बाजार में शुरू हुई बूढ़ी दीपावली के लिए कपड़े की खरीद

साहिया दीपावली पर्व के ठीक एक माह बाद जौनसार के करीब दो सौ गांवों में पांच दिन बाद मनाए जाने वाले पर्व कीह तैयारियां इन दिनों जोरों पर है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 26 Nov 2020 04:42 AM (IST) Updated:Thu, 26 Nov 2020 04:42 AM (IST)
बाजार में शुरू हुई बूढ़ी दीपावली के लिए कपड़े की खरीद
बाजार में शुरू हुई बूढ़ी दीपावली के लिए कपड़े की खरीद

संवाद सूत्र, साहिया: दीपावली पर्व के ठीक एक माह बाद जौनसार के करीब दो सौ गांवों में पांच दिवसीय बूढ़ी दीपावली मनाई जाती है। इस पर्व के नजदीक आते ही स्थानीय बाजारों में खरीदारों की संख्या बढ़ने लगी है। ग्राहकों के उत्साह को देखते हुए साहिया बाजार में फेरीवालों ने भी दुकानें सजानी शुरू कर दी है। पर्व पर गर्म कपड़े खरीदने को ग्रामीण स्थानीय बाजारों में आने लगे हैं, जिससे व्यापारियों के भी चेहरे खिल उठे हैं।

14 नवंबर को देश में दीपावली का जश्न मनाया गया, इसके ठीक एक माह बाद बाद जौनसार-बावर में बूढ़ी दीपावली मनाई जाती है। जनजाति क्षेत्र में ग्रामीण देश के साथ दीपावली मना भी चुके हैं, लेकिन जौनसार के अधिकांश गांवों में अभी भी बूढ़ी दीपावली मनाने का ही रिवाज है। बूढ़ी दीपावली पर पांच दिन तक पंचायती आंगन जौनसार की अनूठी लोक संस्कृति से गुलजार रहते हैं। इस पर्व के चलते स्थानीय बाजारों के साथ ही विकासनगर बाजार में भी खूब खरीदारी होती है। देहरादून जिले की तीन तहसीलों कालसी, चकराता व त्यूणी और दो विकास खंड कालसी व चकराता में बंटे जनजाति क्षेत्र जौनसार-बावर अपनी अनूठी लोक संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है। यहां के तीज त्योहार, शादी समारोह को मनाने के तरीके भी निराले हैं। इस पर्व के मनाने के पीछे बुजुर्गों का मानना है कि भगवान श्रीराम के अयोध्या आने की सूचना पर्वतीय क्षेत्र में होने के कारण लोगों को देर से मिली, जबकि कई का तर्क है कि जिस समय पूरे देश में दीपावली होती है तो पर्वतीय क्षेत्र में खेतों में काम अधिक होता है। खैर कारण कुछ भी हो जौनसार के साथ ही हिमाचल के सिरमौर जिले व टिहरी के रवाईं में भी कई जगह बूढी दीपावली मनाने का रिवाज है।

----------------

हर घर से उठती है चिउड़ा मूडी की महक

साहिया: जौनसार के गांवों में हर घर से विशेष व्यंजन चिउडा मूडी की उठ रही महक अहसास करा रही है कि बूढ़ी दीवाली नजदीक है। विशेष व्यंजन तैयार करने को ग्रामीण महिलाओं में विशेष उत्साह दिखाई दे रहा है। पांच दिवसीय इस पर्व में जंदोई, आंवोस, होलियात व भीरूडी का जश्न मनाया जाता है। जौनसार के गांवों में ओखली में धान कूटने व भूनकर चिउड़ा मूडी तैयार करने का क्रम तेज हो गया है। ग्रामीण अनिता देवी, नीरो देवी, चैतराम, शमशेर सिंह, संतराम, विमला देवी, सुनीता देवी, केसर सिंह, सूरत सिंह, सरदार सिंह आदि का कहना है कि चिउड़ा मूडी बूढ़ी दीपावली का विशेष व्यंजन है।

----------------

जौनसार में मनायी जाती है इको फ्रेंडली दीपावली

साहिया: जौनसार की बूढ़ी दीपावली की विशेष बात यह है कि यहां पर इको फ्रेंडली मनायी जाती है। यहां पर पटाखे नहीं जलाए जाते, पूरी तरह से प्रदूषण रहित पर्व मनाने के साथ ही परंपराओं का पूरा ख्याल रखा जाता है। लकड़ी जलाकर हुलियात के रूप में जश्न की शुरूआत होती है।

chat bot
आपका साथी