उत्तराखंड में नदियों के किनारे अर्ली वार्निंग सेंसर की स्थापना जरूरी
मानसून सीजन की चुनौतियों से निबटने के मद्देनजर सभी संबंधित विभागों और डैम अथारिटी के मध्य बेहतर समन्वय के साथ ही नदियों के जल स्तर से संबंधित आकड़ों का निरंतर आदान-प्रदान जरूरी है। सभी डैम अथारिटी को नदियों के किनारे अर्ली वार्निंग सेंसर की स्थापना आवश्यक है।
राज्य ब्यूरो, देहरादून। मानसून सीजन की चुनौतियों से निबटने के मद्देनजर सभी संबंधित विभागों और डैम अथारिटी के मध्य बेहतर समन्वय के साथ ही नदियों के जल स्तर से संबंधित आकड़ों का निरंतर आदान-प्रदान जरूरी है। सभी डैम अथारिटी को नदियों के किनारे अर्ली वार्निंग सेंसर की स्थापना आवश्यक है। सचिव आपदा प्रबंधन एसए मुरुगेशन ने शुक्रवार को विभिन्न विभागों और डैम अथारिटी के अधिकारियों के साथ वर्चुअल माध्यम से हुई बैठक में ये बातें कहीं। उन्होंने कहा कि वर्तमान में टीएचडीसी ने ऐसे सेंसर स्थापित किए हैं।
सचिव मुरुगेशन ने इस बात भी जोर दिया कि आपदा की स्थिति में समय पर सूचनाएं एक-दूसरे विभागों तक पहुंचे, इस पर खास फोकस होना चाहिए। उन्होंने केंद्रीय जल आयोग से पूर्वानुमान साझा करने संबंधी ब्योरा लिया। आयोग के अधिकारियों ने उन्हें बताया कि नदी के डिस्चार्ज से संबंधित आकड़े लगातार फ्लड फारकास्टिंग वेबसाइट पर साझा किए जाते हैं। उत्तराखंड जल विद्युत निगम की ओर से जानकारी दी गई कि मनेरी व टौंस नदी के जल स्तर की सूचना यदि आयोग से एक घंटे पहले मिल जाए तो इससे समय रहते निचले इलाकों में अलर्ट किया जा सकता है। टीएचडीसी के अधिकारियों ने भी इस पर जोर दिया। सिंचाई विभाग की ओर से बताया गया कि डाउनस्ट्रीम मैकेनिज्म के साथ थाना, चौकी स्तर तक अलर्ट किया जाता है।
सचिव मुरुगेशन ने निर्देश दिए कि रियल टाइम डाटा साझा करने के मद्देनजर सभी विभाग जल्द समन्वय बैठक करें। साथ ही अति संवेदनशील स्थिति में अलर्ट जारी करते हुए एक घंटे के अंदर ही डाटा विभागों और जिला प्रशासन तक पहुंचाने का मैकेनिज्म विकसित किया जाए। उन्होंने सभी विभागों से संपर्क, नोडल अधिकारी, रिसोर्स एवं उपकरण विवरण जैसी सूचनाएं राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को उपलब्ध कराने को कहा। जल आयोग के अधिकारियों ने आश्वस्त किया कि एक घंटे के अंतराल का अपस्ट्रीम एवं डाउनस्ट्रीम डाटा भी लगातार साझा किया जाएगा।
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