महापौर ने ढोल बजाकर किया समारोह का उद्घाटन, विभिन्न जिलों की टीमों ने किया कला का प्रदर्शन

लोकसंस्कृति को बढ़ाने और ग्रामीण उत्पादों को बाजार उपलब्ध कराने के लिए दो दिवसीय उत्तराखंड लोकवाद्य यंत्र प्रस्तुतीकरण हस्तशिल्प प्रदर्शनी सम्मान समारोह रेंजर्स ग्राउंड में शुरू हो गया है। पहले दिन विभिन्न जिलों से पहुंची टीमों ने अपनी कला का प्रदर्शन किया।

By Raksha PanthriEdited By: Publish:Sat, 23 Oct 2021 01:53 PM (IST) Updated:Sat, 23 Oct 2021 07:25 PM (IST)
महापौर ने ढोल बजाकर किया समारोह का उद्घाटन, विभिन्न जिलों की टीमों ने किया कला का प्रदर्शन
महापौर ने ढोल बजाकर किया समारोह का उद्घाटन।

जागरण संवाददाता, देहरादून। उत्तराखंड की लोकसंस्कृति को बढ़ावा देने और ग्रामीण उत्पादों को बाजार उपलब्ध कराने के लिए चारधाम अस्पताल की ओर से दो दिवसीय उत्तराखंड विरासत 'उत्तराखंड लोकवाद्य यंत्र प्रस्तुतीकरण, हस्तशिल्प प्रदर्शनी सम्मान समारोह' रेंजर्स ग्राउंड में शुरू हो गया। पहले दिन विभिन्न जिलों से पहुंचे 40 से अधिक कलाकारों ने ढोल-दमाऊं, डौंर-थाली, रणसिंघा, मशकबीन, हुड़का, छोलिया नृत्य से अपनी कला का प्रदर्शन किया। आज उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले कलाकारों को सम्मानित किया जाएगा।

शनिवार को कार्यक्रम का उद्घाटन महापौर सुनील उनियाल गामा ने ढोल बजाकर किया। इसके बाद उन्होंने स्वयं सहायता समूहों द्वारा परिसर में लगाए गए पहाड़ी और हस्तशिल्प उत्पाद देखे और सराहना की। चारधाम अस्पताल के निदेशक डा. केपी जोशी ने कहा कि कार्यक्रम का उद्देश्य लोककला को आगे बढ़ाना और कलाकारों को प्रोत्साहित करना है। उन्होंने कहा कि कभी पहाड़ में 50 तरह के वाद्य यंत्र होते थे जो अब घटकर 15 रह गए हैं, ऐसे में इनका संरक्षण जरूरी है। ग्राम स्तर पर बनाई गई हस्तशिल्प कला का प्रचार जरूरी है। इसके बाद ब्रह्मकमल दल ने नंदा राजजात यात्रा की झांकी, राजकीय इंटर कालेज चोपता रुद्रप्रयाग के छात्रों ने ढोल दमाऊं के माध्यम से भगवान तुंगनाथ की आराधना, बग्वाल गीत, मंडाण की प्रस्तुति दी। अनिरुद्ध बिष्ट ने ढोल पर विभिन्न ताल प्रस्तुत किए। उत्तरकाशी के केवलगांव के राकेशदास व उनके पुत्र रकमदास, चमोली के हरीश व जयदास ने ढोल दमाऊं व मशकबीन जबकि बागेश्वर के कलाकारों ने छोलिया नृत्य प्रस्तुत किया।

पहाड़ी रसोई का उठाया आनंद

रेंजर्स ग्राउंड में सरस्वती जागृति स्वयं सहायता समूह की ओर से पहाड़ी रसोई में दाल के पकोड़े, झंगोरे की खीर, अर्सा आदि व्यंजनों का लोग ने जमकर लुत्फ उठाया।

ये भी रहे मौजूद

डीजीपी अशोक कुमार, पूर्व आइपीएस जीएस मर्तोलिया, उद्योग विभाग के निदेशक सुधी नौटियाल, महापौर की पत्नी शोभा उनियाल, कांग्रेस महानगर अध्यक्ष लालचंद शर्मा, अशोक वर्मा, उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मंच के प्रदेश अध्यक्ष जगमोहन सिंह नेगी, जिलाध्यक्ष प्रदीप कुकरेती, डा. महेश कुड़ि‍याल, डा. विपुल कंडवाल, डा. अजीत गैरोला, बीना बैंजवाल, गणेश कुकशाल गणी, अजय जोशी।

लोक संस्कृति का संरक्षण जरूरी: नेगी

समारोह में पहुंचे लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी ने कहा कि जिस लोक संस्कृति को बचाने के लिए राज्य बना उसका संरक्षण जरूरी है। पद्मश्री प्रीतम भरतवाण ने कहा कि प्रत्येक स्तर पर ढोल का सम्मान होना चाहिए।

गाय के गोबर के दीये, हवन कुंड खरीदने को उमड़ी भीड़

परिसर में ग्राम स्तर पर बनाई गई हस्तशिल्प कला प्रदर्शनी के साथ ही स्वयं सहायता समूहों की ओर से 15 उत्पादों के स्टाल सजाए गए। इनमें गाय के गोबर से बने दीये, हवन कुंड, आर्गेनिक खाद, मोमबत्ती, ऐपण, पेंटिंग, सिल्क थ्रेड की ज्वेलरी, रिंगाल के पारंपरिक उत्पाद पूजा टोकरी, पूजा मैट, गुलदस्ता, झूमर, सब्जी टोकरी की खूब खरीदारी हुई। असहायक जन कल्याण सेवा समिति की अध्यक्ष बलबीर कौर नौटियाल ने बताया कि यदि इसी तरह बाजार मिलता रहे तो समूह भी आर्थिक तौर पर मजबूत होंगे।

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