पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की पसंद से तय होगा नेता प्रतिपक्ष, पढ़ि‍ए पूरी खबर

प्रदेश कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता के चयन में आखिरकार पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस महासचिव हरीश रावत की पसंद को ही तवज्जो मिलेगी। यह तकरीबन तय है। बीते दो दिनों से चल रहे मंथन के बाद नेता प्रतिपक्ष को लेकर जल्द ही तस्वीर साफ हो जाएगी।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Tue, 29 Jun 2021 06:30 AM (IST) Updated:Tue, 29 Jun 2021 06:30 AM (IST)
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की पसंद से तय होगा नेता प्रतिपक्ष, पढ़ि‍ए पूरी खबर
पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस महासचिव हरीश रावत। फाइल फोटो

राज्य ब्यूरो, देहरादून। प्रदेश कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता के चयन में आखिरकार पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस महासचिव हरीश रावत की पसंद को ही तवज्जो मिलेगी। यह तकरीबन तय है। बीते दो दिनों से चल रहे मंथन के बाद नेता प्रतिपक्ष को लेकर जल्द ही तस्वीर साफ हो जाएगी। प्रदेश में विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद डा इंदिरा हृदयेश के निधन से रिक्त हुआ है। इस पद के लिए कौन उपयुक्त रहेगा, इसे लेकर तस्वीर जल्द साफ होने जा रही है। इस बीच यह भी स्पष्ट हो गया है कि इस पद पर चयन को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की भूमिका खास रहने वाली है। दरअसल कांग्रेस की नजरें 2022 के विधानसभा चुनाव पर हैं। पार्टी इस चुनाव को करो या मरो के अंदाज में ले रही है। सबको साधा जाए, पार्टी इस रणनीति पर आगे बढ़ रही है।

वैसे भी कांग्रेस विधानमंडल दल में विधायकों में ज्यादातर हरीश रावत समर्थक हैं। इसे ध्यान में रखकर ही प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने भी बीते चार वर्षों से उपनेता प्रतिपक्ष की भूमिका में रहे करन माहरा को विधानमंडल दल का नेता बनाने की पैरवी की है। माहरा रावत के खास समर्थकों में माने जाते हैं। खास बात ये है कि नेता प्रतिपक्ष पद को लेकर रावत समर्थकों में ही जोर-आजमाइश हो रही है। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष व पार्टी के वरिष्ठ विधायक गोविंद सिंह कुंजवाल भी रावत के बेहद नजदीकियों में शुमार किए जाते हैं।

हालांकि भविष्य की चुनावी रणनीति को देखते हुए हरीश रावत नेता प्रतिपक्ष पद के लिए हरिद्वार का प्रतिनिधित्व तय करना चाहते हैं, लेकिन उनके इस कदम से उनके समर्थकों के ही दो खेमों में बंटने का खतरा भी है। माना जा रहा है कि चुनाव में कम समय को देखते हुए रावत ये जोखिम शायद ही उठाने को तैयार हों। प्रदेश संगठन ने भी किसी भी बदलाव की सूरत में तटस्थ रहने के संकेत देकर गेंद रावत के पाले में ही सरका दी है।

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