उत्तराखंड: खेल और युवा कल्याण का एकीकरण अभी दूर, शासन में लंबित चल रही है फाइल

उत्तराखंड में खेल और युवा कल्याण विभाग के एकीकरण को लेकर तीन वर्ष पूर्व लिए गए निर्णय पर अब तक अमल नहीं हो पाया है। शुरुआत में कुछ समय एक साथ काम करने के बाद अब विभाग पूर्व की भांति अलग-अलग ही संचालित हो रहे हैं।

By Raksha PanthriEdited By: Publish:Sat, 08 May 2021 03:26 PM (IST) Updated:Sat, 08 May 2021 03:26 PM (IST)
उत्तराखंड: खेल और युवा कल्याण का एकीकरण अभी दूर, शासन में लंबित चल रही है फाइल
खेल और युवा कल्याण का एकीकरण अभी दूर, शासन में लंबित चल रही है फाइल।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। उत्तराखंड में खेल और युवा कल्याण विभाग के एकीकरण को लेकर तीन वर्ष पूर्व लिए गए निर्णय पर अब तक अमल नहीं हो पाया है। शुरुआत में कुछ समय एक साथ काम करने के बाद अब विभाग पूर्व की भांति अलग-अलग ही संचालित हो रहे हैं। इनका एकीकरण फिलहाल सरकार की प्राथमिकता में भी नहीं है। इस संबंध में फाइल शासन में ही लंबित चल रही है। 

प्रदेश में इस समय 45 से अधिक विभाग अस्तित्व में हैं। इनमें से कई विभाग ऐसे हैं जिनका केंद्र सरकार में तो मंत्रालय एक है, लेकिन उत्तराखंड में ये अलग-अलग संचालित हो रहे हैं। इसे देखते हुए प्रदेश सरकार ने इन विभागों की संख्या 25 तक सीमित करने का निर्णय लिया। इसकी शुरुआत खेल एवं युवा कल्याण विभाग से की गई। केंद्र में दोनों का मंत्रालय एक है लेकिन उत्तराखंड में ये अलग-अलग संचालित हो रहे हैं। 

इससे सबसे अधिक परेशानी खिलाड़ियों को होती है। उन्हें विभिन्न तरह की अनुमति के लिए दोनों ही विभागों के चक्कर लगाने पड़ते हैं। काफी विचार विमर्श के बाद सरकार ने कैबिनेट के जरिये इन्हें एक करने का निर्णय लिया। इस निर्णय के कुछ समय बाद शासन ने दोनों ही विभागों के अधिकारियों के बीच कार्य आवंटन भी कर दिया। इसके बाद से ही इसका विरोध शुरू हो गया। सबसे अधिक विरोध खेल संघों की ओर से हुआ। उनका कहना था कि खिलाड़ी खेल विशेष में प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए भारतीय खेल संस्थान पटियाला, कोलकाता, बेंगलुरु से कोचिंग डिप्लोमा प्राप्त करते हैं। इसके बाद ही इन्हें ही प्रशिक्षक के रूप में नियुक्ति प्रदान की जाती है।

वहीं, युवा कल्याण एवं प्रांतीय रक्षक दल विभाग की स्थापना स्वयंसेवकों और युवा और महिला मंगल दलों को कार्य देने के लिए की गई है। भले ही विभाग ग्राम स्तर पर खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन करता है लेकिन इनके अधिकारियों को खेल के विषय में जानकारी नहीं है। ऐसे में इन अधिकारियों को खेल विभाग में लाने से खिलाड़ियों का खासा नुकसान हो सकता है। इन आपत्तियों पर पहले बीते वर्ष दिसंबर और फिर इस वर्ष मार्च में सुनवाई का निर्णय लिया गया। इस बीच प्रदेश सरकार में नेतृत्व परिवर्तन हो गया। अब कोरोना संक्रमण का दौर चल रहा है। ऐेसे में दोनों विभागों के बीच एकीकरण का मसला अभी फाइलों में ही बंद है।

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