नहरों का पता नहीं और चौराबाड़ी ग्लेशियर की करेंगे निगरानी, पढ़िए पूरी खबर

सिंचाई विभाग के जिन इंजीनियरों से सिंचाई नहरें भी ढंग से नहीं संभल पा रही हैं उन्हें चौराबाड़ी ग्लेशियर में बन रही झील की निगरानी करने को कहा गया है।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Fri, 19 Jul 2019 02:59 PM (IST) Updated:Fri, 19 Jul 2019 02:59 PM (IST)
नहरों का पता नहीं और चौराबाड़ी ग्लेशियर की करेंगे निगरानी, पढ़िए पूरी खबर
नहरों का पता नहीं और चौराबाड़ी ग्लेशियर की करेंगे निगरानी, पढ़िए पूरी खबर

देहरादून, जेएनएन। सिंचाई विभाग के जिन इंजीनियरों से सिंचाई नहरें भी ढंग से नहीं संभल पा रही हैं, उन्हें चौराबाड़ी ग्लेशियर में बन रही झील की निगरानी करने को कहा गया है। यह निर्देश उन्हें किसी और ने नहीं, बल्कि खुद सिंचाई मंत्री सतपाल महराज ने दिए हैं। इस निर्देश पर अधिकारियों ने हां में सिर तो हिला डाला, मगर उनके चेहरों के हावभाव बता रहे थे कि उनके लिए यह असंभव सा काम है। इसकी बड़ी वजह यह भी है कि सिंचाई विभाग के पास ग्लेशियरों की निगरानी की कोई विशेषज्ञता भी नहीं है। ऐसे में दबी जुबान में कुछ ने यह भी कहा कि इंजीनियर विभाग की जमीनों और भवनों से कब्जा हटा दें या फिर देहरादून शहर की नहरों का पता लगा दें, तो यही उनके लिए चौराबाड़ी ग्लेशियर की निगरानी जैसा काम होगा। 

सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज गुरुवार को यमुना कॉलोनी में सिंचाई विभाग की समीक्षा कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने केदारनाथ में चौराबाड़ी ग्लेशियर में बन रही झील का संज्ञान लिया। मंत्री ने कहा कि ग्लेशियर और झील की सेटेलाइट से मॉनिटरिंग करनी चाहिए। इसके लिए विभाग को कार्ययोजना बनाने के भी निर्देश दिए गए। यही नहीं मंत्री ने कहा कि चौराबाड़ी के साथ राज्य की सभी नदियों के मुहाने और स्रोतों पर झील बनने का अध्ययन कर समय रहते बाढ़ सुरक्षा कार्य किए जाएं। 

उन्होंने कहा कि सिंचाई विभाग बाढ़ सुरक्षा के मामलों में विशेषज्ञ है। ऐसे में प्रदेश की नदी, नालों, बादल फटने, भूस्खलन आदि कारणों से आने वाली बाढ़ से निटपने की तैयारी पूरी कर लें। मंत्री ने नदियों के कटाव और बाढ़ के खतरे वाले गांव और कस्बों की सुरक्षा भी पुख्ता करने के निर्देश दिए। बाढ़ सुरक्षा कार्य तक तक इंजीनियर हामी भरते रहे, लेकिन जैसे ही मंत्री ने चौराबाड़ी ग्लेशियर की सेटेलाइट मॉनिटरिंग की बात कही तो सभी बगलें झांकने लगे। कुछ ने हां में सिर भी हिलाया, मगर स्थिति ऐसी थी मानो काटो तो खून नहीं। खैर, मंत्री जी ने उम्मीद की तो हां पर हां तो मिलाना ही था।

सिंचाई विभाग के लिए इसलिए भी असंभव सा काम

ग्लेशियरों में आ रहे बदलाव या उनमें बन रही झीलों के प्रभाव पर सिंचाई जैसे अलग दक्षता वाले विभाग की जगह हिमनद विशेषज्ञ ही स्थिति स्पष्ट कर सकते हैं। ग्लेशियर पर इस तरह की झीलें बनती रहती हैं और सभी झीलें खतरनाक नहीं होतीं। क्योंकि वह कुछ समय बाद स्वत: ही नष्ट भी हो जाती हैं। मगर, इसका स्पष्ट आकलन विशेषज्ञ ही कर सकते हैं। हाल में चौराबाड़ी ग्लेशियर पर जो झील बनी थी, उसका अध्ययन भी वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों ने ही किया। इसी तरह के विज्ञानियों के पास ही ऐसी दक्षता भी हासिल है।

कांवड़ियों पर बरसाएंगे फूल 

सिंचाई एवं पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि हरद्विार और उत्तराखंड आने वाले शिव भक्त कांवड़ियों का भव्य स्वागत होगा। सावन की शिवरात्रि के दिन हेलीकॉप्टर से हरिद्वार में कांवड़ियों पर फूलों की बारिश की जाएगी। उन्होंने कहा कि कांवड़िये न केवल धार्मिक, बल्कि जल संरक्षण की मुहिम को भी जिंदा रखे हुए हैं।

मुकेश मोहन (प्रमुख अभियंता सिंचाई) का कहना है कि यह कार्य एक्सपर्ट की ही कर सकते हैं। इसके लिए एनआइएच पहले से काम कर रहा है। मंत्री जी को इस संबंध में अवगत करा दिया जाएगा। सिंचाई विभाग भी स्वयं नहीं बल्कि एक्सपर्ट से ही इस काम को कराएगा। 

पंचेश्वर बांध से देश के 13 हजार परिवार प्रभावित

सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि पंचेश्वर बांध निर्माण में यदि नेपाल सहयोग नहीं करता तो भारत इसके लिए सक्षम है। इस मामले में जल्द प्रधानमंत्री से मुलाकात कर बांध पर निर्णय लेने की मांग की जाएगी। ताकि उत्तराखंड और उत्तरप्रदेश के लिए महत्वपूर्ण पंचेश्वर बांध पर निर्णय हो सके। 

