Kartik Purnima 2020 कार्तिक पूर्णिमा पर घर में स्नान कर कमा सकते हैं पुण्य, जानिए पूजन विधि
कोरोना को देखते प्रशासन ने इस बार कार्तिक पूर्णिमा पर होने वाले स्नान पर रोक लगाई है। ऐेसे में भक्त घर पर रहकर भी गंगाजल से स्नान कर पुण्य कमा सकते हैं। पूजा के बाद घर पर गंगाजल स्नान करने से गंगा नदी में स्नान के बराबर पुण्य मिलता है।
देहरादून, जेएनएन। Kartik Purnima 2020 कोरोना संक्रमण को देखते प्रशासन ने इस बार कार्तिक पूर्णिमा पर होने वाले स्नान पर रोक लगाई है। ऐेसे में भक्त घर पर रहकर भी गंगाजल से स्नान कर पुण्य कमा सकते हैं। ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक विधिवत पूजा के बाद घर पर गंगाजल स्नान करने से गंगा नदी में स्नान के बराबर पुण्य मिलता है। कार्तिक पूर्णिमा तिथि 29 नवंबर को रात 12 बजकर 49 मिनट से 30 नवंबर को दोपहर तीन बजे तक रहेगी।
कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान और दान करना दस यज्ञों के समान पुण्यकारी माना गया है। इस दिन किए जाने वाले दान-पुण्य समेत कई धार्मिक कार्य विशेष फलदायी होते हैं। आचार्य सुशांत राज के मुताबिक, मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा की संध्या पर भगवान विष्णु का मत्स्य अवतार हुआ था। एक अन्य मान्यता के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा के दिन महादेव ने त्रिपुरासुर नाम के राक्षस का वध किया था, इसलिए इसे त्रिपुरी पूर्णिमा भी कहते हैं।
पूजन विधि
कार्तिक पूर्णिमा के दिन सूर्योदय से पहले उठकर व्रत धारण करें। इसके बाद सुबह एक बर्तन में गंगाजल डालकर उसमें पानी मिला दें। भगवान का ध्यान करते हुए तीन बार इस पानी से चारों ओर छिड़काव करें। इसके बाद स्नान करें। रात्रि के समय विधि-विधान से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करें और चंद्रमा को अर्घ्य दें। सत्यनारायण की कथा पढ़ें, सुनें और सुनाएं। घर के अंदर और बाहर दीपक जलाएं। जरूरतमंदों को भोजन वितरित कर उन्हें दक्षिणा दें।
मंदिरों में ज्योत जलाकर की कामना
बैकुंठ चतुर्दशी पर दून के मंदिरों में ज्योत जलाकर भक्तों ने परिवार की सुख समृद्धि की कामना की। इस दौरान पितरों को भी याद किया गया। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर भगवान विष्णु व शिव दोनों देवों की पूजा एक साथ की जाती है। पृथ्वीनाथ महादेव मंदिर, आदर्श मंदिर पटेलनगर, स्र्वापुरी मंदिर, प्राचीन शिव मंदिर आराघर, शिव मंदिर डाकरा समेत कई मंदिरों में भक्तों ने पूजा अर्चना कर ज्योत जलाई। भक्तों ने मंदिरों में भगवान विष्णु व शिव की आराधना की।