राजीव गांधी कॉम्पलेक्स में संचालित हो रहे हैं सात सरकारी कार्यालय, फिर भी लावारिस हाल में

बहुउद्देशीय राजीव गांधी कॉम्पलेक्स में लापरवाही का आलम चरम पर है। कॉम्पलेक्स लावारिस होने की हालत में पहुंच गया है। इस बहुउद्देशीय कॉम्पलेक्स में तहसील जिला खाद्य आपूर्ति और उपभोक्ता फोरम जैसे जनता से जुड़े कार्यालयों समेत सात सरकारी कार्यालय संचालित हो रहे हैं।

By Raksha PanthriEdited By: Publish:Wed, 27 Jan 2021 12:07 PM (IST) Updated:Wed, 27 Jan 2021 02:43 PM (IST)
राजीव गांधी कॉम्पलेक्स में संचालित हो रहे हैं सात सरकारी कार्यालय, फिर भी लावारिस हाल में
राजीव गांधी कॉम्पलेक्स में अव्यवस्थाओं का अंबार।

जागरण संवाददाता, देहरादून। बहुउद्देशीय राजीव गांधी कॉम्पलेक्स में लापरवाही का आलम चरम पर है। कॉम्पलेक्स लावारिस होने की हालत में पहुंच गया है। इस बहुउद्देशीय कॉम्पलेक्स में तहसील, जिला खाद्य आपूर्ति और उपभोक्ता फोरम जैसे जनता से जुड़े कार्यालयों समेत सात सरकारी कार्यालय संचालित हो रहे हैं। साथ ही 132 दुकानें विभिन्न व्यापारियों को आवंटित हैं, बावजूद इसके यहां अव्यवस्थाओं का अंबार लगा हुआ है।

वर्ष 2013-14 में इस कॉम्पलेक्स का निर्माण एमडीडीए ने किया था। हालांकि, एमडीडीए की भूमिका सिर्फ कॉम्पलेक्स निर्माण की ही थी। इसके बाद यहां पर बनी दुकानों को 100 से ज्यादा व्यापारियों को दुकानें आवंटित की गईं, साथ ही तमाम सरकारी कार्यालयों को भी जगह दी गई। लेकिन इसके बाद से कॉम्पलेक्स के रख-रखाव और संचालन को लेकर अब तक जिम्मेदारी तय नहीं हो सकी है। इसी का नतीजा है कि कॉम्पलेक्स में न तो सफाई की कोई व्यवस्था है न ही रख-रखाव के लिए। 

हाल यह है कि पूरे परिसर की पार्किंग से लेकर सीढ़ियों तक में कूड़े का अंबार लगा हुआ है। कॉम्पलेक्स की क्यारियों में कूड़ा भरा हुआ है। कुछ दिन पहले ही यहां कूड़े के कारण ही आग तक लग गई थी, लेकिन परिसर में रह रहे लोग ने इससे भी सफाई की सीख नहीं ली। सरकारी दफ्तर और यहां रह रहे व्यापारी दोनों ही एक-दूसरे को इसके लिए जिम्मेदार बताते हैं।

कॉम्पलेक्स में इन कार्यालयों का संचालन

तहसील सदर, जिला खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति, जिला उपभोक्ता फोरम, विधिक बाट एवं माप कार्यालय, उत्तराखंड आवास एवं नगर विकास प्राधिकरण (उडा), उत्तराखंड रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा)।

लिफ्ट केवल अधिकारियों के लिए

कॉम्पलेक्स की लिफ्ट सिर्फ तीसरे और चौथे तल पर ही खुलती है। यहीं से जिला आपूर्ति विभाग समेत अन्य दफ्तर शुरू होते हैं। लिफ्ट को सिर्फ अधिकारियों की पाॄकग वाले स्थल से ही संचालित किया जा सकता है। ऐसे में आमजन, बुजुर्ग और दिव्यांगजन भी लिफ्ट की सुविधा से वंचित रह जाते हैं।

कूड़ा बीनने वालों ने बनाया अड्डा

कॉम्पलेक्स के एक हिस्से पर तो कूड़ा बीनने वाले लोग का एक गुट अपना अड्डा बना चुका है। राजीव गांधी कॉम्पलेक्स एसोसिएशन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष जसपाल छाबड़ा ने बताया कि पानी की पूर्ति के लिए बने ट्यूबवेल के संचालन स्थल की छत पर गत्ता एकत्रित करने वाले लोग लंबे समय से अपना कूड़ा रख रहे हैं। परिसर के बाहर लाखों की लागत से लगी लाइट और फव्वारा भी खराब हो गया है। इसकी शिकायत नगर निगम एवं एमडीडीए से की जाती रही है, लेकिन कोई सकारात्मक कार्रवाई नहीं होती।

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