देहरादून में भगवान विष्णु का ध्यान व दान कर मनाई ज्येष्ठ पूर्णिमा
भगवान विष्णु के स्वरूप सत्यनारायण की पूजा का दिन ज्येष्ठ पूर्णिमा गुरुवार को स्नान ध्यान और दान कर मनाई गई। घरों और मंदिरों में भगवान विष्णु की आराधना की गई वहीं विभिन्न मंदिरों में विधिवत पूजा के बाद भजन हुए।
जागरण संवाददाता, देहरादून : भगवान विष्णु के स्वरूप सत्यनारायण की पूजा का दिन ज्येष्ठ पूर्णिमा गुरुवार को स्नान, ध्यान और दान कर मनाई गई। घरों और मंदिरों में भगवान विष्णु की आराधना की गई, वहीं विभिन्न मंदिरों में विधिवत पूजा के बाद भजन हुए।
प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा विशेष होने पर श्रद्धालु इस दिन व्रत रखते हैं। इसी क्रम में गुरुवार सुबह व्रत का संकल्प लेकर घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान किया। इसके बाद पूजास्थल पर भगवान विष्णु की आराधना की और दोपहर को मंदिर व विभिन्न स्थानों पर जरूरतमंदों को दान किया। वहीं, सनातन धर्म मंदिर प्रेमनगर, वैष्णो देवी गुफा योग मंदिर टपकेश्वर समेत कई मंदिरों में भगवान का अभिषेक कर पूजा की और कीर्तन मंडली ने भजन गाए। वहीं रात को चंद्रमा को दूध और शहद मिलाकर अघ्र्य देने के बाद व्रत खोला।
108 पवित्र जल कलशों से कराया प्रभु को स्नान
दीपलोक कालोनी स्थित श्री राम मंदिर में आचार्य सुभाष चंद्र सतपति के सानिध्य में देव पूर्णिमा पर श्री जगन्नाथ की विधिवत पूजा अर्चना हुई। इस दौरान 108 जल कलशों से प्रभु का स्नान कराया गया।
आचार्य ने बताया कि मंदिर में आरती के बाद पहुंडी विज करवा कर श्री जगन्नाथ प्रभु को मंदिर हाल में सिंहासन पर विराजमान किया गया। इसके बाद समस्त तीर्थों से एकत्र जल के 35 कलशों से जगन्नाथ जी को, 33 कलशों से बलभद्र जी को, 22 कलशों के जल से मां सुभद्रा को और 18 कलशों के जल से सुदर्शन को स्नान करवाकर उनकी पूजा-अर्चना की गई।
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उन्होंने बताया कि सभी कार्यक्रम भक्तों की उपस्थिति में संपन्न होता है लेकिन कोरोना काल के चलते चार ब्राह्मणों द्वारा ही संपन्न कराया गया। मान्यता है कि स्नान के पश्चात प्रभु का स्वास्थ्य स्वस्थ हो जाता है और वह अपने कक्ष में आराम के लिए चले जाते हैं। कक्ष के द्वार अगले 14 दिनों के लिए आम श्रद्धालुओं के लिए बंद रहते हैं। जहां उनका उपचार होता है और जब 14 दिन के पश्चात वह भक्तों को अपने दर्शन देते हैं तो उन्हें नव यौवन दर्शन कहते हैं।
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