उत्तराखंड: तीन संतान होने पर गई केलाखेड़ा नगर पंचायत के अध्यक्ष की कुर्सी
प्रदेश में तीन संतान होने पर नगर पंचायत केलाखेड़ा के अध्यक्ष हामिद अली की कुर्सी चली गई। अदालत के आदेश और ऊधमसिंह नगर के जिलाधिकारी की आख्या के बाद शासन ने हामिद को अध्यक्ष पद के लिए अयोग्य और इस पद को रिक्त घोषित कर दिया।
राज्य ब्यूरो, देहरादून। जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर चल रहे बहस-मुबाहिसे के बीच प्रदेश में तीन संतान होने पर नगर पंचायत केलाखेड़ा के अध्यक्ष हामिद अली की कुर्सी चली गई। अदालत के आदेश और ऊधमसिंह नगर के जिलाधिकारी की आख्या के बाद शासन ने हामिद को अध्यक्ष पद के लिए अयोग्य और इस पद को रिक्त घोषित कर दिया। नगर निकायों में दो से अधिक संतान होने पर प्रतिनिधियों के खिलाफ कार्रवाई का प्रदेश में यह दूसरा मामला है। इससे पहले नगर पालिका परिषद लक्सर की वार्ड सदस्य नीता पांचाल की सदस्यता समाप्त की गई थी।
नगर पंचायत केलाखेड़ा के वर्ष 2018 में हुए चुनाव में अध्यक्ष पद पर हामिद अली का निर्वाचन हुआ था। बाद में चुनाव में प्रतिद्वंद्वी रहे अकरम खान ने शिकायत दर्ज कराई थी कि हामिद ने नगर पालिका अधिनियम के उस प्रविधान का उल्लंघन किया है, जिसमें यह साफ है कि 27 अप्रैल 2003 के बाद दो से अधिक संतान वाला व्यक्ति चुनाव नहीं लड़ सकता। अकरम का आरोप था कि हामिद ने शपथ पत्र में दो संतानों का जिक्र किया, जबकि उनकी तीन संतानें हैं और तीनों का जन्म अप्रैल 2003 के बाद हुआ है। बाद में यह मामला कोर्ट में भी गया। कोर्ट ने भी हामिद को अध्यक्ष पद के लिए अयोग्य करार दिया।
अब सचिव (प्रभारी) शहरी विकास विनोद कुमार सुमन ने भी इस संबंध में आदेश जारी कर दिए हैं। सुमन के मुताबिक प्रथम अपर जिला न्यायाधीश ऊधमसिंहनगर के आदेश और जिलाधिकारी ऊधमसिंहनगर की आख्या के आधार पर दो से अधिक संतान होने पर केलाखेड़ा नगर पंचायत के अध्यक्ष हामिद अली के खिलाफ कार्रवाई की गई है।
एसडीएम को प्रशासक का जिम्मा
केलाखेड़ा नगर पंचायत के अध्यक्ष का पद रिक्त होने संबंधी शासनादेश जारी होने के बाद डीएम ऊधमसिंहनगर ने एसडीएम बाजपुर को केलाखेड़ा का प्रशासक नियुक्त किया है। नए अध्यक्ष के कार्यभार ग्रहण करने तक वह यह जिम्मा देखेंगे, ताकि नगर पंचायत में चल रहे कार्यों पर कोई असर न पड़े।
दो बच्चों वाले ही लड़ सकते हैं चुनाव
प्रदेश में नगर निकायों और पंचायतों में चुनाव लड़ने के लिए अधिकतम दो बच्चों की शर्त लागू है। नगर निकायों में यह प्रविधान जुलाई 2002 से लागू है, जबकि पंचायतों में इसे 2018 के चुनावों से प्रभावी किया गया।
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