ये कैसी इंजीनियरिंग, फोर-लेन में सिंगल लेन का जुगाड़, जानिए पूरी खबर

फोर लेन में संचालित हो रहे आइएसबीटी फ्लाईओवर की एक लेन के 20 मीटर से अधिक हिस्से को सिंगल लेन की गैलरी में बदल दिया गया है।

By Raksha PanthariEdited By: Publish:Wed, 29 May 2019 05:52 PM (IST) Updated:Wed, 29 May 2019 05:52 PM (IST)
ये कैसी इंजीनियरिंग, फोर-लेन में सिंगल लेन का जुगाड़, जानिए पूरी खबर
ये कैसी इंजीनियरिंग, फोर-लेन में सिंगल लेन का जुगाड़, जानिए पूरी खबर

देहरादून, जेएनएन। लोनिवि के अधिकारी न सिर्फ सड़क इंजीनियरिंग का मखौल उड़ा रहे हैं, बल्कि लगातार सरकार को भी गुमराह कर रहे हैं। पहले जमीन अधिग्रहण का रोना रोकर फोर लेन में स्वीकृत बल्लीवाला फ्लाईओवर का निर्माण दो लेन में करा डाला और अब पहले से फोर लेन में संचालित हो रहे आइएसबीटी फ्लाईओवर की एक लेन के 20 मीटर से अधिक हिस्से को सिंगल लेन की गैलरी में बदल दिया गया। इंजीनियरिंग की समझ न रखने वाला एक सामान्य सा व्यक्ति भी इसे देखकर बता सकता है कि यह प्रयोग सड़क सुरक्षा के नाम पर किसी मजाक से कम नहीं। बावजूद इसके निचले स्तर के अधिकारी मनमाने प्रयोग करने में तुले हैं और विभाग के उच्चाधिकारी उन पर कार्रवाई करने की जगह नजरें फेर रहे हैं। 50 से 100 साल तक के यातायात दबाव के लिहाज बनने वाली सड़क परियोजनाओं के साथ किए जा रहे अटपटे प्रयोगों की शुरुआत आइएसबीटी फ्लाईओवर के ताजा प्रकरण से करते हैं। 

प्रस्ताव के बावजूद वाई-शेप पर बाद में काम 

दूसरे फ्लाईओवरों के साथ मार्च 2013 में जब इस परियोजना का भी शिलान्यास किया गया था, तब ही यह प्रस्ताव था कि इसका निर्माण वाई-शेप में किया जाना है। ताकि हरिद्वार बाईपास रोड के यातायात को भी फ्लाईओवर की सुविधा दी जा सके। हालांकि, अधिकारियों की लापरवाही के चलते सिर्फ आइएसबीटी फोर लेन (देहरादून-सहारनपुर रोड) फ्लाईओवर का निर्माण किया जा सका। जब इस फ्लाईओवर पर वाहनों का संचालन शुरू हो गया, उसके काफी समय बाद वाई-शेप फ्लाईओवर पर काम शुरू किया गया। अधिकारियों ने यह निर्णय तो ले लिया कि यह वन-वे रहेगा और हरिद्वार बाईपास रोड की तरफ से आने वाले वाहन ही इसका प्रयोग कर पाएंगे, मगर किसी ने सोचा नहीं कि पुराने फ्लाईओवर के जिस भाग पर यह मिलेगा, वहां पर दोनों फ्लाईओवर के वाहन किस तरह सुरक्षित ढंग से आगे बढ़ेंगे। 

ढांचा खड़ा होने के बाद सुरक्षा का ख्याल 

जब यह फ्लाईओवर पुराने फ्लाईओवर के बीच वाले हिस्से पर जुड़ गया, तब अधिकारियों को एहसास हुआ कि पुराने फ्लाईओवर वाले वाहन वन-वे फ्लाईओवर पर विपरीत दिशा में चल सकते हैं। क्योंकि यदि यह भी चार या तीन लेन भी होता तो इस पर न सिर्फ दोनों तरफ के वाहन चल सकते थे, बल्कि वाहन चालकों को अतिरिक्त सुविधा भी मिल जाती। यह तब संभव था, जब अधिकारी डिजाइन बनाते समय इस तरह की आशंका को ध्यान में रखते। 

अफसोस कि अधिकारियों ने इस दिशा में गंभीरता नहीं दिखाई और जब पूरा ढांचा खड़ा हो गया, तब बेहद अटपटे ढंग से पुराने फ्लाईओवर की एक लेन को भी 20 मीटर से अधिक भाग पर स्प्रिंग पोस्ट लगाकर इसकी चौड़ाई को किसी कॉलोनी की सड़क से भी संकरा कर दिया। 

इसलिए है खतरे की आशंका अधिक 

आइएसबीटी फ्लाईओवर पर लगाए गए स्प्रिंग पोस्टों ने पुरानी लेन के 20 मीटर से अधिक भाग को सिंगल लेन बना दिया है और इससे नए फ्लाईओवर के मुहाने की चौड़ाई भी कम हो गई हैं, क्योंकि यह काफी हद तक इसके मुहाने को भी कवर कर रहा है। ऐसे में इस जगह पर एक साथ दो बॉटलनेक बन गए हैं। वाहन चालकों की जरा सी भी लापरवाही यहां पर भारी पड़ सकती है। वह इसलिए कि जिस भाग पर दोनों तरफ के वाहन आगे बढ़ेंगे, वही भाग सबसे संकरा हो गया है। 

