उत्तराखंड: लैंटाना हटेगा और 5000 से ज्यादा को रोजगार भी मिलेगा, पढ़िए पूरी खबर
पर्यावरण के लिए खतरनाक साबित हो रही कुर्री की झाड़ियों से अब छुटकारा मिलने की उम्मीद जगी। चालू वित्तीय वर्ष में मिशन मोड में संचालित होने वाले लैंटाना उन्मूलन अभियान के तहत जंगलों और गांवों के इर्द-गिर्द 11882.78 हेक्टेयर क्षेत्र में चारागाह विकसित किए जाएंगे।
राज्य ब्यूरो, देहरादून। उत्तराखंड में पर्यावरण के लिए खतरनाक साबित हो रही कुर्री (लैंटाना कमारा) की झाड़ियों से अब छुटकारा मिलने की उम्मीद जगी है। चालू वित्तीय वर्ष में मिशन मोड में संचालित होने वाले लैंटाना उन्मूलन अभियान के तहत सूबे के जंगलों और गांवों के इर्द-गिर्द 11882.78 हेक्टेयर क्षेत्र से लैंटाना हटाकर इसकी जगह चारागाह विकसित किए जाएंगे। इनके माध्यम से पांच हजार से अधिक व्यक्तियों के लिए रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे। वन विभाग के मुखिया प्रमुख मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) राजीव भरतरी ने इस संबंध में सभी प्रभागीय वनाधिकारियों और संरक्षित क्षेत्र के निदेशकों को दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
लैंटाना ऐसी झाड़ी प्रजाति है, जो अपने इर्द-गिर्द दूसरी वनस्पतियों को नहीं पनपने देती। साथ ही वर्षभर खिलने के कारण इसका निरंतर फैलाव हो रहा है। प्रदेश का शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र होगा, जहां लैंटाना ने दुश्वारियां न खड़ी की हों। जंगलों में इसके फैलाव के कारण खाद्य श्रृंखला पर असर पड़ा है तो गांवों के नजदीक जंगली जानवरों का खतरा बढ़ा है।
हालांकि, लैंटाना उन्मूलन के लिए प्रतिवर्ष कदम तो उठाए जा रहे, मगर ये सब छिटपुट रूप से हैं। इसे देखते हुए अब लैंटाना उन्मूलन को मिशन मोड में संचालित करने का निर्णय लिया गया है। इसके लिए प्रतिकरात्मक वन रोपण निधि प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण (कैंपा) से चालू वित्तीय वर्ष के लिए 37 करोड़ की राशि अनुमोदित हुई है। इस कड़ी में अब विभाग ने कदम उठाने शुरू कर दिए हैं।
वन विभाग के मुखिया राजीव भरतरी ने प्रभागीय वनाधिकारियों के साथ ही कार्बेट व राजाजी टाइगर रिजर्व समेत सभी संरक्षित क्षेत्रों के निदेशकों को भेजे दिशा-निर्देशों में कहा है कि लैंटाना को हटाकर उसकी जगह चारागाह विकसित करना चुनौतीपूर्ण कार्य है। लिहाजा, इसमें सही तकनीक का उपयोग आवश्यक है। खाली होने वाली जगह पर घास प्रजातियों का रोपण व बीज बोए जाने हैं और ये कार्य समयबद्धता से होने हैं।
घास की 40 नर्सरियां
लैंटाना हटाकर उसकी जगह घास रोपने के लिए घास प्रजातियों की कमी न हो, इसके लिए प्रदेशभर 40 नर्सरियां स्थापित की जाएंगी। इसमें 50 फीसद स्थानीय चारायुक्त घास प्रजतियां, 30 फीसद लेग्यूम व बांस और शेष अन्य प्रजातियां शामिल होंंगी। ये कार्य महिलाओं के जरिये कराए जाएंगे। लैंटाना उन्मूलन के लिए कम से कम 50-100 हेक्टेयर क्षेत्र जरूरी है। कार्यों की ड्रोन से निगरानी होगी। मानीटरिंग को वन संरक्षक की अध्यक्षता में समिति गठित की जाएगी, जिसमें स्थानीय शिक्षण संस्थाओं, गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधि व विशेषज्ञ भी शामिल होंगे।
मनोज चंद्रन समन्वयक नामित
पीसीसीएफ भरतरी के मुताबिक लैंटाना उन्मूलन अभियान के लिए मुख्य वन संरक्षक मानव संसाधन विकास एवं कार्मिक प्रबंधन मनोज चंद्रन को समन्वयक नामित किया गया है। अभियान शुरू करने से पहले वन कर्मियों के साथ ही कार्य में लगाए जाने वाले स्थानीय श्रमिकों के लिए प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाएगी।
यह भी पढ़ें- वृक्ष प्रजातियों से ज्यादा कार्बन अवशोषित करते हैं सगंध पौधे, ऐसे सामने आई बात
Uttarakhand Flood Disaster: चमोली हादसे से संबंधित सभी सामग्री पढ़ने के लिए क्लिक करें