मलिन बस्तियों के हक की लड़ाई लड़ेगी जन हस्तक्षेप, पढ़िए पूरी खबर

प्रदेशभर की मलिन बस्तियों को नियमित करने या पुनर्वास के संबंध में कोई फैसला नहीं लिए जाने पर जन हस्तक्षेप संस्था ने आक्रोश जताया। उन्होंने जल्द कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाए जाने की स्थिति प्रदेशव्यापी आंदोलन की चेतावनी दी।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Fri, 22 Jan 2021 04:10 PM (IST) Updated:Fri, 22 Jan 2021 04:10 PM (IST)
मलिन बस्तियों के हक की लड़ाई लड़ेगी जन हस्तक्षेप, पढ़िए पूरी खबर
प्रेसक्लब में पत्रकारों से वार्ता करते पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय। साथ में निर्मला बिष्ट।

जागरण संवाददाता, देहरादून। प्रदेशभर की मलिन बस्तियों को नियमित करने या पुनर्वास के संबंध में कोई फैसला नहीं लिए जाने पर जन हस्तक्षेप संस्था ने आक्रोश जताया। उन्होंने जल्द कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाए जाने की स्थिति प्रदेशव्यापी आंदोलन की चेतावनी दी। प्रेस क्लब में गुरुवार को आयोजित पत्रकार वार्ता में कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने कहा कि प्रदेश की मलिन बस्तियों में लाखों परिवार भय की स्थिति में रह रहे हैं। इसका कारण यह है कि उच्च न्यायालय के आदेश के बाद 2018 में देहरादून के लाखों घर उजाडऩे के लिए सरकार तैयार हो गई थी। 

जन विरोध होने के बाद सरकार एक अध्यादेश लाई थी। जिसके अनुसार तीन साल के लिए बेदखली की प्रक्रिया निलंबित की गई थी। वह तीन साल जून 2021 में समाप्त होने जा रहे हैं, लेकिन सरकार की ओर से अब तक कोई वाजिब कदम नहीं उठाए गए हैं। सीपीआइ के प्रदेश सचिव समर भंडारी ने कहा कि अतिक्रमण हटाने के नाम पर किसी भी परिवार को बेघर नहीं किया जाना चाहिए। 

अगर किसी भी क्षेत्र के नागरिकों को पर्यावरण, आपदा के खतरे या विकास कार्यों की वजह से पुनर्वासित करने की जरूरत है, तो यह काम भी एक पारदर्शी प्रक्रिया से तय किया जाना चाहिए। इन इलाकों के अलावा अन्य इलाकों में यदि कोई परिवार मान्य सरकारी दस्तावेज दिखा पाए कि वह कम से कम एक साल से खुद के घर में रह रहे हैं, तो उस परिवार को उस घर का पट्टा मिलना चाहिए। मौके पर समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. एसए सचान, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मा - ले) के गढ़वाल सचिव, इंद्रेश मैखुरी, उत्तराखंड क्रांति दल के राज्य संयोजक नेता शिव प्रसाद सेमवाल, निर्मला बिष्ट समेत अन्य लोग मौजूद रहे।

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