उत्तराखंड में जरूरी कार्यों के लिए आसानी से मिलेगी भूमि
अब सरकारी भूमि गांव सभा और सीलिंग से प्राप्त अतिरिक्त भूमि एवं अन्य सरकारी भूमि के उपयोग और आवंटन की व्यवस्था को सरल बनाने का निर्णय लिया गया है।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। नए उद्योगों को बुलाने, कांन्ट्रेक्ट फार्मिंग समेत आधुनिक तरीके से खेती, सौर ऊर्जा, पर्यटन समेत विभिन्न क्षेत्रों में एमएसएमई को बढ़ावा देने को प्रदेश में भूमि कानूनों में सुधार सरकार के एजेंडे का प्रमुख हिस्सा बन गया है। छह महीने के भीतर भू कानूनों में आधा दर्जन से ज्यादा सुधार किए गए हैं। इस कड़ी में अब सरकारी भूमि, गांव सभा और सीलिंग से प्राप्त अतिरिक्त भूमि एवं अन्य सरकारी भूमि के उपयोग और आवंटन की व्यवस्था को सरल बनाने का निर्णय लिया गया है।
दरअसल, मौजूदा परिस्थितियों ने राज्य सरकार की जरूरत का दायरा बढ़ा दिया है। उत्तराखंड (उत्तरप्रदेश जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम, 1950) की धारा-117 की उपधारा (1) में राज्य सरकार की भूमि, गांव सभा व सीलिंग से प्राप्त अतिरिक्त भूमि ग्राम सभाओं व स्थानीय प्राधिकारियों में निहित की गई थी। इस भूमि सुधार कानून की मंशा उपलब्ध कृषि भूमि पर सबसे पहला अधिकार भूमिहीन व खेतिहर मजदूरों व समाज के निर्बल वर्गों का माना गया। अब भूमि की जरूरत पूंजी निवेशकों, नए उद्योगों, स्वरोजगार योजनाओं के क्रियान्वयन के साथ ही सरकारी योजनाओं के लिए पड़ रही है।
अब उक्त भूमि आवंटन के लिए सामान्य सिद्धांतों में संशोधन को कैबिनेट ने भी मंजूरी दी है। इसके मुताबिक सुखाधिकार के तहत विभिन्न प्रकार के प्रतिष्ठानों को पहुंच मार्ग, पेयजल योजना, संचार व्यवस्था, ऊर्जा प्रतिष्ठानों के लिए भूमि का प्रस्ताव सार्वजनिक व व्यापक जनहित में होना चाहिए। भूमि आवंटन केवल पर्यटन, शैक्षणिक, स्वास्थ्य व उद्योग से संबंधित परियोजनाओं के लिए ही अनुमन्य होगी।
यह भी पढ़ें: उत्तराखंड में सड़क सुरक्षा कार्यों के लिए 19 करोड़ की धनराशि को मंजूरी
सुखाधिकार के ऐसे प्रकरण जिन्हें पहुंच मार्ग की आवश्यकता है, उन्हें भूमि आवंटन वर्तमान सर्किल रेट जमा करने पर ही किया जाएगा। उक्त मार्ग का उपयोग सार्वजनिक हित में भी किया जाएगा। सरकारी भूमि के आवंटन के प्रकरणों में 12.50 एकड़ भूमि की सीमा तक शासन स्तर से शुल्क सहित आवंटित की जा सकेगी। मुफ्त भूमि आवंटन, नजराने में छूट के विषय व उक्त सीमा से अधिक भूमि सशुल्क व निश्शुल्क आवंटन के प्रत्येक मामले में कैबिनेट फैसला लेगी। राजस्व सचिव सुशील कुमार के मुताबिक मंत्रिमंडल के फैसले के बाद विभिन्न योजनाओं के लिए भूमि की उपलब्धता में पेश आ रही अड़चन दूर हो सकेगी।
यह भी पढ़ें: भार क्षमता जांच में पास हुआ देश का पहला न्यू जनरेशन ब्रिज Uttarkashi News