनीताल जिले के कोटाबाग विकासखंड के ग्राम ओखलढूंगा में लघुडाल सिंचाई योजना के मद्देनजर प्रस्ताव नाबार्ड को भेजा गया है। विधायक सहदेव पुंडीर के प्रश्न पर उन्होंने बताया कि सहसपुर विधानसभा क्षेत्र में स्वारना, आसन, शीतला, यमुना समेत अन्य नदियों से भू-कटाव रोकने के मद्देनजर प्रभावित क्षेत्र चिह्नित कर सुरक्षा के लिए योजनाएं बनाई गई हैं। विधायक प्रीतम सिंह पंवार के प्रश्न के उत्तर में उन्होंने बताया कि सरकार ने मासरताल-महिडांडा, बूढ़ाकेदार-मासरताल, जखोल-सरूताल, फेडखाल-हरियालीसैंण व बेनीताल-जंगलचट्टी ट्रैक रुटों के लिए 97 लाख की धनराशि स्वीकृत की है। विधायक दिलीप रावत के अनुपूरक प्रश्न पर उन्होंने जानकारी दी कि ऐतिहासिक गुजड़ूगढ़ी के लिए प्रस्ताव आता है तो इस पर विचार किया जाएगा।

फिलहाल नाले को ढकने से होगी दिक्कत

सिंचाई मंत्री महाराज ने विधायक खजानदास के प्रश्न के उत्तर में कहा कि देहरादून में चंदरनगर में खुला बह रहा नाला वहां के बरसाती पानी और घरेलू ड्रेनेज निकास का एकमात्र साधन है। नाले को ढक देने से मानसून में दिक्कत आएगी, क्योंकि इसकी गहराई कम है। नाले को फिलहाल ढकना अवैज्ञानिक व अनुचित होगा। उन्होंने कहा कि देहरादून शहर का ड्रेनेज प्लान तैयार होने के बाद ही इस नाले को ढकने के संबंध में विचार किया जाएगा। विधायक विनोद चमोली ने कहा कि नालों व नदियों से होने वाली दिक्कतों को दूर करने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में नाबार्ड से धनराशि मंजूर हो जाती है, मगर शहरी क्षेत्रों में ऐसा नहीं है। इस पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है।

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