अनुच्छेद 370 हटाने पर शहीदों के परिजन बोले, रक्तपात युग का होगा अंत
अनुच्छेद 370 हटाने को शहीदों के परिजनों ने भी एक साहसिक कदम बताया है। उनका कहना है कि आतंक की आग में सुलगता कश्मीर आज देश के लिए सबसे बड़ी समस्या बन चुका है।
देहरादून, जेएनएन। कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने को शहीदों के परिजनों ने भी एक साहसिक कदम बताया है। उनका कहना है कि आतंक की आग में सुलगता कश्मीर आज देश के लिए सबसे बड़ी समस्या बन चुका है। जिस कारण कई परिवारों ने अपनों को खोया है। हर अंतराल बाद किसी न किसी की शहादत की खबर आती है। उम्मीद है कि इससे रक्तपात युग का अंत होगा।
अनंतनाग में शहीद हुए दीपक नैनवाल की पत्नी ज्योति कहती हैं कि कश्मीर समस्या हल करने के लिए हमें दृढ़ राजनीतिक इच्छाशक्ति की जरूरत है। इस समस्या केनिदान के दो पहलू हैं। पहला अलगाववादियों का सख्ती से दमन और दूसरा कश्मीर घाटी में जन सांख्यिकी संतुलन। अनुच्छेद 370 हटने के बाद ये समस्या काफी हद तक दूर हो जाएगी। आतंकवाद के कारण कई मांओं की गोद सूनी हुई, कईयों को विधवा होना पड़ा और कई बच्चे अनाथ हो गए। वर्षों से ये सिलसिला चला आ रहा था। पर उम्मीद है कि अब इस पर लगाम लगेगी।
जम्मू कश्मीर के सुजवां में हुए आतंकी हमले में शहीद हुए राकेश रतूड़ी के चाचा शेखरानंद रतूड़ी कहते हैं कि कश्मीर में आतंकवाद की बड़ी वजह अनुच्छेद 370 था। इसकी वजह से घाटी में आतंक बढ़ा और पनपा। इसे देशहित में हटाया जाना बहुत जरूरी था। क्योंकि कश्मीर एक लंबे समय से आतंक की आग में झुलस रहा है। आए दिन हमारे किसी न किसी सैनिक की शहादत की खबर आती है। ये सिलसिला अब बंद होना चाहिये। उम्मीद है कि सरकार के इस कदम से आतंक का खात्मा होगा और शांति बहाल होगी।
पुलवामा हमले में शहीद हुए सीआरपीएफ के एएसआइ मोहनलाल रतूड़ी की बेटी वैष्णवी कहती हैं कि जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और रहेगा। दहशतगर्दी ने न केवल कश्मीर की को नुकसान पहुंचाया है, बल्कि अब तक सैकड़ों सैनिकों की शहादत हो चुकी है। इस पर लगाम लगना बहुत जरूरी था। आतंकियों व अलगाववादियों का सख्ती से दमन होना चाहिये। अनुच्छेद 370 हटाकर सरकार ने जो मजबूत इच्छाशक्ति दिखाई है, उससे उम्मीद जगी है कि आने वाला कल कुछ बेहतर होगा।
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