उत्तराखंड: शिक्षा विभाग के एक पत्र ने बढ़ाई शिक्षकों की नाराजगी, जानिए ऐसा क्या है इस पत्र में

चयन प्रोन्नत वेतनमान की मांग पर आंदोलनरत शिक्षकों में रोष है। विभाग के एक पत्र ने शिक्षकों की नाराजगी और बढ़ा दी है। शिक्षा निदेशालय की ओर से सभी जिलों के मुख्य शिक्षा अधिकारी और जिला शिक्षा अधिकारियों से समायोजित शिक्षकों का ब्योरा मांगा गया है।

By Raksha PanthriEdited By: Publish:Mon, 18 Oct 2021 05:10 PM (IST) Updated:Mon, 18 Oct 2021 05:10 PM (IST)
उत्तराखंड: शिक्षा विभाग के एक पत्र ने बढ़ाई शिक्षकों की नाराजगी, जानिए ऐसा क्या है इस पत्र में
शिक्षा विभाग के एक पत्र ने बढ़ाई शिक्षकों की नाराजगी, जानिए ऐसा क्या है इस पत्र में।

जागरण संवाददाता, देहरादून। सालों से बेसिक की सेवाओं को जोड़कर चयन प्रोन्नत वेतनमान की मांग पर आंदोलनरत शिक्षकों में रोष है। विभाग के एक पत्र ने शिक्षकों की नाराजगी और बढ़ा दी है। शिक्षा निदेशालय की ओर से सभी जिलों के मुख्य शिक्षा अधिकारी और जिला शिक्षा अधिकारियों से समायोजित शिक्षकों का ब्योरा मांगा गया है। विभाग 12 वर्षों के बाद भी यह आंकड़ा नहीं जुटा सका कि कितने शिक्षकों को समायोजन का लाभ मिला है।

उत्तराखंड अधिकारी कार्मिक शिक्षक महासंघ के महासचिव दिगंबर फुलेरिया का कहना है कि अब शिक्षकों के पास बेमियादी हड़ताल के सिवाय कोई रास्ता नहीं है। आरोप लगाया कि विभाग की इसी सुस्त चाल के कारण शिक्षकों को उनका वाजिब हक नहीं मिल रहा। उन्होंने बताया कि करीब 12 वर्ष पहले बेसिक से एलटी में 7000 से ज्यादा शिक्षकों को समायोजित किया गया था। पर, इन शिक्षकों के चयन प्रोन्नत वेतनमान का लाभ बेसिक की सेवाओं में नहीं जोड़ा गया।

फुलेरिया ने कहा कि समायोजन के बाद से ही सभी शिक्षक शिक्षा विभाग और राज्य सरकार से चयन प्रोन्नत वेतनमान का लाभ पूर्व की सेवाओं को जोड़कर देने की मांग कर रहे हैं। विभाग ने अब तक केवल उन्हीं समायोजित शिक्षकों को चयन प्रोन्नत वेतनमान का लाभ दिया है, जिन्होंने कोर्ट में याचिका दायर की। उन्होंने कहा कि कोर्ट इन्हीं शिक्षकों की तरह सभी समायोजित शिक्षकों को भी वेतनमान का लाभ देने के आदेश दे चुका है, लेकिन विभाग इसका पालन नहीं कर रहा।

फुलेरिया का ये भी कहना है कि पहले शासन के साथ हुई बैठकों के कार्यवृत में भी शिक्षकों की इस मांग का जिक्र किया गया था। इस दौरान शिक्षा सचिव को उचित कार्रवाई करने के निर्देश भी दिए गए थे, लेकिन आज तक कोई सकारात्मक कार्रवाई नहीं हो सकी।

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