भारत-नेपाल की सीमा पर 5040 मेगावाट क्षमता के प्रस्तावित पंचेश्वर बांध बनाने की योजना है। इस पर पर्यावरणीय अध्ययन रिपोर्ट और डीपीआर पर काम किया जा रहा है। मगर, बजट को लेकर केंद्र पर गठित पीडीए (पंचेश्वर विकास प्राधिकरण) को निर्णय लेना है। अभी तक परियोजना भारत और नेपाल की संयुक्त है। मगर, परियोजना का ज्यादा हिस्सा भारत में होने के चलते यहां के 134 गांव पूर्ण और आशिंक रूप से प्रभावित हो रहे हैं। सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि कुछ माह पहले पंचेश्वर बांध को लेकर वह नेपाल के राष्ट्रपति से मिले थे। उन्होंने बांध पर सकारात्मक निर्णय लेने के संकेत दिए थे। मगर, नेपाल सरकार की तरफ से बात आगे नहीं बढ़ पा रही है। उन्होंने कहा कि यदि नेपाल इसमें सहयोग नहीं करता तो हम इस बांध को बनाने के लिए तैयार है। इसे लेकर जल्द प्रधानमंत्री इस महत्वकांक्षी परियोजना पर निर्णय ले सकते हैं। उन्होंने कहा कि जल्द वह सीडब्ल्यूसी से बात कर बांध पर स्थिति स्पष्ट कराएंगे। इसके अलावा प्रभावित परिवारों के विस्थापन से लेकर लैंड बैंक पर कैबिनेट में प्रस्ताव लाएंगे।

पानी से जुड़े सभी विभाग जलशक्ति में होंगे शामिल : सतपाल

सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि राज्य के सिंचाई, पेयजल, जल संस्थान, जलागम विभाग जल्द जलशक्ति के नाम से जाने जाएंगे। सभी विभागों से इसका प्रस्ताव मांगा गया हैं। जल्द मुख्यमंत्री के स्तर पर यह फैसला होगा। इससे एक ही छत के नीचे एक जैसे नेचर और काम करने वाले विभाग शामिल हो जाएंगे। उन्होंने सिंचाई विभाग के नौ सौ करोड़ के कार्यो की समीक्षा करते हुए समन्वय के साथ सभी योजनाओं को समय पर पूरा करने के निर्देश दिए। यमुना कॉलोनी स्थित सिंचाई भवन में गुरुवार को कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने समीक्षा बैठक ली। 

इस मौके पर मंत्री ने कहा कि सिंचाई, नहर, बाढ़ सुरक्षा कार्य, जल संरक्षण समेत अन्य कार्यो के लिए 892 करोड़ की योजनाएं चल रही हैं। इनमें से 70 फीसद बजट शासन से अवमुक्त हो गया है। अभी तक 16 करोड़ बजट खर्च भी किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में 32 झीलों का निर्माण कराया जाएगा। इसके लिए केंद्र से 441.63 करोड़ की मांग की गई है। झील निर्माण से जल संरक्षण व पेयजल समस्या का निदान होगा। उन्होंने प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) में मानक शिथिल कर पहाड़ के हर गांव को इसका लाभ दिए जाने की बात कही। 

सांसद, विधायक एवं पंचायत स्तर पर आने वाले प्रस्तावों को विभाग को गंभीरता से लेने को कहा। मुख्यमंत्री की घोषणाओं पर सिंचाई मंत्री ने कहा कि 53 पुरानी और 31 नई घोषणाओं पर 237.78 करोड़ रुपये खर्च होना है। इसमें जो योजना जनता से सीधी जुड़ी है, उस पर प्राथमिकता के साथ काम किया जाए। इस मौके पर मंत्री ने विभागीय अधिकारियों से एक-एक योजना पर जानकारी मांगी। प्रमुख अभियंता सिंचाई मुकेश मोहन ने विकास कार्यो की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की। बैठक में सचिव भूपेंद्र कौर औलख समेत चीफ इंजीनियर और अधीक्षक अभियंता मौजूद रहे। 

गुगल मैप की मदद से लें निर्णय नई योजनाओं पर निर्णय लेने के लिए गुगल मैप जरूर देखें। खासकर जिन इलाकों के लिए योजनाएं बनाई जा रही हैं, उसमें आबादी, बंजर भूमि आदि को देखा जाए। इसके बाद ही योजना पर निर्णय लिया जाए। अनुपयोगी योजनाओं पर जांच के निर्देश सिंचाई मंत्री ने कहा कि अनुपयोग और जिन योजनाओं का लाभ सिंचाई, बाढ़ सुरक्षा में नहीं मिल पा रहा है, उनकी जांच कराई जाए। इन योजनाओं पर खर्च व बजट की स्थिति भी स्पष्ट करने को कहा गया। ताकि दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जा सके।

 मंत्री ने अंदेशा जताया कि कई योजनाएं सिर्फ बजट खर्च करने के लिए बनाई जाती है। ऐसी योजनाओं पर विशेष ध्यान दिए जाने की जरूरत है। वन विभाग बनाए योजना बारिश के पानी से कटाव और बाढ़ जैसे हालात उत्पन्न हो जाते हैं। ऐसे में विभाग प्रस्ताव तैयार कर वन विभाग से सहयोग मांगे। कहा कि वन विभाग यदि जंगलों में जल संरक्षण, भू-कटाव एवं पानी रोकने के इंतजाम कर लें तो बाढ़ जैसे हालात उत्पन्न नहीं होंगे।

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