थकान तारी, अब नतीजों पर टिकी निगाह
अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव की राज्य में रिहर्सल के तौर पर देखे जा रहे नगर निकाय चुनावों में जीत का सेहरा किसके सिर बंधेगा, इसे लेकर मंगलवार रात तक तस्वीर साफ हो जाएगी। अलबत्ता, मतगणना से एक दिन पहले माहभर चली चुनाव प्रक्रिया की थकान तारी रहने के बावजूद दोनों ही प्रमुख सियासी दल भाजपा व कांग्रेस के नेता दिनभर ही गुणा-भाग में जुटे रहे। जिला इकाइयों से लेकर पोलिंग एजेंटों तक से फीडबैक लिया गया और फिर इसके आधार पर हार-जीत का हिसाब लगाया जाता रहा।
राज्य ब्यूरो, देहरादून:
अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव की राज्य में रिहर्सल के तौर पर देखे जा रहे नगर निकाय चुनावों में जीत का सेहरा किसके सिर बंधेगा, इसे लेकर मंगलवार रात तक तस्वीर साफ हो जाएगी। अलबत्ता, मतगणना से एक दिन पहले माहभर चली चुनाव प्रक्रिया की थकान तारी रहने के बावजूद दोनों ही प्रमुख सियासी दल भाजपा व कांग्रेस के नेता दिनभर ही गुणा-भाग में जुटे रहे। जिला इकाइयों से लेकर पोलिंग एजेंटों तक से फीडबैक लिया गया और फिर इसके आधार पर हार-जीत का हिसाब लगाया जाता रहा। साथ ही मतगणना को लेकर तैयारियां चलती रहीं। रविवार को प्रदेशभर में निकाय चुनाव के लिए मतदान होने के बाद सोमवार को सभी जगह नजारा कुछ ऐसा ही था।
निकाय चुनाव में किस्मत आजमा रहे प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला रविवार को मतपेटियों में बंद होने के बाद सोमवार को सियासी दलों के साथ ही प्रत्याशियों व उनके समर्थकों में थकान तारी रही, लेकिन पूरा दिन हार-जीत के गुणा-भाग में ही गुजरा। फिर चाहे वह पार्टी कार्यालय रहे हों, प्रत्याशियों के चुनावी दफ्तर अथवा नेताओं के घर, सभी जगह चर्चा के केंद्र में हार-जीत का गणित ही था।
भाजपा और कांग्रेस के देहरादून स्थित प्रांतीय कार्यालय भी इससे अछूते नहीं थे। भाजपा की बात करें तो बलवीर रोड स्थित उसके प्रांतीय कार्यालय में सामान्य दिनों की अपेक्षा पार्टीजनों की आमद काफी कम देखी गई। इसे चुनावी थकान के रूप में देखा गया, लेकिन जो भी नेता और कार्यकर्ता मौजूद थे, वे सभी चुनावी ऊंट को लेकर चर्चा में मशगूल रहे। कभी पार्टी की जिला इकाइयों से मिले फीडबैक का मतदान प्रतिशत से मिलान किया जाता रहा तो कभी एक-एक निकाय की स्थिति के मद्देनजर वार्डवार मंथन होता रहा।
कुछ ऐसी ही स्थिति राजपुर रोड स्थित प्रदेश कांग्रेस कार्यालय की भी थी। हालांकि, सुबह के वक्त नाममात्र को ही पार्टीजन वहां दिखे, लेकिन बाद में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की जयंती पर उन्हें याद करने को कांग्रेसजन जुटे। इसके बाद शुरू हुआ निकाय चुनाव के मतदान की चर्चा का सिलसिला देर शाम तक चलता रहा। निकायवार हुए मतदान को लेकर दोनों ही दलों के अपने दावे और अपने तर्क थे। अलबत्ता, जुबां पर यही दावा था कि हम जीत रहे हैं। साथ ही यह भी कहा जा रहा था कि चंद घंटे शेष हैं, जल्द ही नतीजे सबकुछ बयां कर देंगे।