Kailas Mansarover: करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का प्रतीक कैलास बनेगा विश्व धरोहर, विदेश मंत्रालय करेगा पैरवी

करोड़ों व्यक्तियों की आस्था के प्रतीक पवित्र कैलास भूक्षेत्र को विश्व धरोहर बनाने की दिशा में डब्ल्यूआइआइ को बड़ी सफलता मिली है। भारत के साथ चीन व नेपाल की इस साझा विरासत को वैश्विक पटल पर संरक्षण प्रदान करने के लिए विदेश मंत्रालय ने अपनी सहमति प्रदान कर दी है।

By Raksha PanthriEdited By: Publish:Sun, 18 Apr 2021 03:15 PM (IST) Updated:Mon, 19 Apr 2021 09:32 AM (IST)
Kailas Mansarover: करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का प्रतीक कैलास बनेगा विश्व धरोहर, विदेश मंत्रालय करेगा पैरवी
करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का प्रतीक कैलास बनेगा विश्व धरोहर।

सुमन सेमवाल, देहरादून। करोड़ों व्यक्तियों की आस्था के प्रतीक पवित्र कैलास भूक्षेत्र (मानसरोवर समेत) को विश्व धरोहर बनाने की दिशा में भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआइआइ) को बड़ी सफलता मिली है। भारत के साथ चीन व नेपाल की इस साझा विरासत को वैश्विक पटल पर संरक्षण प्रदान करने के लिए विदेश मंत्रालय ने अपनी सहमति प्रदान कर दी है। पिछले एक साल से अधिक समय से कोरोना संक्रमण के चलते यह राह थोड़ी लंबी जरूर हुई है, मगर हमारे अधिकारी इस दिशा में तेजी से काम कर रहे हैं।

करीब दो साल से पवित्र कैलास भूक्षेत्र (भारतीय, चीन व नेपाल के क्षेत्र को मिलाकर 31 हजार 252 वर्ग किलोमीटर) को यूनेस्को संरक्षित विश्व धरोहर का दर्जा दिलाने का प्रयास किया जा रहा है। भारत में इसका क्षेत्रफल 7120 वर्ग किलोमीटर है। तत्कालीन निदेशक डॉ. वीबी माथुर के नेतृत्व में इस संबंध में प्रस्ताव तैयार करने का काम शुरू किया गया था। वर्तमान निदेशक डॉ. धनंजय मोहन के मुताबिक, प्रस्ताव का काम अंतिम चरण में है। राज्य सरकार को साथ में लेकर प्रस्ताव संस्कृति मंत्रालय को भेजा जाएगा।

कैलास भूक्षेत्र का जितना सांस्कृतिक महत्व है, उतना ही महत्व प्राकृतिक रूप में भी है। हालांकि, मानसरोवर चीन में है और भारत से इसका मार्ग होकर गुजरता है। इसका एक मार्ग नेपाल से भी होकर गुजरता है। लिहाजा, पड़ोसी देशों की भूमिका भी अहम हो जाती है। खास बात यह भी है कि विदेश मंत्रालय चीन व नेपाल के साथ इस प्रस्ताव को आगे बढ़ाने के लिए तैयार हो गया है। विदेश मंत्रालय का कहना है कि भारतीय वन्यजीव संस्थान का प्रस्ताव प्राप्त होते ही वह चीन व नेपाल के साथ इसे अंजाम तक पहुंचाने का काम करेंगे। उधर, यह जानकारी भी मिली है कि भारत की तरह की चीन व नेपाल अपने स्तर पर पवित्र कैलास भूक्षेत्र को विश्व धरोहर का दर्जा दिलाने के लिए तेजी से काम कर रहे हैं। 

सेटेलाइट मैपिंग का अहम योगदान

पवित्र कैलास भूक्षेत्र की प्राकृतिक व सांस्कृतिक विविधता और इसमें आ रहे बदलाव को लेकर उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (यूसैक) ने 14 सेटेलाइट मैप तैयार किए हैं। इसमें समाहित तथ्यों के आधार पर डब्ल्यूआइआइ को बेहतर प्रस्ताव बनाने में खासी मदद मिल रही है।

कैलास भूक्षेत्र की स्थिति (वर्ग किलोमीटर)

देश, क्षेत्रफल, आबादी

भारत: 7,120- 4,60,000

चीन (तिब्बत): 10,843-8,800

नेपाल: 13,289-5,64,000

कुल: 31,252-10,32,800

यह भी पढ़ें- Chardham Yatra: कुंभ के बाद अब देवभूमि में चारधाम यात्रा की चुनौती, निगेटिव रिपोर्ट अथवा वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट हो सकता है अनिवार्य

Uttarakhand Flood Disaster: चमोली हादसे से संबंधित सभी सामग्री पढ़ने के लिए क्लिक करें

chat bot
आपका साथी