सहायता प्राप्त अशासकीय कॉलेजों को संबद्ध कराना नहीं होगा आसान, जानिए वजह

सहायता प्राप्त अशासकीय कॉलेजों को श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय से संबद्ध करना राज्य सरकार के लिए आसान नहीं होगा। पहले राज्य सरकार को केंद्र सरकार के समक्ष इन कॉलेजों को केंद्रीय गढ़वाल विवि से असंबद्ध करने की प्रक्रिया पूरी करवानी होगी।

By Raksha PanthriEdited By: Publish:Tue, 19 Jan 2021 01:04 PM (IST) Updated:Tue, 19 Jan 2021 01:04 PM (IST)
सहायता प्राप्त अशासकीय कॉलेजों को संबद्ध कराना नहीं होगा आसान, जानिए वजह
सहायता प्राप्त अशासकीय कॉलेजों को संबद्ध कराना नहीं होगा आसान।

जागरण संवाददाता, देहरादून। सहायता प्राप्त अशासकीय कॉलेजों को श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय से संबद्ध करना राज्य सरकार के लिए आसान नहीं होगा। पहले राज्य सरकार को केंद्र सरकार के समक्ष इन कॉलेजों को केंद्रीय गढ़वाल विवि से असंबद्ध करने की प्रक्रिया पूरी करवानी होगी। साथ ही पांच अक्टूबर 2020 को प्रमुख सचिव उत्तराखंड उच्च शिक्षा ने केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय से मिले एक पत्र के जवाब में साफ लिखा है कि सहायता प्राप्त महाविद्यालय असंबद्ध नहीं किए जा सकते हैं, क्योंकि इनकी संबद्धता केंद्रीय विश्वविद्यालय अधिनियम 2009 से मिली हुई है। उनको असंबद्ध किए जाने के लिए अधिनियम में संसद से संशोधन करना अनिवार्य है। ऐसे में सहायता प्राप्त अशासकीय महाविद्यालयों को श्रीदेव सुमन से संबद्ध करना चुनौती हो सकता है।  

प्रदेश सरकार को इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि केंद्रीय सरकार की यह नीति है कि प्रत्येक राज्य में कम से कम एक केंद्रीय विश्वविद्यालय अवश्य हो, जिससे कि प्रत्येक राज्य को गुणवत्ता वाली शिक्षा का लाभ मिले। यही सोच लेकर उत्तराखंड राज्य बनने के बाद पूर्व में स्थापित हेमवती नंदन बहुगुणा विवि को केंद्रीय विवि का दर्जा दिया गया। जिससे कि गढ़वाल क्षेत्र में आने वाली करीब 40 लाख की जनसंख्या को केंद्रीय विवि का लाभ मिले। 18 सहायताप्राप्त अशासकीय महाविद्यालयों से स्नातक, स्नातकोत्तर व पीएचडी की डिग्री प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं को आगे उपाधि केंद्रीय विवि के स्थान पर राज्य विश्वविद्यालय श्रीदेव सुमन की मिलेगी।  

डीएवी पीजी कॉलेज के पूर्व उपाध्यक्ष अनिल वर्मा ने बताया कि राज्य सरकार को पहले सभी पहलुओं का अध्ययन करना चाहिए था। साथ ही पहले केंद्र सरकार के स्तर पर इन अशासकीय कॉलेजों को असंबद्ध किया जाता। इसके बाद श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विवि से संबद्धता को लेकर कार्रवाई आगे बढ़ाई जाती। सरकार को जल्दबाजी किस बात की थी।

यह भी पढ़ें- उत्तराखंड: प्रधानाचार्य के रिक्त पद सीधी भर्ती से भरने पर निर्णय नहीं, जानिए वजह

chat bot
आपका साथी