हाथियों से रिश्ते सुधारने को बनेगा राष्ट्रीय स्तर पर मास्टर प्लान

मानव और हाथियों के बीच बढ़ रहे संघर्ष को रोकने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर मास्टर प्लान तैयार किया जाएगा। देशभर के विशेषज्ञों ने इस संबंध में सुझावों की सूची बना ली है।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Wed, 22 Jan 2020 01:41 PM (IST) Updated:Wed, 22 Jan 2020 08:25 PM (IST)
हाथियों से रिश्ते सुधारने को बनेगा राष्ट्रीय स्तर पर मास्टर प्लान
हाथियों से रिश्ते सुधारने को बनेगा राष्ट्रीय स्तर पर मास्टर प्लान

देहरादून, जेएनएन। मानव और हाथियों के बीच बढ़ रहे संघर्ष को रोकने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर मास्टर प्लान तैयार किया जाएगा। देशभर के विशेषज्ञों ने इस संबंध में सुझावों की सूची बना ली है। यह सूची केंद्र सरकार को भेजी जा रही है। सभी राज्य मास्टर प्लान को अपनी सुविधानुसार लागू करेंगे। 

हाथी-मानव संघर्ष और उसके निदान को लेकर दून में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला संपन्न हुई। मोहब्बेवाला स्थित एक होटल में हुई कार्यशाला में हाथियों के व्यवहार और संघर्ष के कारणों पर देश के 11 राज्यों के 60 विशेषज्ञों ने चर्चा की और राष्ट्रीय स्तर का मसौदा तैयार किया। कार्यशाला का आयोजन पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रलय के प्रोजेक्ट एलीफैंट डिविजन की ओर से किया गया था। डिविजन के निदेशक नोयल थॉमस ने कहा कि वनों में बढ़ते मानव हस्तक्षेप से हाथियों के व्यवहार में बदलाव आया है। जिससे मानव के साथ ही हाथियों को भी नुकसान उठाना पड़ रहा है।

उन्होंने बताया कि कार्यशाला में संघर्ष रोकने और हाथियों के संरक्षण को कई सुझाव प्राप्त हुए। इनमें मुख्य रूप से हाथियों के निवास प्रबंधन से संबंधित हैं। वन क्षेत्रों के आसपास बसे लोगों को जागरूक करने और माइग्रेट करने पर भी जोर दिया गया। वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के निदेशक धनंजय मोहन ने सभी राज्यों को अपने स्तर पर इसे रोकने को व्यापक प्रयास करने की सलाह दी। एलीफैंट सेल की राष्ट्रीय समन्वयक प्रजना पांडा ने बताया कि इस कार्यशाला में ग्रामीणों के सामने आने वाली समस्याओं के निदान के लिए भी विस्तृत कार्ययोजना बनाई गई है।

केंद्र को भेजे गए प्रमुख सुझाव

वन क्षेत्रों में हाथियों के लिए खाना और पानी के स्रोत बढ़ाने के प्रयास किए जाएं। (फोडर, बैंबू आदि की व्यवस्था, छोटी-छोटी झीलों का निर्माण) वन क्षेत्रों की सीमा पर खेती के पैटर्न में बदलाव (गन्ना की बजाय अन्य फसलें) कॉरिडोर से गुजरने वाले रेलवे ट्रैक और हाईवे पर हाथियों की चहलकदमी की पूर्व सूचना देना। लोगों के साथ समन्वय बनाकर सामाजिक सहभागिता बढ़ाना। लोगों को जागरूक करने के साथ ही उन्हें हाथियों के संबंध में प्रशिक्षण देना। वैज्ञानिक तरीकों से हाथियों को सुरक्षा व अनुकूल वातावरण मुहैया कराना सरकार की योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन को राज्यों में रणनीति बनाना। वन भूमि से अतिक्रमण हटाने और हाथियों के लिए गश्त का अधिक क्षेत्र प्रदान करना।

रायपुर क्षेत्र में शिकारियों की दस्तक

रायपुर रेंज में शिकारियों की सक्रियता बढ़ने की संभावना को देख वन विभाग सतर्क हो गया है। विभाग की टीम ने वन क्षेत्र में गश्त तेज कर दी है। सोमवार को पकड़े गए दो शिकारियों के बाद से अन्य शिकारियों के भी सक्रिय होने की आशंका जताई जा रही है।

दून शहर से सटे वन क्षेत्रों में इन दिनों शिकारी सक्रिय हैं। तीतर, बटेर से लेकर खरगोश और अन्य छोटे जीवों को निशाना बनाने की फिराक में शिकारी जाल बिछा रहे हैं। बीते सोमवार को रायपुर रेंज में वन विभाग की टीम ने वन्यजीवों के शिकार के लिए जाल बिछाते दो युवकों को रंगे हाथों गिरफ्तार किया।

सहस्रधारा रोड पर हेलीपैड के पास दो युवक तीतर, बटेर के शिकार की तैयारी में थे। आरोपितों पर वन्यजीव संरक्षण अधिनियम में मुकदमा दर्ज किया गया है। रायपुर रेंज के वन क्षेत्रधिकारी राकेश नेगी ने बताया विभाग के मुखबिरों से शिकारियों की सक्रियता की सूचनाएं मिल रही हैं। सोमवार को भी जाल बिछा रहे युवकों की सूचना मिली तो उन्हें रंगे हाथों दबोच लिया गया। इसके अलावा अन्य शिकारियों की भी तलाश की जा रही है। शिकार रोकने के लिए वन क्षेत्र में गश्त तेज कर दी गई है। सुबह और शाम के समय विभाग की टीम शिकारियों और फंदों की तलाश कर रही है।

यह भी पढ़ें: राजाजी लैंडस्केप के 60 गांवों होगी में वालेंटरी प्रोटेक्शन फोर्स

आरोपित कोर्ट में पेश

वन्यजीवों के शिकार का प्रयास कर रहे दो युवकों को वन विभाग की टीम ने सोमवार को रंगे हाथों दबोचा था। मंगलवार को खुड़बुड़ा निवासी दोनों आरोपितों गोपाल व चिंटू को कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया। 

यह भी पढ़ें: उत्तराखंड में अब जनवरी नहीं फरवरी में होगी मगरमच्छ, घड़ि‍याल और ऊदबिलाव की गणना

chat bot
आपका साथी