उत्तराखंड के मदरसों की समकक्षता का रास्ता साफ, जानिए
उत्तराखंड के मदरसों में इस साल से उत्तीर्ण होने वाले छात्रों के शैक्षिक प्रमाण पत्र दसवीं और बारहवीं के समकक्ष मान्य होंगे।
देहरादून, गौरव ममगाई। उत्तराखंड के मदरसों की समकक्षता का रास्ता साफ हो गया है। काउंसिल ऑफ बोर्ड स्कूल एजुकेशन इन इंडिया (कोबसी) की ओर से उत्तराखंड मदरसा शिक्षा बोर्ड को शैक्षिक बोर्ड सूची में 47वें स्थान पर स्थान मिला है। इसी के साथ इस वर्ष से मदरसों से उत्तीर्ण होने वाले छात्रों के शैक्षिक प्रमाण-पत्र दसवीं-बारहवीं के समकक्ष मान्य होंगे। इस फैसले को मदरसों से जुड़े सदस्य ऐतिहासिक मान रहे हैं। जाहिर है कि अब मदरसा छात्रों को भी अन्य शैक्षिक संस्थानों में दाखिला लेने में दिक्कत नहीं होगी।
उत्तराखंड मदरसा बोर्ड ने अगस्त 2017 में केंद्रीय काउंसिल को समकक्षता को लेकर प्रस्ताव भेजा था, जिस पर बोर्ड ने हामी तो भरी थी। लेकिन अन्य सैद्धांतिक कारणों से इसे मंजूरी नहीं मिल पाई थी। इसके बाद यह मसला कई माह ठंडे बस्ते में पड़ा रहा। हालांकि, उत्तराखंड मदरसा बोर्ड की ओर से लगातार प्रयास जारी रहे। अब काउंसिल ने प्रदेश के मदरसों को समकक्षता का दर्जा दिया है।
जिलों को जारी हुआ सर्कुलर
शिक्षा महानिदेशक एवं अल्पसंख्यक कल्याण निदेशक कैप्टन आलोक शेखर तिवारी की ओर से मदरसों की समकक्षता विषय पर जिलों को सर्कुलर जारी कर दिया गया है। इसमें समस्त मुख्य शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि उत्तराखंड मदरसा बोर्ड से उत्तीर्ण छात्रों के प्रमाण-पत्रों को शिक्षा बोर्ड के समकक्ष माना जाए।
क्या है समकक्षता
दरअसल, मदरसों की मुंशी (फारसी), मौलवी (अरबी) की पढ़ाई को दसवीं व आलिम (अरबी, फारसी) को बारहवीं कक्षा के समान माना जाता है, लेकिन प्रदेश में मदरसों को समकक्षता का दर्जा नहीं दिया गया था। इससे छात्रों की शैक्षिक योग्यता दसवीं व बारहवीं नहीं मानी जा रही थी। छात्र न तो किसी अन्य शैक्षिक संस्थान में दाखिला ले पा रहे थे और न उन्हें सरकारी सेवाओं में पात्र माना जा रहा था। मदरसों की समकक्षता का दर्जा सालों से लंबित था। अब काउंसिल ने इस पर निर्णय लिया है। यह ऐतिहासिक फैसला है। इससे मदरसा छात्रों का भविष्य सुरक्षित होगा। अहमद अखलाक अंसारी, डिप्टी रजिस्ट्रार, उत्तराखंड शिक्षा मदरसा बोर्ड।