पतंग के मांझे में फंसे बाज की प्रोटेक्शन फोर्स ने जान बचाई
4- संवाद सूत्र रायवाला युवाओं की पतंगबाजी का शौक निरीह परिदों की जिदगी पर भारी पड़
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संवाद सूत्र, रायवाला:
युवाओं की पतंगबाजी का शौक निरीह परिदों की जिदगी पर भारी पड़ रहा है। पेड़ों पर अटके पतंग के मांझे में फंसकर परिदों की जान जा रही है। प्रतीतनगर में एक पेड़ पर मांझे से उलझे हुए बाज को विलेज प्रोटेक्शन टीम ने मुक्त कराया।
शुक्रवार को प्रतीतनगर में पीपल के एक पेड़ पर काफी देर से फड़फड़ा रहे बाज की जानकारी मिलने पर विलेज प्रोटेक्शन टीम मौके पर पहुंची। नजदीक जाने पर पता चला कि उसके पैरों व पंख पर पतंग का मांझा लिपटा हुआ है, जिसकी वजह से वह टहनियों के बीच फंस गया और उड़ नहीं पा रहा है। टीम के सदस्यों ने बाज को मांझे से मुक्त किया। बंधन कटते ही बाज ने खुले आकाश में उड़ान भरी। दरअसल बसंत पंचमी पर क्षेत्र में खूब पतंगबाजी हुई। इसके लिए खतरनाक मांझे का भी प्रयोग किया जा रहा है। पतंगों का मांझा पेड़ों पर जाल की तरह उलझ जाता है। इनमें आए दिन पक्षी फंसते हैं और तड़पकर फड़फड़ाते रहते हैं। कई बार तो ऐसे ही उनकी जान निकल जाती है। इस स्थिति से वन्य जीव प्रेमी निराश व चितित हैं। राजाजी टाइगर रिजर्व के निदेशक डीके सिंह कहते हैं कि पतंगबाजी में खतरनाक मांझे का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। हालाकि यह मांझा प्रतिबंधित भी है, लेकिन सिर्फ कानून से बात नहीं बनेगी इसके प्रति आमजन को जागरूक होना पड़ेगा। वहीं बाज की जान बचाने वाली टीम में ईको विकास समिति के अध्यक्ष मुकेश भट्ट, शुभम तिवाड़ी, ओम प्रकाश, राजू शर्मा,अभिषेक थपलियाल, अजय चौहान, विपिन कुकरेती रहे।