आटोमेटेड टेस्टिंग लेन की डीपीआर तैयार कर रहा मंडी परिषद, स्वीकृति के लिए भेजा जाएगा पुणे

उत्तराखंड में वाहनों की फिटनेस के लिए नौ वर्ष पूर्व स्वीकृत ऑटोमेटेड टेस्टिंग लेन के अभी अस्तित्व में आने में कुछ समय लगेगा। अभी उत्तराखंड मंडी परिषद की निर्माण शाखा इसकी डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार कर रही है।

By Raksha PanthriEdited By: Publish:Fri, 26 Feb 2021 01:05 PM (IST) Updated:Fri, 26 Feb 2021 05:16 PM (IST)
आटोमेटेड टेस्टिंग लेन की डीपीआर तैयार कर रहा मंडी परिषद, स्वीकृति के लिए भेजा जाएगा पुणे
आटोमेटेड टेस्टिंग लेन की डीपीआर तैयार कर रहा मंडी परिषद।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। उत्तराखंड में वाहनों की फिटनेस के लिए नौ वर्ष पूर्व स्वीकृत ऑटोमेटेड टेस्टिंग लेन के अभी अस्तित्व में आने में कुछ समय लगेगा। अभी उत्तराखंड मंडी परिषद की निर्माण शाखा इसकी डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार कर रही है। इसे स्वीकृति के लिए एआरआइ पुणे भेजा जाएगा। यहां से स्वीकृति मिलने के बाद केंद्र सरकार इनके निर्माण के लिए धनराशि जारी करेगी। 

प्रदेश में लगातार बढ़ रही सड़क दुर्घटनाओं के मद्देनजर वर्ष 2008 में एक सर्वे किया गया। इस सर्वे में यह बात सामने आई कि वाहनों की सही प्रकार से फिटनेस न होने के कारण पर्वतीय क्षेत्रों में दुर्घटनाएं हो रही हैं। ऐसे में विभाग ने ऋषिकेश में ऑटोमेटेड टेस्टिंग लेन बनाने का निर्णय लिया। आटोमेटेड टेस्टिंग लेन में वाहनों की फिटनेस मशीनों द्वारा जांची जाती है। तत्कालीन सरकार ने भी इसे मंजूरी प्रदान करते हुए इसके लिए तीन करोड़ का प्रविधान किया। इसके बाद कभी भूमि चयन तो कभी चयनित भूमि में कानूनी अड़चनों के चलते टेस्टिंग लेन निर्माण कार्य लंबित होता चला गया। 

इसके बाद केंद्र ने मोटर टेस्टिंग लेन के लिए धनराशि जारी करनी शुरू की। इस पर उत्तराखंड ने भी इसे लेकर केंद्र में दस्तक दी। इस पर केंद्र ने प्रदेश से चार टेस्टिंग लेन बनाने का प्रस्ताव मांगा। परिवहन विभाग ने इसके लिए एक बड़ी और एक छोटी टेस्टिंग लेन हरिद्वार और एक बड़ी और एक छोटी लेन हल्द्वानी में बनाने का प्रस्ताव केंद्र को भेजा। एक जिले में 10.28 करोड़ की लागत से कुल 20.50 करोड़ के इस प्रस्ताव को केंद्र सरकार ने वर्ष 2019 में मंजूरी प्रदान की। कहा गया कि इसमें से 16.50 करोड़ केंद्र सरकार और शेष राशि प्रदेश सरकार वहन करेगी। 

केंद्र ने निर्माण कार्यों का पैसा प्रदेश सरकार को और तकनीकी उपकरण लगाने का पैसा सीधे निर्माणदायी संस्था को देने का निर्णय लिया। इस क्रम में प्रदेश सरकार ने भी बजट में इसका प्रविधान किया। बीते वर्ष कोरोना के कारण यह मसला काफी लंबे समय तक फंसा रहा। अब मंडी परिषद इसकी डीपीआर तैयार करने में जुटी है।

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