उत्तराखंड के प्रमुख शहरों का होगा अपना 'सिटी फॉरेस्ट', कुदरत की छांव में बिता सकेंगे कुछ पल

बदलती जीवनशैली और भागदौड़ भरी जिंदगी के बीच शहरों में कुछ पल कुदरत की छांव में बिताने को मिल जाएं तो कहना ही क्या। इसे देखते हुए राज्य के प्रमुख शहरों का अपना सिटी फॉरेस्ट होगा।

By Raksha PanthariEdited By: Publish:Mon, 03 Aug 2020 08:12 PM (IST) Updated:Mon, 03 Aug 2020 09:54 PM (IST)
उत्तराखंड के प्रमुख शहरों का होगा अपना 'सिटी फॉरेस्ट', कुदरत की छांव में बिता सकेंगे कुछ पल
उत्तराखंड के प्रमुख शहरों का होगा अपना 'सिटी फॉरेस्ट', कुदरत की छांव में बिता सकेंगे कुछ पल

देहरादून, राज्य ब्यूरो। 'सिटी फॉरेस्ट' यानी शहर या उसके इर्द-गिर्द सुकून की छांव। बदलती जीवनशैली और भागदौड़ भरी जिंदगी के बीच शहरों में कुछ पल कुदरत की छांव में बिताने को मिल जाएं तो कहना ही क्या। इसी के दृष्टिगत केंद्रीय वन और पर्यावरण मंत्रलय ने देश के 200 शहरों में सिटी फॉरेस्ट की अवधारणा को धरातल पर उतारने का निश्चय किया है। इस कड़ी में अब केंद्र के निर्देशों के क्रम में उत्तराखंड में भी कवायद शुरू हो गई है। 

वन महकमे की ओर से राज्य के सभी आठ नगर निगमों से इसके प्रस्ताव मांगे जा रहे हैं। इन्हें 30 अगस्त तक केंद्र को भेजा जाना है। सिटी फॉरेस्ट को वन विभाग और नगर निगम जनसहभागिता से विकसित करेंगे। 71 फीसद वन भूभाग वाला उत्तराखंड जैवविविधता और बेहतरीन आबोहवा के लिए मशहूर है। खासकर गांवों और प्रमुख पर्यटक स्थलों के इर्द-गिर्द पंचायती वनों के साथ ही गांवों के अपने वन भी हैं। अलबत्ता, बड़े शहरों की तस्वीर एकदम उलट है। वहां आबादी का निरंतर बढ़ता दबाव और सीमेंट-कंक्रीट के उगते जंगल से सांसें घुट रही हैं। 

इस सबको देखते हुए विश्व पर्यावरण दिवस पर पांच जून को केंद्रीय वन और पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने नगर वन उद्यान योजना का एलान किया। इसे राज्यों में धरातल पर उतारने के लिए केंद्र सरकार अब सक्रिय हो गई है। हाल में केंद्रीय वन और पर्यावरण मंत्रलय के अधिकारियों ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये उत्तराखंड वन विभाग के अफसरों को निर्देश दिए।

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प्रमुख वन संरक्षक और मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक जेएस सुहाग के मुताबिक नगर वन उद्यान योजना के तहत तैयार होने वाले सिटी फॉरेस्ट (लंग्स आफ सिटी) का वित्त पोषण केंद्रीय प्रतिकरात्मक वनरोपण निधि प्रबंधन (सेंट्रल कैंपा) से होगा। आइएफएस सुहाग बताते हैं कि योजना के तहत राज्य के आठ नगर निगमों देहरादून, हरिद्वार, रुड़की, ऋषिकेश, कोटद्वार, हल्द्वानी, काशीपुर व रुद्रपुर से सिटी फॉरेस्ट के लिए प्रस्ताव मांगे जा रहे हैं। ये 30 अगस्त तक केंद्र सरकार को भेजे जाने हैं। केंद्र की मंजूरी के बाद प्रत्येक सिटी फॉरेस्ट को दो करोड़ की राशि सेंट्रल कैंपा से मिलेगी।

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