जमीन की नापजोख कर कार्रवाई करना भूला तहसील प्रशासन
पंचायती जमीन को लेकर तहसील प्रशासन किस तरह संवेदनहीन बना हुआ है इसकी बानगी ऋषिकेश के ग्रामीण क्षेत्र में देखी जा सकती है।
संवाद सूत्र, रायवाला : पंचायती जमीन को लेकर तहसील प्रशासन किस तरह संवेदनहीन बना हुआ है, इसकी बानगी ऋषिकेश के ग्रामीण क्षेत्र में देखी जा सकती है। जिलाधिकारी के आदेश पर एक वर्ष पहले तमाम पंचायती जमीनों का चिह्नीकरण तो किया गया, लेकिन इसके बाद कोई कार्रवाई नहीं की गई। लिहाजा इन जमीनों पर न केवल फिर से कब्जे बल्कि पक्के निर्माण भी हो गए।
बात केवल साहबनगर ग्राम सभा की करें तो यहां तहसील प्रशासन ने बीते वर्ष छह अक्टूबर को ऐसी करीब पांच बीघा भूमि पर चिह्नीकरण किया था, जो कि किसी न किसी के कब्जे में थी। यह भूमि ग्राम पंचायत के सुपुर्द की जानी थी। तब ज्यादातर जमीनों पर खेती की जा रही थी, लिहाजा तहसील प्रशासन ने कुछ वक्त की मोहलत दे दी। इसी बात का फायदा उठाकर कब्जाधारियों ने यह जमीन प्रापर्टी डीलरों को बेच दी। सूरत-ए-हाल यह है कि जमीन पर सड़क बनाकर और प्लाट काटे जा चुके हैं। ऐसा नहीं है कि तहसील प्रशासन को इसकी जानकारी ना हो। साहबनगर के ग्राम प्रधान ध्यान सिंह असवाल ने बताया कि इस बारे में बकायदा ज्ञापन देकर कई बार अधिकारियों को सूचित किया गया लेकिन किसी ने भी इस मामले में कार्रवाई करने की जहमत नहीं उठाई। इसी तरह की स्थिति रायवाला व गौहरीमाफी में भी है।
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अब धरने पर बैठेंगे ग्रामीण
सोमवार को ग्रामीणों ने तहसीलदार के माध्यम से उपजिलाधिकारी को पंचायती जमीन पर हुई प्लाटिग के छायाचित्र व खसरा नंबर सहित ज्ञापन दिया। ग्राम प्रधान ने बताया कि यदि अब भी कार्रवाई नहीं हुई तो ग्रामीण धरने पर बैठने को मजबूर होंगे। वहीं तहसीलदार डा. अमृता शर्मा ने कहा कि इस मामले में तुरंत कार्रवाई र पंचायती भूमि कब्जा मुक्त की जाएगी। ज्ञापन देने वालों में संतोषी शर्मा, बरखा थापा, राखी कश्यप, सपना, आरती माझी, गीता रावत, राहुल, जितेंद्र सिंह शामिल थे।
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नदी नालों के किनारे हो रही प्लाटिग
रायवाला : छिद्दरवाला व साहबनगर में नदी नालों की जमीनों पर भी अवैध कब्जे का खेल चल रहा है। दरअसल नदी के किनारे की भूमि हथियाने के लिए भूमाफिया आसपास की कुछ रजिस्टर्ड जमीन को औने-पौने दाम पर खरीदते हैं। फिर इसके बाद मौका मिलते ही नदी नालों पर अवैध निर्माण कर इस जमीन को भी हथिया लेते हैं। इतना ही नहीं क्षेत्र में कृषि भूमि का लैंड यूज चेंज किए बगैर भी बड़े पैमाने प्लाटिग हुई है। इससे सरकार को भी चूना लगाया जा रहा है। वहीं प्रोपटी डीलर और बिल्डर नदी नालों की धारा मोड़ने से भी गुरेज नहीं कर रहे।