हिंदू नववर्ष और चैत्र नवरात्र पर उत्तराखंड में केसरी ध्वज अभियान शुरू, सीएम रावत के आवास से हुई शुरुआत

हिंदू नववर्ष और चैत्र नवरात्र के अवसर पर केसरी ध्वज अभियान की शुरुआत की गई है। भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष जोगेंदर सिंह पुंडीर ने शहर में सभी परिवारों से केसरी झंडा फहराने का आह्वान किया। ध्वज अभियान की शुरुआत मुख्यमंत्री तीरथ के निवास पर ध्वज फहरा कर हुई।

By Raksha PanthriEdited By: Publish:Thu, 15 Apr 2021 12:16 PM (IST) Updated:Thu, 15 Apr 2021 12:16 PM (IST)
हिंदू नववर्ष और चैत्र नवरात्र पर उत्तराखंड में केसरी ध्वज अभियान शुरू, सीएम रावत के आवास से हुई शुरुआत
हिंदू नववर्ष और चैत्र नवरात्र पर उत्तराखंड में केसरी ध्वज अभियान शुरू।

जागरण संवाददाता, देहरादून। हिंदू नववर्ष और चैत्र नवरात्र के अवसर पर केसरी ध्वज अभियान की शुरुआत की गई। भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष जोगेंदर सिंह पुंडीर ने शहर में सभी परिवारों से केसरी झंडा फहराने का आह्वान किया। अभियान को सफल बनाने के लिए विधिवत पूजा अर्चना की गई और केसरी ध्वज अभियान की शुरुआत मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के निवास पर केसरी ध्वज फहरा कर की गई। 

कार्यक्रम में कैंट विधानसभा क्षेत्र के सभी पार्षदों ने हिस्सा लिया। जोगेंदर सिंह पुंडीर ने कहा कि हिंदू नववर्ष पर केसरी ध्वज फहराने का बहुत अधिक महत्व है। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है, चैत्र नववर्ष पर पौराणिक काल से ही भगवा झंडा फहराया जाता था। इसी परंपरा को पुनर्जीवित करने के लिए इस अभियान की शुरुआत की गई है।

हिंदू सनातन धर्म की रक्षा व धर्म की स्थापना के लिए इस नवरात्रि व हिंदू नववर्ष के शुभ अवसर पर शांति और समृद्धि के प्रतीक केसरी ध्वज को घरों के ऊपर फहराने का आह्वान किया गया। उन्होंने कहा कि जो भी व्यक्ति या परिवार इस ध्वज अभियान से जुड़ना चाहता है वह ध्वज प्राप्त करने के लिए भारतीय किसान मोर्चा कार्यालय कांवली में संपर्क कर सकता है। 

केसरिया ध्वज फहराने का आह्वान किया 

हिंदू रक्षा दल के प्रदेश अध्यक्ष ललित शर्मा ने राज्य के कोने-कोने में केसरिया पताका लहराने का आह्वान किया। परेड ग्राउंड स्थित उत्तरांचल प्रेसक्लब में आयोजित पत्रकार वार्ता में ललित शर्मा ने कहा कि हिंदू रक्षा मंच का संकल्प है कि केसरिया पताका का परचम लहराकर जेहादी मानसिकता को जड़ से उखाड़ फेंकना है। निदेशकों की जगह प्रशासक तैनात हैं। ये जिम्मा संबंधित जिले के डीएम के पास है। 

इससे पहले नियुक्त किए गए निदेशकों के खिलाफ खूब शिकायतें शासन को मिलीं थीं। शासन ने कार्रवाई करते हुए निदेशकों को हटाने के साथ ही कालेजों को जिलाधिकारियों के सुपुर्द कर दिया है। कालेजों में खींचतान के माहौल में विराम लग गया है। जिलाधिकारी का प्रताप कहें या खौफ, शिकायत करने की हिम्मत जुटाना मुश्किल हो गया है। खौफजदा कॉलेजों में शिक्षा की व्यवस्था अब पटरी पर बताई जा रही है। टांग खिंचाई और झिक-झिक खत्म। शासन मौज में है।

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