शंख बजाने वालों को छू भी नहीं पाया कोरोना, पढ़िए पूरी खबर

हिंदू धर्म में हर शुभ व मांगलिक कार्य में शंख ध्वनि अच्छा शगुन माना जाता है। मगर शंख बजाने के सिर्फ धार्मिक महत्व ही नहीं बल्कि इसके वैज्ञानिक पक्ष भी बेहद कारगर हैं। शास्त्रों में जहां शंख बजाने से सुख-समृद्धि सहित कई अन्य लाभ बताए गए हैं।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Fri, 25 Jun 2021 04:51 PM (IST) Updated:Fri, 25 Jun 2021 04:51 PM (IST)
शंख बजाने वालों को छू भी नहीं पाया कोरोना, पढ़िए पूरी खबर
शंख बजाने से कई बीमारियां दूर रहती हैं।

जागरण संवाददाता, ऋषिकेश। हिंदू धर्म में हर शुभ व मांगलिक कार्य में शंख ध्वनि अच्छा शगुन माना जाता है। मगर, शंख बजाने के सिर्फ धार्मिक महत्व ही नहीं बल्कि इसके वैज्ञानिक पक्ष भी बेहद कारगर हैं। शास्त्रों में जहां शंख बजाने से सुख-समृद्धि सहित कई अन्य लाभ बताए गए हैं, वहीं विज्ञान की माने तो शंख बजाने से कई बीमारियां दूर रहती हैं।

राजकीय चिकित्सालय के वरिष्ठ चिकित्साधिकारी डा. संतोष कुमार पंत की माने तो शंख बजाने के नियमित अभ्यास से फेफड़े फैलते हैं, जिसके चलते अस्थमा और सांस से जुड़ी बीमारियां खत्म हो जाती हैं। इससे शरीर का ब्लड सर्कुलेशन होता है और इसके साथ ही ब्रेन में भी ब्लड सर्कुलेशन तेज होता है। शंख बजाने से छाती के मसल्स मजबूत होते हैं। शंख बजाने से गले में मौजूद मांसपेशियों का व्यायाम होता है, जिससे वोकल कार्ड और थाइरायड से जुड़ी समस्या खत्म हो जाती है। शंख को जब दबाव लगाकर बजाते हैं तो इससे यूरिनरी ब्लेडर की भी एक्सरसाइज होती है, जिससे यह स्वस्थ रहता है। कुल मिलाकर वैज्ञानिक पक्ष से भी शंख बजाने के कई फायदे हैं।

हाल में ही कोरोना संक्रमण काल में मंदिरों में पूजा-पाठ करने के साथ नियमित रूप से शंख बजाने वाले पुजारियों ने भी शंख बजाने के वैज्ञानिक महत्व को बखूबी समझा। नियमित रूप से शंख बजाने वाले अधिकांश पुजारियों को कोरोना छू भी नहीं पाया। यदि किसी को कोरोना संक्रमण हुआ भी होगा तो उनपर इसके कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़े।

पंडित महेश दत्त शर्मा (आशुतोष, नगर ऋषिकेश) का कहना है कि कोरोना संक्रमण काल ही नहीं बल्कि सामान्य दिनों में भी शंख बजाना स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभ दायक होता है। हमारा व्यक्तिगत अनुभव है कि नियमित दो समय शंख बजाने से शरीर में आंतरिक ऊर्जा का संचार तो होता ही है, इसके साथ ही शरीर के भीतर विशेष रूप से फेफड़ों से जुड़े विकारों में कमी आती है। पंडित शिवानंद गिरि (पौराणिक नीलकंठ महादेव मंदिर) का कहना है कि शंख बजाने का आध्यात्मिक महत्व अपने आप में पुरातन काल से रहा है। लेकिन वैज्ञानिक आधार की बात करें तो शंख सांस संबंधी विकार, रक्तचाप व अन्य व्याधियों को भी दूर करता है। कोरोना काल में शंख का महत्व काफी बढ़ गया है। पंडित रवि शास्त्री (तुलसी मानस मंदिर ऋषिकेश) का कहना है कि प्रात: काल और संध्याकाल में शंख बजाने से यह महसूस किया गया है कि इससे धमनी तंत्र और श्वांस तंत्र और बेहतर कार्य करता है। संक्रमण काल में फेफड़ों को बचाने के लिए शंख वादन ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

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