लोनिवि के अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश का कहना है कि आपके माध्यम से यह मामला मेरे संज्ञान में आ गया है। देखा जाएगा कि किन परिस्थितियों में फ्लाईओवर की लेन को संकरा बनाया गया है और उसके क्या असर सामने आ सकते हैं। इस दिशा में विचार-विमर्श कर उचित हल निकाला जाएगा। ताकि फ्लाईओवर में वाहनों के लिए किसी तरह की व्यवधान पैदा न हो। 

बल्लीवाला पर सभी नियमों को किया दरकिनार 

फोर लेन राष्ट्रीय राजमार्ग पर बनाए गए दो लेन बल्लीवाला फ्लाईओवर पर अब तक 13 युवा अपनी जान गंवा चुके हैं। संकरे व घुमावदार फ्लाईओवर पर सुरक्षा की दृष्टि के तमाम असफल प्रयोग किए जा चुके हैं, मगर जिन अधिकारियों की अनदेखी व उदासीनता के चलते इस तरह के फ्लाईओवर का निर्माण किया गया, उन पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। क्योंकि सबसे पहले अनदेखी यह की गई कि फोर लेन में स्वीकृत फ्लाईओवर का निर्माण दो लेन में किया गया। इसके साथ ही निर्माण शुरू करने से पहले सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की भी अनुमति नहीं ली गई, जबकि यह सड़क केंद्र के अधीन है। जो कि राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम-1956 के प्रावधानों का भी उल्लंघन है। 

इसके बाद जब जागरण ने अधिकारियों की पोल खोली तो दौड़-भाग कर केंद्र से एनओसी प्राप्त की गई, मगर उसमें भी फोर लेन के निर्माण का जिक्र था। इस दफा भी अधिकारियों ने अपनी ही चलाई और दो लेन में निर्माण जारी रखा। इस प्रकरण को युवा कल्याण परिषद के पूर्व उपाध्यक्ष रवींद्र जुगरान हाईकोर्ट भी लेकर गए और अधिकारियों ने अपनी खाल बचाने को झूठ कह दिया कि जमीन अधिग्रहण में पेच फंसने के चलते फोर लेन में निर्माण नहीं किया गया। 

एक और फ्लाईओवर निर्माण की रिपोर्ट पर भी चुप्पी 

इसके बाद जब हाई कोर्ट ने बल्लीवाला में डबल ब्रिज या एक और डबल लेन फ्लाईओवर निर्माण पर फिजिबिलिटी रिपोर्ट तलब की तो रिपोर्ट तैयार करा दी गई। जिसमें एक और फ्लाईओवर निर्माण की संभावना तलाशी गई और इस खानापूर्ति के बाद मामला फिर ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। 

निर्माण कंपनी की मनमानी पर रोक लगाई तो अभियंता को मिला तबादला 

लोनिवि और राज्य सरकार के अधिकारी बल्लीवाला में दो लेन फ्लाईओवर के निर्माण को इतने आतुर थे कि बिना यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट (यूसी) के ही निर्माण कंपनी ईपीआइएल को भुगतान जारी किया जाता रहा। ऐसे में तत्कालीन अधिशासी अभियंता एएस भंडारी ने भुगतान पर रोक लगाई और कंपनी के पेच कसे तो उनका तबादला चमोली जिले में कर दिया गया था।  

कारगुजारी पूर्ववर्ती सरकार में, निर्णय की अपेक्षा इस सरकार से 

जब दून में फ्लाईओवर निर्माण की नींव पड़ी, उस समय कांग्रेस की सरकार थी और मुख्यमंत्री थे विजय बहुगुणा। तब न सिर्फ बल्लीवाला फ्लाईओवर के निर्माण में नियमों की अनदेखी की गई, बल्कि आइएसबीटी पर वाई-शेप के फ्लाईओवर निर्माण की स्थिति भी साफ नहीं की जा सकी। इसके बाद जब पूर्ववर्ती सरकार में ही हरीश रावत मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने इस तरह के निर्माण की शुरुआत करने यहां तक कह दिया था कि 'मेरा बस चले तो मैं ऐसे निर्माण करने वालों का गला पकड़ लूं'। 

उन्होंने अनुबंध की शर्तों पर बंधे होने की बात कहकर अपनी असमर्थता भी जाहिर कर दी थी। इसके बाद जब बल्लीवाला फ्लाईओवर पर हादसे बढ़ने लगे, तब तक भाजपा की सरकार आ चुकी थी। इस बीच बल्लीवाला फ्लाईओवर पर तमाम प्रयोग किए जाने के बाद भी बात नहीं बनने पर कुछ समय पहले मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बल्लीवाला फ्लाईओवर का दौरा भी किया और उन्होंने भी अधिकारियों से पूछ डाला कि यहां पर क्यों एक और फ्लाईओवर नहीं बन सकता। इसका असर अभी धरातल पर नहीं दिखा है, मगर उम्मीद जरूर है। 

वहीं, दूसरी तरफ आइएसबीटी फ्लाईओवर पर बल्लीवाला की ही तरह एक और अटपटे प्रयोग ने अधिकारियों की भूमिका को फिर कठघरे में खड़ा कर दिया है।

बहुत जल्द मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को आइएसबीटी पर बने नए फ्लाईओवर का लोकार्पण करना है। ऐसे में जनता उनसे अपेक्षा कर रही है कि वह विकास की परियोजनाओं के साथ हो रहे खिलवाड़ को लेकर न सिर्फ स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी करेंगे, बल्कि वर्तमान में सामने आ चुके प्रयोगों से भी निजात दिलाने की तरफ भी कार्रवाई करेंगे।

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