आभासी मुद्रा का मायाजाल, हो रहे कंगाल; जानिए क्‍या है क्रिप्टो करेंसी

भारत में क्रिप्टो करेंसी को अब तक अधिकृत नहीं किया गया है। बावजूद इसके लाखों की संख्या में लोग इस करेंसी के मायाजाल में फंसकर कंगाल हो रहे हैं। उत्तराखंड एसटीएफ ने साइबर ठगी के जिस मामले का पर्दाफाश किया है वह भी इस आभासी मुद्रा से जुड़ा हुआ है।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Wed, 09 Jun 2021 09:13 AM (IST) Updated:Wed, 09 Jun 2021 09:13 AM (IST)
आभासी मुद्रा का मायाजाल, हो रहे कंगाल; जानिए क्‍या है क्रिप्टो करेंसी
लाखों की संख्या में लोग इस क्रिप्टो करेंसी के मायाजाल में फंसकर कंगाल हो रहे हैं।

अंकुर अग्रवाल, देहरादून। क्रिप्टो करेंसी यानी आभासी मुद्रा या वर्चुअल मुद्रा। आम मुद्रा की तरह इसे न देख सकते हैं, और न ही छू सकते। क्रिप्टो करेंसी के लिए न कोई बैंक है, न एटीएम। यह पूरी तरह आनलाइन है। यह दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ रही है। वहीं, धोखाधड़ी के मामलों को देखते हुए भारत में इसे अब तक अधिकृत नहीं किया गया है। बावजूद इसके लाखों की संख्या में लोग इस करेंसी के मायाजाल में फंसकर कंगाल हो रहे हैं। उत्तराखंड एसटीएफ ने मंगलवार को साइबर ठगी के जिस मामले का पर्दाफाश किया है, वह भी इस आभासी मुद्रा से जुड़ा हुआ है। धोखाधड़ी के बाद भारतीयों की मुद्रा क्रिप्टो करेंसी में बदलकर चीन और थाईलैंड भेजी जा रही थी। फिर वहां इसे स्थानीय मुद्रा में बदलकर चलन में लाया जा रहा था।

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) एसटीएफ अजय सिंह ने बताया कि क्रिप्टो करेंसी इस वक्त कई देश में चल रही है। इसमें एक देश से दूसरे देश में कोई भी रकम भेजने के लिए उस देश की करेंसी में बदलने की जरूरत नहीं पड़ती। एक बैंक अकाउंट से दूसरे अकाउंट में रकम ट्रांसफर होने में दस मिनट से भी कम समय लगता है। बैंक अकाउंट किसी भी देश में क्यों न हो। यदि आप क्रिप्टो करेंसी को किसी बैंक या फिर एटीएम से प्रचलित मुद्रा के समान निकालना चाहें तो यह संभव ही नहीं। यह आनलाइन मुद्रा है। आज के जमाने में बड़ी संख्या में लोग अपनी रकम को डिजिटल वालेट में रखते हैं। क्रिप्टो करेंसी उसी तरह डिजिटल वालेट में होती है और कई देशों में आनलाइन खरीदारी में यह इस्तेमाल हो रही है। एसएसपी एसटीएफ अजय सिंह के मुताबिक, बैंक के जो नियम-कायदे अवैध लेनदेन में आड़े आते हैं, उसे अपराधी क्रिप्टो करेंसी के जरिये अंजाम देते हैं।

2009 में हुई थी शुरुआत

साइबर एक्सपर्ट अंकुर चंद्रकांत के मुताबिक, क्रिप्टो करेंसी की शुरुआत 2009 में हुई थी। उस समय इसे ‘बिटक्वाइन’ के नाम से जाना गया था। जापान के इंजीनियर सतोषी नाकमोतो ने इसे बनाया था।

यह हैं आभासी मुद्रा के नुकसान क्रिप्टो करेंसी का लेन-देन एक कोड और पासवर्ड के जरिये किया जाता है। यदि कोई कोड या पासवर्ड भूल जाए तो उसकी पूरी रकम डूब जाती है। इसका इस्तेमाल अवैध तरीके से रकम एक जगह से दूसरी जगह भेजने में किया जा रहा है। इस पर नियंत्रण के लिए कोई संस्था नहीं है। ऐसे में इसकी कीमत पर भी कोई नियंत्रण नहीं है। यह कभी काफी बढ़ जाती है तो कभी निचले स्तर पर आ जाती है। क्रिप्टो करेंसी को क्रिप्टो एक्सचेंज से या सीधे किसी व्यक्ति से आनलाइन भी खरीद सकते हैं। इसमें धोखाधड़ी का पूरा अंदेशा रहता है।

एक बिटक्वाइन 42 लाख का

साइबर एक्सपर्ट्स के मुताबिक मौजूदा समय में एक बिटक्वाइन की कीमत भारत की मुद्रा में 42 लाख के करीब है। करीब डेढ़ साल पहले तक इसकी कीमत करीब साढ़े चार लाख रुपये थी, लेकिन लगातार इसका चलन बढ़ने से इसमें दस गुना तक उछाल आया है। बड़ी संख्या में लोग मोटी रकम के निवेश के लिए खरीद रहे हैं। यह ब्लाकचेन टेक्नोलाजी पर आधारित है। इसे हैक करना बेहद मुश्किल है। एक डिजिटल बही-खाता है, जिसमें सभी लेनदेन का पूरा रिकार्ड रहता है। एक बार किसी का लेनदेन इसमें दर्ज हो जाए तो उसे हटाना नामुमकिन होता है।

शुरुआत में मुनाफा भी दिया

पावर बैंक एप फरवरी में शुरू हुआ और 12 मई को बंद हो गया। इस दौरान इस एप के जरिये करोड़ों का कारोबार हुआ। उत्तराखंड पुलिस के अनुसार, यह एप इतनी कम अवधि में करीब 50 लाख लोग डाउनलोड कर चुके थे। जिन्होंने एप के जरिये निवेश किया। इस एप ने शुरुआत में निवेशकों को अच्छा खासा मुनाफा भी दिया। जिसके चलते इसमें निवेश की रकम बढ़ती गई, लेकिन आखिर में इस एप में निवेश की गई रकम की निकासी नहीं हो पा रही थी। इंटरनेट के माध्यम से कई निवेशकों ने यह सवाल उठाया था कि वे अपनी रकम नहीं निकाल पा रहे हैं। पुलिस का कहना है कि भारत के निवेशकों की रकम को विदेश में निकाला जा रहा था। भारत के बैंकों ने इस एप की रकम की निकासी पर रोक लगा दी थी। यही कारण है कि इससे कोई अपना पैसा वापस नहीं निकाल पाया।

यह भी पढ़ें-उत्तराखंड एसटीएफ ने किया 250 करोड़ की साइबर ठगी का भंडाफोड़, एक गिरफ्तार; इस एप से बनाते थे शिकार

Uttarakhand Flood Disaster: चमोली हादसे से संबंधित सभी सामग्री पढ़ने के लिए क्लिक करें

chat bot
आपका साथी