पूरा बाजार बंद कराने का शोर, अपनों पर ही नहीं चला जोर

कोरोना संक्रमण के चलते सप्ताह में दो दिन शनिवार और रविवार को बाजार बंद रखने का दून उद्योग व्यापार मंडल का एलान पूरी तरह बेअसर रहा।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 19 Sep 2020 10:05 PM (IST) Updated:Sun, 20 Sep 2020 05:10 AM (IST)
पूरा बाजार बंद कराने का शोर, अपनों पर ही नहीं चला जोर
पूरा बाजार बंद कराने का शोर, अपनों पर ही नहीं चला जोर

जागरण संवाददाता, देहरादून: कोरोना संक्रमण के चलते सप्ताह में दो दिन शनिवार और रविवार को बाजार बंद रखने का दून उद्योग व्यापार मंडल का एलान पूरी तरह बेअसर रहा। मंडल में शामिल व्यापारियों में से ही 90 फीसद ने दोपहर होते-होते अपने प्रतिष्ठान खोल लिए थे। ..और तो और संगठन के जिन व्यापारी नेताओं ने प्रेसवार्ता कर जोशीले अंदाज में शनिवार को संपूर्ण बाजार बंद करने का एलान किया था, उनके व्यापारिक प्रतिष्ठान भी खुले रहे। बाजार में खरीदारों की आवक भी आम दिनों की तरह ही रही। वहीं, विवाद की स्थिति से निपटने के लिए एहतियात के तौर पर बाजार में पुलिस बल भी तैनात रहा। उधर, बाजार बंदी का विरोध कर रहे दोनों व्यापार संगठनों के नेताओं ने दून उद्योग व्यापार मंडल के एलान को नेतागीरी चमकाने के लिए पब्लिसिटी स्टंट बताया है।

दून उद्योग व्यापार मंडल ने जिले में कोरोना संक्रमण की बढ़ती दर पर चिंता जताते हुए इसी बुधवार को व्यापारियों की ऑनलाइन बैठक बुलाई थी। इसमें निर्णय लिया गया था कि आने वाले तीन सप्ताह तक शनिवार व रविवार को सभी बाजार बंद रखे जाएंगे। संगठन के सदस्यों ने इस उम्मीद के साथ मुख्यमंत्री और फिर जिलाधिकारी से मुलाकात करके उन्हें भी इस प्रस्ताव से अवगत कराया था कि उनकी मुहर लगने पर कोई व्यापारी बंदी को लेकर न-नुकुर नहीं कर पाएगा। हालांकि, मुख्यमंत्री ने पूरा बाजार बंद करने का आदेश देने से इन्कार कर दिया। इसी बीच दून वैली महानगर उद्योग व्यापार मंडल ने बाजार बंदी के निर्णय का विरोध कर दिया। शुक्रवार को प्रदेश उद्योग एवं व्यापार मंडल समिति ने भी बंदी की खिलाफत कर दी। दो बड़े व्यापारी संगठनों के विरोध से दून उद्योग व्यापार मंडल बैकफुट पर आ गया। हालांकि, शुक्रवार शाम संगठन के पदाधिकारियों ने प्रेसवार्ता कर एक बार फिर शनिवार व रविवार को बाजार बंद रखने की बात दोहराई। कहा गया कि शनिवार को संगठन से जुड़े सभी व्यापारी अपने प्रतिष्ठान बंद रखेंगे। मगर, शनिवार को तस्वीर इससे उलट नजर आई। सुबह बाजार खुलने के साथ ही संगठन से जुड़े व्यापारियों ने भी अपने प्रतिष्ठान खोलने शुरू कर दिए थे। सूरज चढ़ने के साथ यह संख्या बढ़ने लगी और दोपहर 12 बजे के बाद दून उद्योग व्यापार मंडल से जुड़े अधिकांश व्यापारियों के प्रतिष्ठान खुल चुके थे। सुबह साढ़े नौ बजे तक दर्शनी गेट, आढ़त बाजार, पीपल मंडी, रामलीला बाजार, पलटन बाजार की 50 फीसद दुकानें खुल चुकी थीं। दोपहर दो बजे तक यहां 90 फीसद व्यापारिक प्रतिष्ठान खुल गए। दूसरी तरफ, जिलाधिकारी डॉ. आशीष श्रीवास्तव ने जबरन दुकान बंद कराने पर कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी थी। इसके चलते कहीं भी विवाद नहीं हुआ।

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शहर में कोरोना संक्रमण की बढ़ती दर को देखते हुए शनिवार को बाजार बंदी का यह निर्णय लिया था। संगठन से जुड़े व्यापारियों ने अपने प्रतिष्ठान बंद भी रखे। हालांकि, दोपहर बाद अधिकतर व्यापारिक प्रतिष्ठान खुल गए थे। कुछ दुकानें खुलने से नगर निगम बाजार को सैनिटाइज नहीं कर सका। कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए व्यापारियों को एक मंच पर आने की जरूरत है अन्यथा इसका नुकसान पूरे व्यापारी वर्ग को झेलना पड़ेगा।

-सुनील मैसोन, महामंत्री दून उद्योग व्यापार मंडल

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शनिवार को बाजार में बंदी का रत्ती भर असर नहीं दिखा। जो व्यापारी नेता प्रेसवार्ता में शनिवार को संपूर्ण बाजार बंदी का दम भर रहे थे, खुद उनके व्यापारिक प्रतिष्ठान खुले हुए थे। बाजार बंदी सफल कैसे हो सकती है जब तक वाहन बाजार में चल रहे हों। जिस व्यापार मंडल के लोग शनिवार व रविवार को बाजार बंद करने का समर्थन कर रहे हैं, उनमें कोई भी छोटा व मझौला व्यापारी नहीं है। लॉकडाउन में आर्थिक तंगहाली से छोटे व्यापारी जूझे हैं। फिर से दुकानें बंद करना उचित नहीं है।

-पंकज मैसोन, अध्यक्ष, दून वैली महानगर उद्योग व्यापार मंडल

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शनिवार को कुछ व्यापारिक प्रतिष्ठानों को छोड़कर पूरा बाजार खुला रहा। हमने आने वाले तीन शनिवार को बाजार बंदी के निर्णय का पहले ही विरोध किया था। शनिवार व रविवार को बाजार बंद करने से ग्राहकों की भीड़ शुक्रवार व सोमवार को आम दिनों के मुकाबले अधिक हो सकती है। ऐसे में बाजार में शारीरिक दूरी का पालन कैसे हो पाएगा। बिना प्रशासन की अनुमति बाजार को बंद करना उचित नहीं है।

-विनय गोयल, महामंत्री प्रदेश उद्योग एवं व्यापार मंडल समिति

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