उत्तराखंड के विवि महकेंगे औषधीय पौधों की खुशूबू से, जानिए किनकी है ये पहल

उत्तराखंड के राजकीय और निजी विश्वविद्यालय परिसर औषधीय पौधों से महकेंगे। उच्च शिक्षा निदेशालय की पहल अगर परवान चढ़ी तो विवि की खाली पड़ी भूमि पर विवि प्रशासन औषधीय पौधों की खेती करेगा। अभी तक एसजीआरआर ही अपनी भूमि पर फूलों के औषधीय पौधों की खेती करता है।

By Raksha PanthriEdited By: Publish:Sat, 16 Jan 2021 01:20 PM (IST) Updated:Sat, 16 Jan 2021 01:20 PM (IST)
उत्तराखंड के विवि महकेंगे औषधीय पौधों की खुशूबू से, जानिए किनकी है ये पहल
उत्तराखंड के विवि महकेंगे औषधीय पौधों की खुशूबू से।

जागरण संवाददाता, देहरादून। उत्तराखंड के राजकीय और निजी विश्वविद्यालय परिसर औषधीय पौधों से महकेंगे। उच्च शिक्षा निदेशालय की पहल अगर परवान चढ़ी तो विवि की खाली पड़ी भूमि पर विवि प्रशासन औषधीय पौधों की खेती करेगा। अभी तक श्रीगुरू राम राय विवि अपनी भूमि पर फूलों के साथ-साथ जैविक उत्पादों और औषधीय पौधों की खेती करता है। 

इसकी विधिवत शुरुआत दून विवि परिसर से यहां के कार्यवाहक कुलपति डॉ. सुनील जोशी ने की है। उन्होंने पिछले दिनों विवि परिसर का दौरा कर प्रशासनिक अधिकारियों को निर्देशित किया था कि वह खाली भूमि पर औषधीय पौधों को लगाएं। इस संबंध में हाल में कुलसचिव डॉ. एमएस मंद्रवाल को कुलपति की ओर से पत्र मिला है, जिसमें सभी प्रकार के औषधीय पौधों को लगाने और पौधे उद्यान विभाग से मंगवाने के बारे में कहा गया है।

राज्य के अन्य विवि जैसे श्रीदेव सुमन विवि के दो परिसर बादशाहीथौल और ऋषिकेश परिसर में काफी भूमि हैं, जहां पर औषधीय पौधों की खेती की जा सकती है। इसी प्रकार उत्तराखंड तकनीकी विवि और देव संस्कृति विवि के पास भी अपनी भूमि है जहां औषधीय पौधों की खेती की जा सकती है। उच्च शिक्षा विभाग का मानना है कि इससे न केवल औषधीय पौधों को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि इससे शोध के छात्रों को भी मदद मिलेगी। 

प्रदेश के 11 राजकीय विवि में करीब पांच सौ से अधिक छात्र-छात्राएं विभिन्न क्षेत्रों में शोध करते हैं, जिनमें से एक सौ के करीब शोद्यार्थी उद्यान और कृषि पाठ्यक्रमों में शोध कर रहे हैं। औषधीय पौधे इन छात्रों के लिए उपयोगी हैं। अगर योजना परवान चढ़ी तो प्रदेश के विवि परिसर औषधीय पौधों से महकेंगे।

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