उत्तराखंड की मंडी समितियों में करोड़ों की गड़बड़ी का खुलासा

प्रदेश में दो मंडी समितियां नियमों को ताक पर रखकर करोड़ों रुपये की गड़बड़ी की दोषी पाई गई हैं। यह गड़बड़ी रुद्रपुर और रुड़की में पाई गई।

By Edited By: Publish:Wed, 24 Apr 2019 03:00 AM (IST) Updated:Wed, 24 Apr 2019 08:35 PM (IST)
उत्तराखंड की मंडी समितियों में करोड़ों की गड़बड़ी का खुलासा
उत्तराखंड की मंडी समितियों में करोड़ों की गड़बड़ी का खुलासा

देहरादून, रविंद्र बड़थ्वाल। प्रदेश में जिन मंडी समितियों पर किसानों से होने वाली आमदनी और सरकार से निर्माण कार्यो के लिए मिलने वाली धनराशि के सदुपयोग की अहम जिम्मेदारी है, वे नियमों को ताक पर रखकर करोड़ों रुपये की गड़बड़ी की दोषी पाई गई हैं। उत्तराखंड कृषि उत्पादन विपणन बोर्ड रुद्रपुर के वर्ष 2014-17 से 2016-17 और कृषि उत्पादन मंडी समिति रुड़की के 2011-12 से 2013-14 की ऑडिट रिपोर्ट में बड़े पैमाने पर अनियमितता का खुलासा हुआ है। 

वित्त विभाग की ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक इन समितियों ने उत्तराखंड अधिप्राप्ति नियमावली की अनदेखी कर 100 करोड़ से ज्यादा धनराशि का अनियमित तरीके से खर्च की। नियमावली के तहत आने वाले कार्यो को मनमाने तरीके से टुकड़ों में बांटकर खर्च किया गया। 

मंडी परिषद रुद्रपुर: 17.02 करोड़ की राशि बैलेंस शीट में नदारद 

परिषद में खुद की निधियों से कराए जा रहे निर्माण कार्यो के लिए वर्क इन प्रोग्रेस का खाता तक नहीं खोला गया। यह वित्तीय नियमों के प्रतिकूल है। मल्टी ग्रेड परियोजना पर बीते वर्षो में करीब 17.02 करोड़ खर्च किए गए, लेकिन परिषद की बैलेंस शीट में उसे दर्ज तक नहीं किया गया। 

इसीतरह विभिन्न चीनी मिलों को 10 करोड़ की राशि बतौर ऋण दी गई, लेकिन उक्त ऋण की वसूली असंतोषजनक है। इस वजह से डोईवाला, गदरपुर व सितारगंज मिलों पर 6.90 करोड़ का अवशेष बरकरार है। 

कार्यालय उपमहाप्रबंधक तकनीकी, रुद्रपुर: 34.90 करोड़ की गड़बड़ी 

इस कार्यालय ने उत्तराखंड अधिप्राप्ति नियमावली का उल्लंघन कर 34.90 करोड़ की अनियमितता की। निर्माण कार्यो को टुकड़ों में बांटकर अधिप्राप्ति नियमावली को धता बताई गई। इसीतरह कुल 625.50 लाख लागत से मल्टीग्रेन प्रोसेसिंग सेंटर एंड साइट डेवलपमेंट रुद्रपुर को करीब 149.34 लाख लागत के चार कार्यो में बांटने का औचित्य स्पष्ट नहीं किया गया। 

राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत फ्लोरीकल्चर कलेक्शन मार्केटिंग सेंटर के निर्माण को स्वीकृत 314.86 लाख की राशि को चार कार्यो में विभाजित किया गया। लेबर सेस के रूप में 1.10 लाख की वसूली नहीं की गई। 

एफएल-दो इकाई मुख्यालय रुद्रपुर 

संस्था ने 31 मार्च, 2017 को बैलेंस शीट में 65.54 करोड़ की राशि से विभिन्न कंपनियों को परचेज रिटर्न दिखाते हुए सामग्री को स्टाक से खारिज भी किया गया, लेकिन इसकी पुष्टि में संबंधित फर्मो से स्टाक ट्रांसफर संबंधी कोई अभिलेख ऑडिट के दौरान प्रस्तुत नहीं किए गए। 

रुद्रपुर स्थित गोदाम में अवशेष स्टाक की स्थिति अस्पष्ट रही। कृषि उत्पादन मंडी समिति रुड़की (2011-12 से 2013-14) -मंडी समिति में वेतन का दोषपूर्ण निर्धारण का मामला सामने आया। दुकानों के किराये की 6,44,245 रुपये की बड़ी राशि वसूल नहीं की गई। कैंटीन के निविदादाताओं से निविदा की धनराशि जमा नहीं की गई। इससे समिति को राजस्व की हानि हुई। जिस ठेकेदार पर वर्ष 2012-13 में 21400 रुपये बकाया था, उसे ही 2013-14 में दोबारा ठेका दिया गया। 

