महानगर कांग्रेस कार्यकर्त्ताओं ने बिजली के बढ़े दाम के खिलाफ सरकार का पुतला फूंका
महानगर कांग्रेस कार्यकर्त्ताओं ने बिजली के दाम में की गई बढ़ोतरी के खिलाफ प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में केंद्र व राज्य सरकार का पुतला दहन किया। महानगर कांग्रेस अध्यक्ष लालचंद शर्मा ने कहा कि सरकार ने बिजली के दाम में वृद्धि कर गरीब जनता का शोषण किया है।
जागरण संवाददाता, देहरादून। महानगर कांग्रेस कार्यकर्त्ताओं ने बिजली के दाम में की गई बढ़ोतरी के खिलाफ प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में केंद्र व राज्य सरकार का पुतला दहन किया। महानगर कांग्रेस अध्यक्ष लालचंद शर्मा ने कहा कि सरकार ने बिजली के दाम में वृद्धि कर गरीब जनता का शोषण किया है। जबसे केंद्र व राज्य में भाजपा सत्ता में आई है, तब से बिजली के दाम में भारी वृद्धि हुई है। इससे गरीब आदमी पर बोझ बढ़ता जा रहा है। उन्होंने कहा उत्तराखंड में बिजली के दाम बढ़ाने के निर्णय से लाखों परिवारों की आजीविका पर संकट उत्पन्न हो जाएगा। बिजली की दाम में वृद्धि सीधे तौर पर बिजली कंपनियों को लाभ पहुंचाने वाली है।
भाजपा के शासन में रसोई गैस, पेट्रोल, डीजल के दाम में दोगुने से अधिक की वृद्धि हो चुकी है। कोरोना काल के दौरान बिल माफ करने होंगे। अन्यथा जनमानस को मजबूर होकर सड़कों पर उतरना पड़ेगा। पूर्व विधायक राजकुमार ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक ओर उज्ज्वला योजना का ढिंढोरा पीट रहे हैं, वहीं रसोई गैस के बढ़े दाम का असर सीधे रसोई पर पड़ रहा है। प्रदर्शन में मुकेश सोनकर, अजय बेनिवाल, सुनील कुमार बांगा, राहुल प्रताप, मदन कोहली, पुनीत कुमार, अनूप कपूर, आशीष सक्सेना, अर्जुन सोनकर, भरत शर्मा, सूर्य प्रताप राणा आदि शामिल रहे।
निजीकरण पर तत्काल रोक लगाए सरकार
अनुसूचित जाति जनजाति शिक्षक एसोसिएशन ने निजीकरण पर तत्काल रोक लगाने की मांग की है। इस संबंध में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री को ऑनलाइन ज्ञापन प्रेषित किया है। एसोसिएशन ने कहा कि निजीकरण से केवल कर्मचारियों के हितों का हनन होगा और जनता पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा। एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष संजय भाटिया ने कहा कि कार्मिकों को सुविधाएं देने के लिए श्रम कानून में नियमित सुधार की जरूरत है।
शिक्षा का राष्ट्रीयकरण किया जाए एवं चिकित्सा के क्षेत्र में स्वास्थ्य, चिकित्सालय एवं चिकित्सा शिक्षा संस्थान व प्रशिक्षण संस्थानों को केंद्र व राज्य सरकारों के अधीन किया जाना चाहिए। देश और प्रदेश के विभिन्न विभागों से संबंधित संस्थाओं का राष्ट्रीयकरण करते हुए सभी अधिकार केंद्र व राज्य सरकार अपने पास रख सकती हैं। सभी विभागों के कार्मिकों के लिए केंद्र व राज्य सरकार उनकी सेवा शर्तों के लिए अधिनियम बनाए। जिससे सभी कार्मिकों में कार्य के प्रति उत्साह, अधिकार, कर्तव्य पालन की स्वीकृति बनी रहे। केंद्र व राज्य स्तर पर किसी भी विभाग का निजीकरण तत्काल बंद किया जाए।
देश में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए अखिल भारतीय न्यायिक सेवा का गठन किया जाए। जिससे सभी प्रकार के मुकदमों को निष्पक्षता से निश्चित समय में हल किया जाना सुनिश्चित किया जा सके। नई पेंशन योजना को तत्काल बंद करते हुए पुरानी पेंशन योजना को बहाल किया जाए।
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