प्रेमनगर में दोबारा खड़े किए गए अतिक्रमण पर बैठाई जांच
आखिर क्या वजह है कि हाई कोर्ट के स्पष्ट आदेश के बाद भी प्रेमनगर में अतिक्रमण को शह दी जा रही है जबकि बाकी शहर के अतिक्रमण पर जेसीबी चलाने में सरकारी मशीनरी ने जरा भी परहेज नहीं किया।
जागरण संवाददाता, देहरादून: क्या दून शहर के लिए अलग नियम हैं और प्रेमनगर के लिए अलग। आखिर क्या वजह है कि हाई कोर्ट के स्पष्ट आदेश के बाद भी प्रेमनगर में अतिक्रमण को शह दी जा रही है, जबकि बाकी शहर के अतिक्रमण पर जेसीबी चलाने में सरकारी मशीनरी ने जरा भी परहेज नहीं किया। प्रेमनगर पर नर्म रुख के चलते यहां तीन बार अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के बाद भी दोबारा 12 दुकानें खड़ी कर दी गई हैं। अब जिलाधिकारी डा. आर राजेश कुमार ने मामले का संज्ञान लेकर नायब तहसीलदार सदर को निरीक्षण कर कार्रवाई के लिए कहा है।
प्रेमनगर में आखिरी बार फरवरी 2021 में अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया गया था। जिन व्यापारियों के पास हाईकोर्ट का स्टे नहीं था, ऐसे 29 अतिक्रमण चिह्नित किए गए थे। इसके बाद जेसीबी चलाकर अतिक्रमण ध्वस्त कर दिए गए। इसके कुछ समय बाद ही 15 दुकानों का निर्माण दोबारा कर दिया गया। मानसून सीजन में राष्ट्रीय राजमार्ग खंड का पुश्ता ढह जाने के चलते इसके ऊपर खड़ी तीन दुकानें ध्वस्त हो गई थी, जबकि 12 दुकानें अभी भी चल रही हैं।
जिलाधिकारी डा. आर राजेश कुमार के ताजा आदेश के मुताबिक नायब तहसीलदार को कहा गया है कि वह अतिक्रमण का निरीक्षण कर लें। ताकि स्पष्ट हो सके कि हाई कोर्ट के स्टे से इतर कितनी दुकानें संचालित की जा रही हैं। इन दुकानों पर नियमानुसार कार्रवाई करने के आदेश भी जारी किए गए हैं।
राजनेताओं की शह पर फूल-फल रहा अतिक्रमण
प्रेमनगर में बार-बार खड़े किए जा रहे अतिक्रमण के पीछे सीधे तौर पर राजनेताओं की शह नजर आ रही है। क्योंकि जब-जब प्रशासन व अतिक्रमण हटाने के लिए गठित टास्क फोर्स की मशीनरी अतिक्रमण हटाने पहुंची तब-तब राजनेता ढाल बनकर खड़े हो गए। वर्ष 2018 में जब उत्तराखंड हाईकोर्ट ने दून में अतिक्रमण हटाने के आदेश दिए थे, तब भी सरकारी मशीनरी की जेसीबी सिर्फ यहीं पर आकर ठिठक गई थी। इसके बाद दून 2018 में भी अतिक्रमण हटाने में अधिकारियों के राजनेताओं का कड़ा विरोध झेलना पड़ा। सितंबर 2019 में सरकारी मशीनरी बिना कुछ किए ही प्रेमनगर से बैरंग लौट गई थी, जबकि फरवरी 2021 में किसी तरह हटाए गए अतिक्रमण के कुछ समय बाद दोबारा दुकानें खड़ी कर दी गईं।