सीआर मसले पर मंत्रियों को संगठन का साथ, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बोले- नौकरशाही पर अंकुश जरूरी
मंत्री रेखा आर्य द्वारा विभागीय निदेशक के खिलाफ उठाए गए अप्रत्याशित कदम के बाद से राज्य में नौकरशाही का मुद्दा फिर से सुर्खियों में है। इस बात से खफा हैं कि विधान होने के बावजूद सचिवों की गोपनीय चरित्र प्रविष्टि लिखने को उन तक फाइल नहीं भिजवाई जाती।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। महिला सशक्तीकरण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रेखा आर्य द्वारा विभागीय निदेशक के खिलाफ उठाए गए अप्रत्याशित कदम के बाद से राज्य में नौकरशाही का मुद्दा फिर से सुर्खियों में है। मंत्री इस बात से खफा हैं कि विधान होने के बावजूद सचिवों की गोपनीय चरित्र प्रविष्टि लिखने के लिए उन तक फाइल ही नहीं भिजवाई जाती। इस मसले पर अब भाजपा संगठन ने भी मंत्रियों के सुर में सुर मिलाया है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत ने मंत्रियों की पैरोकारी करते हुए कहा कि नौकरशाही पर अंकुश को जरूरी है कि सचिवों की सीआर मंत्री लिखें।
नौकरशाही की मनमानी की खबरें तो उत्तराखंड के अस्तित्व में आने के बाद से सुर्खियां बनती आ रही हैं। अलबत्ता, सचिवों की सीआर लिखने के लिए मंत्रियों तक फाइल न भेजने की बात तब सामने आई, जब राज्यमंत्री रेखा आर्य और महिला सशक्तीकरण बाल विकास विभाग के निदेशक के बीच विवाद के प्रकरण में मंत्री सतपाल महाराज आर्य के पक्ष में आगे आए। मंत्रियों को अपने इस अधिकार की जानकारी तो है, लेकिन शासन स्तर से किसी भी सचिव की सीआर लिखने के लिए उन तक फाइल भेजी ही नहीं जाती। इससे मंत्री खफा भी हैं।
हालांकि, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने साफ किया था कि सचिवों की संख्या कम होने और एक ही सचिव के पास कई-कई विभाग होने की वजह से व्यावहारिक दिक्कतें भी हैं। शनिवार को इस मामले में संपर्क करने पर मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने दोहराया कि सचिवों की सीआर मंत्रियों द्वारा लिखने का प्रविधान पहले से ही है।
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अब इस प्रकरण में भाजपा संगठन का मंत्रियों को साथ मिला है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत ने कहा कि नौकरशाही को लेकर सरकार व संगठन गंभीर है। वह भी मानते हैं कि नौकरशाही पर अंकुश लगाने को आवश्यक है कि विभागीय सचिवों की सीआर मंत्री लिखें। जहां तक राज्यमंत्री आर्य और निदेशक के मध्य चल रहे प्रकरण का सवाल है तो अधिकारी को प्रोटोकाल का ध्यान रखना चाहिए था।
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