चीनी सैनिकों को उन्हीं की भाषा में जवाब देंगे अफसर, एसीसी के पाठ्यक्रम का हिस्सा बनी मंदारिन भाषा

भारत और चीन के बीच लंबे समय से गतिरोध चल रहा है। बीते जून में गलवान घाटी में दोनों सेनाओं के बीच हिसंक झड़प में कई सैनिक शहीद भी हुए थे। इसी तरह अरुणाचल से सटी चीन सीमा पर भी दोनों देशों की सेना कई मर्तबा आमने-सामने आ जाती हैं।

By Sumit KumarEdited By: Publish:Fri, 03 Dec 2021 07:13 PM (IST) Updated:Fri, 03 Dec 2021 08:38 PM (IST)
चीनी सैनिकों को उन्हीं की भाषा में जवाब देंगे अफसर, एसीसी के पाठ्यक्रम का हिस्सा बनी मंदारिन भाषा
मौजूदा स्थिति को देखते हुए आर्मी कैडेट कालेज (एसीसी) में अब मंदारिन भाषा को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया है।

जागरण संवाददाता, देहरादून: भारत और चीन के बीच लंबे समय से गतिरोध चल रहा है। पिछले साल जून में गलवान घाटी में दोनों सेनाओं के बीच हुई हिसंक झड़प में कई सैनिक शहीद भी हुए थे। इसी तरह अरुणाचल से सटी चीन सीमा पर भी दोनों देशों की सेना कई मर्तबा आमने-सामने आ जाती हैं। वहीं उत्तराखंड के बाड़ाहोती व आसपास की सीमा में भी चीनी सैनिकों की घुसपैठ की खबरें आती रहती हैं।

सैन्य विशेषज्ञों का मानना है कि भारत-चीन के बीच की वर्तमान स्थिति व सीमा विवाद से जुड़े वर्षों पुराने मसले का हल संवाद से ही संभव है। लिहाजा दोनों देशों के बीच की मौजूदा स्थिति को देखते हुए आर्मी कैडेट कालेज (एसीसी) में अब मंदारिन भाषा को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया है। यहां कैडेटों को इस सेमेस्टर से चीनी (मंदारिन) भाषा सिखाई जा रही है। इसके लिए यहां लैंग्वेज लैब भी स्थापित की गई है। सैन्य विशेषज्ञों का मानना है कि सीमा पर कई छोटे-छोटे गतिरोध आपसी बातचीत से ही मौके पर खत्म किए जा सकते हैं।

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यदि सैन्य अफसरों की मंदारिन भाषा पर मजबूत पकड़ होगी तो वे चीनी सैनिकों की बातों को सही से समझने के साथ ही वाजिब जवाब भी दे पाएंगे। इसके अलावा पारंपरिक युद्ध के तौर-तरीकों पर ही नहीं, भविष्य की युद्ध रणनीतियों पर भी सेना आगे बढ़ रही है। कैडेटों को अब तकनीकी रूप से भी दक्ष बनाया जा रहा है। मौजूदा दौर ड्रोन स्वार्म,रोबोटिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आदि का है। ऐसे में आर्मी कैडेट कालेज में आइआइटी गुवाहटी की मदद से इनोवेशन लैब स्थापित की गई है।

आइआइटी की फैकल्टी वक्त-वक्त पर यहां कैडेटों को तकनीक में पारंगत बनाने का काम करती है। भारतीय सैन्य अकादमी के कमान्डेंट ले. जनरल हरिंदर सिंह का कहना है कि इन बदलाव के बाद सैन्य प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे कैडेट और अधिक दक्ष होंगे।

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