राष्ट्रीय विधि दिवस : अधिकारों की करते हैं बात, कर्तव्यों की उपेक्षा; जानिए क्या कहते हैं विशेषज्ञ
समय के साथ आम जनमानस में जागरूकता बढ़ी है खासकर अपने अधिकारों को लेकर। लेकिन दुखद यह है कि हर मोर्चे पर अपने अधिकारों की दुहाई देने वाले अधिकांश लोग कर्तव्यों के पालन से मुंह फेर लेते हैं। कानून की समझ होने के बावजूद उसका पालन नहीं करते।
देहरादून, जेएनएन। समय के साथ आम जनमानस में जागरूकता बढ़ी है, खासकर अपने अधिकारों को लेकर। जो कि अच्छी बात है। लेकिन, दुखद यह है कि हर मोर्चे पर अपने अधिकारों की दुहाई देने वाले अधिकांश लोग कर्तव्यों के पालन से मुंह फेर लेते हैं। कानून की समझ होने के बावजूद उसका पालन नहीं करते। कोरोनाकाल को ही ले लीजिए। कोरोना संक्रमण का प्रसार रोकने के लिए सरकार ने सार्वजनिक स्थल पर अनिवार्य रूप से मास्क पहनने और शारीरिक दूरी के नियम का पालन करने का आदेश दिया है। इसका उल्लंघन करने पर जुर्माने का प्रविधान है। पुलिस लगातार इस दिशा में कार्रवाई भी कर रही है। बावजूद इसके लोग हैं कि न तो मानने को तैयार हैं और न ही दूसरों पर होने वाली कार्रवाई से सबक लेने को।
नतीजतन मास्क न पहनने पर चालान की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। अकेले देहरादून जिले में ही अब तक पुलिस मास्क न पहनने पर एक लाख 76 हजार 612 चालान कर चुकी है, जबकि शारीरिक दूरी के नियम के उल्लंघन में 17 हजार 598 व्यक्तियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। अमूमन अन्य नियम-कायदों को लेकर भी ऐसी ही लापरवाही का आलम नजर आता है।
कानून विशेषज्ञों की सुनिये
-प्रशांत जोशी (जिला जज) ने कहा कि हर व्यक्ति के लिए अपने अधिकारों के प्रति सजग रहना जरूरी है, लेकिन कर्तव्यों को अनदेखा करना भी सही नहीं है। अधिकार जितने जरूरी हैं, उतने ही कर्तव्य भी हैं। अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूक रहेंगे तो सबका हित होगा। दुख इस बात का है कि आज हम अधिकारों की बात तो करते हैं, लेकिन कर्तव्यों से विमुख हो जाते हैं।
नेहा कुशवाहा, (सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण) ने कहा कि देश में कोई ऐसा नहीं है, जिसे कानून की समझ नहीं है, लेकिन हम लोग ड्यूटी पूरी करते नहीं हैं और अधिकार के लिए लड़ने आ जाते हैं। अगर हर कोई अपनी ड्यूटी अच्छी तरह करे तो इससे शांति व्यवस्था भी बनी रहेगी। नियम-कानून तोड़ने से किसी और के अधिकार का हनन होता है। यह जानकारी हर किसी को होना बहुत जरूरी है।
मनमोहन कंडवाल (अध्यक्ष जिला बार एसोसिएशन) ने कहा कि यह बात सही है कि कानून की जानकारी होने के बावजूद भी लोग कानून तोड़ने पर आमादा रहते हैं। कोरोनाकाल में ही जुर्माने का प्रविधान होने के बावजूद कई व्यक्तियों को बिना मास्क के घूमते हुए देखा जा सकता है। यह नियमों का सरासर उल्लंघन ही है। ऐसे व्यक्तियों के साथ सख्ती से पेश आने की जरूरत है।
शिवा वर्मा (युवा अधिवक्ता) ने कहा कि हर किसी का कर्तव्य है कि वह कानून के दायरे में रहकर काम करें। संविधान में बने कानूनों का कड़ाई से पालन होना चाहिए। आजकल देखा जा रहा है कि शिक्षित लोग भी ऐसा कृत्य करते हैं, जिससे दूसरे के अधिकारों का हनन होता है। इसलिए संविधान का ध्यान रखते हुए ऐसे कार्य करने चाहिए कि दूसरों के लिए भी प्रेरणास्रोत बन सकें।