कार्यवाही को भेजी गई रिपोर्ट 

सचिव वित्त उत्तराखंड शासन अमित नेगी के अनुसार, उक्त ऑडिट रिपोर्ट आवश्यक कार्यवाही के लिए अपर मुख्य सचिव कृषि को भेजी गई है। इसमें विभिन्न स्तर पर अनियमितताओं का ब्योरा देते हुए कार्यवाही की अपेक्षा की गई है।

खर्च-भुगतान का मंडी समितियों के पास ब्योरा नहीं

रुद्रपुर मंडी समिति की वर्ष 2014-16 और रुड़की मंडी समिति की वर्ष 2011-14 की ऑडिट रिपोर्ट में यह खुलासा भी किया गया है कि विभिन्न निर्माण कार्य हों या सामान की खरीद, जरूरी अभिलेखों और ब्योरे को रखा नहीं गया। लेबर सेस के मामले में सरकार को राजस्व का चूना लगा। 

एफएल-टू इकाई मुख्यालय रुद्रपुर

-15 दिसंबर, 2015 को 40 लाख रुपये का भुगतान दर्शाया गया, लेकिन इसकी पुष्टि में कोई विवरण पत्र पेश नहीं किया गया। 

-17 फर्मों के बिलों पर अपुष्ट ब्रेकेज कटौती के रूप में 51.40 लाख की राशि में अनियमितता पाई गई। बिलों पर पहले भुगतान राशि दर्ज की गई, फिर कुल देयता को दर्शाकर ब्रेकेज राशि की कटौती दिखाई गई है। 

कार्यालय उपमहाप्रबंधक (तकनीकी) देहरादून

-संस्था की बैलेंस शीट में 3.49 करोड़ का टेंपरेरी एडवांस यथावत दिखाया गया। इसका औचित्य भी स्पष्ट नहीं किया गया। प्रोक्योरमेंट नियमावली के तहत 8.29 करोड़ की राशि को टुकड़ों में बांटकर खर्च किया गया। 

कार्यालय उपमहाप्रबंधक (विद्युत-यांत्रिक) देहरादून 

-अनुबंध लागत से अधिक 5.20 लाख का अनियमित भुगतान: मैसर्स एसजी इलेक्ट्रिकल्स को 2,74,224 रुपये का भुगतान किया गया, लेकिन निर्माण कार्य बिल भुगतान स्वीकृति प्रपत्र पर उक्त कार्य दर्शाया ही नहीं गया, अनुबंध की लागत 346315 रुपये दर्ज है, जबकि उक्त पत्रांक पर अब तक किए गए कार्य का मूल्यांकन 866574 दर्शाया गया है, जबकि अनुबंध की लागत महज 3.46 लाख दर्शाई गई है।

-संस्थान ने भुगतान बिलों में रोकी गई धनराशि 7.42 लाख किसी खाते में नहीं होने के कारण भुगतान को लेकर स्थिति साफ नहीं हो पाई। 

कार्यालय उपमहाप्रबंधक (विद्युत-यांत्रिक) रुद्रपुर 

-बोर्ड निधि मद से विमल ट्रांसफार्मर को 4,72,367 रुपये का भुगतान किया गया, लेकिन फाइनल बिल भुगतान विवरण अपूर्ण रहा है। कुल मूल्यांकन और कटौती विवरण बिल पर दर्ज नहीं किया गया। 

-लेबर सेस की 2.22 लाख की राशि की वसूली नहीं की गई। 

-जमानत, आयकर, व्यापार कर राशियों की कम गणना की अनियमितता पाई गई। 

कार्यालय उपमहाप्रबंधक (तकनीकी) हल्द्वानी 

-कार्य मूल्यांकन से ज्यादा करीब 1.04 लाख का अधिक भुगतान किया गया, साथ में उत्तराखंड अधिप्राप्ति नियमावली का उल्लंघन कर 56.71 लाख रुपये की योजना में टुकड़ों में कार्य कराए गए। लेबर सेस की गणना व वसूली नहीं किए जाने से 1.04 लाख की चपत लगी। 

कृषि उत्पादन मंडी समिति रुड़की 

-मंडी निरीक्षक धर्मवीर शर्मा की सेवा पुस्तिका की जांच में पता चला कि उन्हें एक जुलाई, 2009 को वेतनवृद्धि 610 के स्थान पर 420 रुपये दी गई। तृतीय एसीपी 23 अक्टूबर, 2012 को ग्रेड वेतन 4800 के स्थान पर पदोन्नत पद का ग्रेड वेतन 5400 रुपये दिया गया, जबकि पदोन्नत पद का ग्रेड वेतन एक नवंबर, 2013 से देय था। ऑडिट रिपोर्ट में अधिक वेतन भुगतान की वसूली की संस्तुति की गई है। 

-1.07 लाख की राजस्व क्षति की गई। निविदा संबंधी अनियमितता के चलते 1,22,400 रुपये का चूना लगा।

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