मंडी समितियों में 17 अप्रैल के बाद होगा अध्यक्षों का मनोनयन

विधानसभा की सल्ट सीट के 17 अप्रैल को होने वाले उपचुनाव के बाद मंडी समितियों में अध्यक्ष मनोनीत करने की तैयारी है। कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्री सुबोध उनियाल के अनुसार मुख्यमंत्री से वार्ता कर जल्द ही इस बारे में निर्णय ले लिया जाएगा।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Wed, 14 Apr 2021 06:05 AM (IST) Updated:Wed, 14 Apr 2021 06:05 AM (IST)
मंडी समितियों में 17 अप्रैल के बाद होगा अध्यक्षों का मनोनयन
कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्री सुबोध उनियाल। फाइल फोटो

राज्य ब्यूरो, देहरादून। उत्तराखंड में कृषि उपज एवं पशुधन संविदा खेती एवं प्रोत्साहन (एपीएलएम) एक्ट लागू होने के बाद से मंडी समितियों के अध्यक्षों को लेकर ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है। नए एक्ट के तहत अध्यक्षों का नए सिरे से मनोनयन होना है, मगर पिछली त्रिवेंद्र सरकार में इस पर फैसला नहीं हो पाया था। अब बीते 11 माह से इस संबंध में बनी गफलत को सरकार दूर करने जा रही है। विधानसभा की सल्ट सीट के 17 अप्रैल को होने वाले उपचुनाव के बाद मंडी समितियों में अध्यक्ष मनोनीत करने की तैयारी है। कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्री सुबोध उनियाल के अनुसार मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत से वार्ता कर जल्द ही इस बारे में निर्णय ले लिया जाएगा।

प्रदेश की मंडी समितियां पूर्व में कृषि उत्पाद विकास एवं विनियमन (एपीएमसी) एक्ट के तहत गवर्न हो रही थीं। इसी एक्ट के तहत 14 जनवरी 2020 को तत्कालीन सरकार ने 15 मंडी समितियों के अध्यक्ष मनोनीत किए थे। बाद में सरकार ने एपीएमसी के स्थान पर केंद्र के माडल एपीएमसी एक्ट को राज्य में लागू करने का निर्णय लिया। नौ मई 2020 को अध्यादेश के जरिये इसे लागू किया गया और 22 अक्टूबर को यह अधिनियम बना। नया एक्ट लागू होने के बाद इसी के हिसाब से अध्यक्षों का मनोनयन होना था। एक्ट में भी प्रविधान किया गया है कि सरकार दो साल के लिए अध्यक्ष नामित करेगी और फिर चुनाव कराए जाएंगे।

सूत्रों के मुताबिक नए एक्ट के प्रविधानों के तहत पिछले एक्ट में नामित अध्यक्षों को ही बरकरार रखने के संबंध में फाइल पूर्व में मुख्यमंत्री कार्यालय भेजी गई थी। तब ये बात सामने आई कि मनोनयन से पहले एक्ट के तहत सभी मंडियों के क्षेत्र अधिसूचित होने हैं। इन्हें अधिसूचित भी कर दिया गया, मगर मंडी समिति अध्यक्षों के मनोनयन से संबंधित फाइल बिना दस्तखत के ही वापस शासन को लौट गई। तब से मंडी समिति अध्यक्षों को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है।

हालांकि, बीती सात अप्रैल को मुख्य सचिव की ओर से जारी आदेश में कहा गया कि जो मनोनयन किसी एक्ट अथवा विनियम के तहत हुए हैं और उनमें कार्यकाल का उल्लेख है तो वे अपना कार्यकाल पूरा होने तक बने रहेंगे। मंडी समिति अध्यक्षों का कार्यकाल दो साल होता है, मगर मनोनयन से संबंधित आदेश में इसे खोला नहीं गया। अब इस असमंजस को दूर करने की दिशा में सरकार सक्रिय हो गई है। सूत्रों के अनुसार मंडी समिति अध्यक्षों के नए सिरे से मनोनयन को लेकर कसरत चल रही है। नए मनोनयन में अधिकांश पुराने चेहरों को ही बरकरार रखा जा सकता है।

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